अवधेश कुमार का ब्लॉग: विश्व मानवता के कल्याण के लिए भारत की पहल
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: April 8, 2020 08:58 AM2020-04-08T08:58:46+5:302020-04-08T08:58:46+5:30
प्रधानमंत्नी ने सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से फोन पर बात कर उन्हें इसका वर्चुअल सम्मेलन बुलाने के लिए तैयार किया. इसके बाद स्वयं भी ज्यादातर देशों से संपर्क किया. संदेश यही था कि मानवता के ऐसे संकट को हमें साझी चुनौती मानकर काम करने की पहल करनी चाहिए. यह भारत का ही प्रभाव था कि इसमें 19 देशों के साथ यूरोपीय संघ, अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष, संयुक्त राष्ट्र एवं विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधियों ने भाग लिया.
किसी भी देश के मूल संस्कार और उसके चरित्न की परख संकट के समय ही होती है. वैश्विक महामारी कोरोना कोविड-19 संकट के दौरान वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था में अब तक विश्व के नेतृत्व की भूमिका में रहे अमेरिका एवं पश्चिमी यूरोप के देश अपने अंदर ही जूझने तक सीमित हो गए हैं. भारत का आचरण अलग रहा है. भारत अकेला देश है जिसने इसे विश्व मानवता की साझी चुनौती बताते हुए न सिर्फ अन्यों की चिंता की, बल्कि देशों को साथ लाने की ठोस पहल भी की.
हममें से कितने लोगों की कल्पना में था कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए देशों का शिखर सम्मेलन आयोजित कर कुछ सामूहिक ठोस निर्णय किए जा सकते हैं? वस्तुत: भारत ने स्वयं को अपने तक सीमित नहीं किया. प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी के आमंत्नण पर सार्क देशों का सम्मेलन हुआ तथा उसके बाद उनकी ही पहल पर जी 20 की बैठक भी हुई. संकटग्रस्त शायद ही कोई देश है जिसके नेता से प्रधानमंत्नी ने बातचीत न की हो तथा सहयोग का वायदा न किया हो या हर संभव मदद न की हो.
जी-20 का वर्तमान अध्यक्ष सऊदी अरब है. प्रधानमंत्नी ने सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से फोन पर बात कर उन्हें इसका वर्चुअल सम्मेलन बुलाने के लिए तैयार किया. इसके बाद स्वयं भी ज्यादातर देशों से संपर्क किया. संदेश यही था कि मानवता के ऐसे संकट को हमें साझी चुनौती मानकर काम करने की पहल करनी चाहिए. यह भारत का ही प्रभाव था कि इसमें 19 देशों के साथ यूरोपीय संघ, अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष, संयुक्त राष्ट्र एवं विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधियों ने भाग लिया. इन देशों ने साथ मिलकर ऐसे महत्वपूर्ण फैसले किए जो अमल में आ जाएं तो गरीब देशों को स्वास्थ्य क्षेत्न में हुए अनुसंधानों और प्रगतियों का लाभ तो मिल ही सकेगा, उनका कल्याण भी विश्व के फोकस में आएगा.
सार्क सम्मेलन भी केवल भाषणों तक सीमित नहीं रहा. भारत ने कोरोना से लड़ने के लिए एक कोष बनाने का प्रस्ताव रखा तथा अपनी ओर से एक करोड़ डॉलर का शुरुआती योगदान दिया. साथ ही यह वादा किया कि सभी देशों को अपनी विशेषज्ञता तथा संसाधन उपलब्ध कराएगा. जिन देशों को डॉक्टर सहित स्वास्थ्य कर्मियों की सहायता की आवश्यकता होगी उन्हें उपलब्ध कराया जाएगा.
मालदीव में हमारे स्वास्थ्यकर्मी आवश्यक उपकरणों के साथ काम कर रहे हैं. भूटान में भी भारत सक्रि य है. नेपाल संसाधन भेजे गए हैं और स्वास्थ्यकर्मियों की टीम तैयार है. भारत से संसाधनों से भरे जहाज लगातार दूसरे देशों में जा रहे हैं. हम अपने तक सिमटकर नहीं रह सकते. कोई माने या न माने लेकिन विश्व मानवता की व्यापक दृष्टि से ऐसी भूमिका निभाने की जो पहल इस संकट में भारत ने की है वह इतिहास का अमिट अध्याय बन सकता है.