भारत का वैश्विक कद बढ़ाने की कोशिश?, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ्यूजन कौशल के जादुई कलाकार

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: April 11, 2025 05:35 IST2025-04-11T05:35:02+5:302025-04-11T05:35:42+5:30

विदेश का सर्वाधिक दौरा करना, अपने वैश्विक समकक्ष को आमंत्रित करना तथा विदेशी निवेशकों, उद्यमियों व जनमत निर्माताओं को भारत और इसके प्रधानमंत्री के गुणों की प्रशंसा करने के लिए प्रोत्साहित करना.

attempt increase India's global stature? Prime Minister Narendra Modi magical artist of fusion skills blog Prabhu Chawla | भारत का वैश्विक कद बढ़ाने की कोशिश?, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ्यूजन कौशल के जादुई कलाकार

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Highlightsदेश के सबसे लोकप्रिय नेता बने हुए हैं, लेकिन अपनी वैश्विक छवि से उन्होंने तनिक भी समझौता नहीं किया है.सरकार ने तकनीक की दुनिया से लेकर समाज के  धनी और प्रसिद्ध लोगों के लिए लाल कालीन बिछाई है.अत्यधिक विदेशी दौरों और उसमें मिलते महत्व से प्रधानमंत्री विश्व स्तर पर देखे-सराहे जाते हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ्यूजन कौशल के जादुई कलाकार हैं. उनके द्वारा भारतीय संस्कृति के नियमित मंगलाचरण का अर्थ भारत को वैश्विक स्तर पर प्रासंगिक बनाए रखना है. पिछले दिनों भूकंप से ध्वस्त थाइलैंड के अपने दौरे में उन्होंने रामायण को उद्धृत किया. एक दशक से अधिक के प्रधानमंत्रित्व काल में मोदी ने वैश्विक कूटनीति और राजनीति में भारत की प्रासंगिकता बनाए रखने के लिए प्राचीन और आधुनिक भारत की भावना को जोड़कर पेश किया है. वे देश के सबसे लोकप्रिय नेता बने हुए हैं, लेकिन अपनी वैश्विक छवि से उन्होंने तनिक भी समझौता नहीं किया है.

इस दौरान उन्होंने तमाम दांव आजमाए हैं, जैसे विदेश का सर्वाधिक दौरा करना, अपने वैश्विक समकक्ष को आमंत्रित करना तथा विदेशी निवेशकों, उद्यमियों व जनमत निर्माताओं को भारत और इसके प्रधानमंत्री के गुणों की प्रशंसा करने के लिए प्रोत्साहित करना. सरकार ने तकनीक की दुनिया से लेकर समाज के  धनी और प्रसिद्ध लोगों के लिए लाल कालीन बिछाई है.

वे प्रधानमंत्री मोदी का प्रशस्तिगान करते हैं. अत्यधिक विदेशी दौरों और उसमें मिलते महत्व से प्रधानमंत्री विश्व स्तर पर देखे-सराहे जाते हैं. पिछले महीने बिल गेट्स की मोदी से मुलाकात हुई. यह उनकी पहली बातचीत नहीं थी. बैठक के बाद बाहर निकलकर गेट्स ने एक्स पर लिखा, ‘मेरी @ नरेंद्र मोदी से भारत के विकास, @2047 में विकसित भारत के लक्ष्य और स्वास्थ्य, कृषि, एआई और दूसरे क्षेत्रों में भारत की प्रगति पर विस्तार से बातचीत हुई. यह देखना प्रभावी है कि भारत में नवाचार किस तरह प्रगति को दिशा दे रहा है.’

लेक्स फ्रीडमैन के साथ तीन घंटे के पॉडकास्ट प्रोग्राम में मोदी से विभिन्न मुद्दों पर बात हुई, जैसे कि प्रशासन, तकनीकी और वैश्विक संबंधों के बारे में उनके विचार क्या हैं. ये सब विभिन्न मुद्दों को उनकी व्यक्तिगत राय से जोड़कर भारत को एक ऐसे उभरते राष्ट्र के रूप में पेश करने की कोशिश है, जिसकी जड़ परंपरा में जुड़ी है, पर जो तकनीक और कूटनीति में आधुनिक है.

फ्रीडमैन ने इस पॉडकास्ट को ‘जीवन की सबसे प्रभावशाली बातचीत’ बताया, जिसका लक्ष्य वैश्विक श्रोताओं तक पहुंचना था. मोदी ने एक्स पर प्रतिक्रिया दी, ‘@लेक्स फ्रीडमैन के साथ बहुत आकर्षक बातचीत रही, जिसमें मेरे बचपन, हिमालय में बिताए गए समय और सार्वजनिक जीवन की मेरी यात्रा समेत विविध मुद्दे थे. इस संवाद का हिस्सा बनें.’

प्रधानमंत्री के रूप में मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी, दोनों का कार्यकाल कम से कम एक दशक रहा. दोनों ने अनेक विदेशी दौरे किए. पर दोनों के नजरिये और नतीजे में भिन्नता रही. मनमोहन सिंह ने कुल 73 विदेशी दौरे किए थे और 46 देशों की यात्रा की थी. उन्होंने अमेरिका का 10 बार और रूस का आठ बार दौरा किया था.

जबकि नरेंद्र मोदी ने अब तक 87 विदेशी दौरे किए और 73 देशों की यात्रा की है. अमेरिका के नौ, फ्रांस के आठ और चीन के पांच दौरे भारत के निवेश तथा सुरक्षा हितों और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की प्राथमिकता तय करने के बारे में बताते हैं. मनमोहन सिंह के विदेशी दौरे जहां भारत की विदेश नीति की निरंतरता के बारे में बताते थे, वहीं मोदी की आक्रामक कूटनीति ने भारत का कद बढ़ाया है.

मनमोहन सिंह के विदेश दौरे पर 700 करोड़ रुपए, जबकि मोदी के विदेश दौरे पर 3,500 करोड़ रुपए खर्च हुए. बेशक मोदी का व्यक्तिगत करिश्मा और संघ आधारित नजरिये से भारत की आवाज तेज होकर गूंज रही है, लेकिन आलोचना बरकरार है: वह यह कि इसके लिए जितनी आर्थिक और राजनीतिक कीमत चुकाई गई, क्या राष्ट्र को लाभ उस अनुपात में मिला है? आधिकारिक आकलन के मुताबिक, मोदी के एक दशक से अधिक के प्रधानमंत्रित्व काल में 60 से अधिक वैश्विक नेताओं को विभिन्न अवसरों पर आमंत्रित किया गया.

चूंकि 2047 में भारत की आजादी के 100 साल पूरे होंगे, ऐसे में, मोदी के दौरों और उन्हें मिले वैश्विक प्रचारों को केवल उनकी विदेश यात्राओं और उनके बारे में वैश्विक दिग्गजों की टिप्पणियों से नहीं, बल्कि खुद उनकी व्यक्तिगत शैली और उनके वक्तव्यों के सार से भी आंका जाएगा.

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