Assembly Elections 2023: राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में असली परीक्षा, कांग्रेस की किस्मत तय करेंगे चुनाव नतीजे

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: November 24, 2023 11:52 AM2023-11-24T11:52:02+5:302023-11-24T11:53:39+5:30

Assembly Elections 2023: पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की मृत्यु के बाद हिमाचल में तो कांग्रेस के पास कोई चिर-परिचित चेहरा भी नहीं था, पर भाजपा सरकार की नाकामियों और अपने स्थानीय नेताओं की एकजुटता से चुनावी वैतरणी पार कर ली.

Assembly Elections 2023 rahul gandhi real test in Rajasthan, Madhya Pradesh Chhattisgarh, election results will decide fate of Congress blog raj kumar singh | Assembly Elections 2023: राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में असली परीक्षा, कांग्रेस की किस्मत तय करेंगे चुनाव नतीजे

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Highlightsहिमाचल प्रदेश की सत्ता से भाजपा को बेदखल किया और फिर कर्नाटक की. कर्नाटक में कांग्रेस के पास पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के अलावा डी. के. शिव कुमार भी थे.नए राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का भी वह गृह राज्य है.

Assembly Elections 2023: वर्ष 2023 कांग्रेस के लिए अभी तक उत्साहवर्धक रहा है, पर अब वह राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में असली चुनावी परीक्षा से रूबरू है. उत्तर और दक्षिण भारत के एक-एक राज्य में वह भाजपा से सत्ता छीन चुकी है.

पहले हिमाचल प्रदेश की सत्ता से भाजपा को बेदखल किया और फिर कर्नाटक की. पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की मृत्यु के बाद हिमाचल में तो कांग्रेस के पास कोई चिर-परिचित चेहरा भी नहीं था, पर भाजपा सरकार की नाकामियों और अपने स्थानीय नेताओं की एकजुटता से चुनावी वैतरणी पार कर ली.

कर्नाटक में कांग्रेस के पास पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के अलावा डी. के. शिव कुमार भी थे. फिर नए राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का भी वह गृह राज्य है. सो, भाजपा सरकार की विफलताओं और उस पर भ्रष्टाचार के आरोपों ने कांग्रेस की राह और भी आसान कर दी. अब चुनौती वर्ष 2018 के अपने ही चुनावी प्रदर्शन को दोहराने की है.

पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान की सत्ता से भाजपा को बेदखल कर सबको चौंका दिया था. मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में तो भाजपा 15 साल से सत्ता में थी. बेशक 15 महीने बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया की अगुवाई में 22 विधायकों की बगावत के चलते कमलनाथ सरकार गिर गई और शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा की सत्ता में वापसी हो गई.

लेकिन मतदाताओं ने तीनों राज्यों की सत्ता कांग्रेस को सौंपी थी. ऐसे में अपने उसी प्रदर्शन को दोहराना अब कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती है. हालांकि नवंबर में विधानसभा चुनाववाले राज्यों की संख्या पांच है, पर उत्तर भारत के ये तीन राज्य राष्ट्रीय राजनीति की दृष्टि से भी ज्यादा महत्वपूर्ण हैं. आखिर इन राज्यों से लोकसभा के लिए 65 सांसद चुने जाते हैं.

सभी पांच राज्यों के चुनाव नतीजे तीन दिसंबर को आएंगे, तभी पता चलेगा कि अगले लोकसभा चुनाव में केंद्रीय सत्ता के लिए ताल ठोंकनेवाले दोनों बड़े दल जनता के बीच कितने पानी में हैं. ये नतीजे इसलिए भी खास होंगे, क्योंकि ‘इंडिया’ नाम से नया विपक्षी गठबंधन बनने और भाजपा द्वारा अपने पुराने गठबंधन एनडीए के विस्तार के बाद तथा केंद्र सरकार पर तरह-तरह के आरोपों के बीच ये चुनाव हो रहे हैं.

राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में सत्ता के प्रमुख दावेदार रहे कांग्रेस और भाजपा नहीं चाहेंगे कि उन्हें पराजित मनोबल के साथ चंद महीने बाद लोकसभा चुनाव में उतरना पड़े. यही कारण है कि रणनीति से लेकर चुनावी वायदों तक में दोनों ने ही कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी. ठोस नीति, कार्यक्रमों के बजाय लोक लुभावन वायदों पर जोर निश्चय ही बहस का विषय होना चाहिए, पर राजनीतिक दलों-नेताओं को शायद यही चुनाव जीतने का आसान कारगर फॉर्मूला लगता है.  

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