संपादकीयः ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ता भाजपा का जनाधार

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: December 11, 2018 04:27 PM2018-12-11T16:27:58+5:302018-12-11T16:27:58+5:30

ये चुनाव इस बात के भी संकेत हैं कि कांग्रेस और राकांपा मिलकर चुनाव लड़ने के बावजूद मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने में विफल रहे हैं. उन्हें 2019 के लोकसभा तथा उसके कुछ माह बाद होनेवाले राज्य विधानसभा के चुनाव में  भाजपा को चुनौती देने की स्थिति में आने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी.

assembly election 2018: Increasing BJP's support in rural areas | संपादकीयः ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ता भाजपा का जनाधार

संपादकीयः ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ता भाजपा का जनाधार

मंगलवार को पांच राज्यों में विधानसभा के चुनाव परिणाम चाहे जो भी आएं, महाराष्ट्र में भाजपा को खुशखबरी मिली है. अहमदनगर तथा  धुलिया महानगरपालिकाओं और कुछ नगर परिषदों एवं नगर पंचायतों के चुनाव नतीजे भाजपा के लिए उत्साहवर्धक आए हैं लेकिन उससे यह भी स्पष्ट हो गया है कि उसे शिवसेना को कम आंकने की भूल नहीं करनी चाहिए. 

ये चुनाव इस बात के भी संकेत हैं कि कांग्रेस और राकांपा मिलकर चुनाव लड़ने के बावजूद मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने में विफल रहे हैं. उन्हें 2019 के लोकसभा तथा उसके कुछ माह बाद होनेवाले राज्य विधानसभा के चुनाव में  भाजपा को चुनौती देने की स्थिति में आने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी. जिन क्षेत्रों में चुनाव हुए हैं वे ग्रामीण तथा कस्बाई संस्कृति का प्रतिनिधित्व करते हैं. 

धुलिया और अहमदनगर मनपा भले ही बन गए हों लेकिन वहां का मतदाता ग्रामीण इलाकों का है और महानगरीय संस्कृति से कोसों दूर है. इन मनपाओं के अलावा विदर्भ में ब्रह्मपुरी तथा नेर  नगर परिषदों एवं नागपुर जिले में मौदा नगर पंचायत, नांदेड़ जिले की लोहा नगर परिषद, वाशिम में रिसोड नगर परिषद, जलगांव में शेंदुर्णी नगर परिषद के लिए भी चुनाव हुए थे. 

ब्रह्मपुरी में कांग्रेस को सफलता हाथ लगी और विदर्भवादियों की पार्टी विदर्भ माझा को छह स्थान मिले. यवतमाल जिले की नेर नगर परिषद पर शिवसेना नौ सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी. मौदा, शेंदुर्णी और लोहा में कमल खिल गया. वाशिम जिले के रिसोड में स्थानीय जन विकास आघाड़ी 9 सीटें जीतकर बहुमत के करीब पहुंच गई. 

कांग्रेस को यहां तीन सीटें मिलीं. धुलिया महानगरपालिका पर भाजपा को एकतरफा सफलता मिली और अहमदनगर में शिवसेना सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी. यहां शिवसेना को 24, भाजपा को 14, कांग्रेस-राकांपा गठबंधन को 23 सीटें मिलीं. बागी भाजपा विधायक अनिल गोटे की गलतफहमी मतदाताओं ने दूर कर दी. उनकी लोक संग्राम पार्टी को सिर्फ एक सीट मिली. 

चुनाव परिणामों से स्पष्ट है कि भाजपा और शिवसेना अगर साथ लड़ लें तो 2019 में महाराष्ट्र में उनकी सत्ता में आसानी से वापसी हो सकती है. नतीजे यह भी संकेत देते हैं कि भाजपा का जनाधार ग्रामीण एवं आदिवासी क्षेत्रों में मजबूत होता जा रहा है लेकिन पश्चिम महाराष्ट्र में शिवसेना की भी अच्छी खासी ताकत है. 

धुलिया आदिवासी क्षेत्र है और यहां भाजपा की शानदार जीत आदिवासियों के बीच भाजपा की बढ़ती पैठ की परिचायक है. ताजा चुनाव भले ही छोटे स्तर पर हुए हों मगर उनका संदेश व्यापक है. पहला यह है कि भाजपा राज्य में सबसे ताकतवर पार्टी है, दूसरा यह कि शिवसेना का अपना जनाधार है और तीसरा यह कि कांग्रेस-राकांपा का जनाधार सिकुड़ रहा है. 

ये चुनाव परिणाम कांग्रेस, राकांपा, भाजपा तथा शिवसेना के लिए आत्ममंथन का भी अवसर है. इन नतीजों के आधार पर वे भावी चुनावी रणनीति बना सकते हैं.

Web Title: assembly election 2018: Increasing BJP's support in rural areas

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