ब्लॉग: बाल विवाह के खिलाफ असम सरकार जैसा अभियान पूरे देश में चलना चाहिए
By रमेश ठाकुर | Updated: February 8, 2023 15:00 IST2023-02-08T14:59:21+5:302023-02-08T15:00:26+5:30
बाल विवाह के विरुद्ध असम सरकार की कठोर कार्रवाई इस समय चर्चा में है. बाल विवाह के आरोपियों पर पुलिस-प्रशासन की ताबड़तोड़ कार्रवाई राज्य में हो रही है.

ब्लॉग: बाल विवाह के खिलाफ असम सरकार जैसा अभियान पूरे देश में चलना चाहिए
बाल विवाह के खिलाफ असम सरकार के अभियान का स्वागत न सिर्फ समूचा देश कर रहा है बल्कि केंद्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग, राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग से लेकर बालकल्याण संस्थान व केंद्रीय जन सहयोग एवं बाल विकास संस्थान भी कर रहे हैं.
बाल विवाह के विरुद्ध असम सरकार की कठोर कार्रवाई इस समय चर्चा में है. वहां बाल विवाह के आरोपियों पर पुलिस-प्रशासन की ताबड़तोड़ कार्रवाई हो रही है. सरकार के इस कदम की प्रशंसा सब कर रहे हैं, सिर्फ मुट्ठी भर लोग ऐसे हैं जो विरोध में खड़े हैं.
ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट यानी एआईयूडीएफ अभियान के विरोध में है. उसका तर्क है कि असम सरकार ने बिना कानून बनाए गैर-कानूनी रूप से कार्रवाई शुरू की है. लेकिन उन्हें कौन बताए कि बालविवाह निषेध अधिनियम का प्रावधान केंद्रीय स्तर पर पूरे देश में अमल में है! यही कानून राज्यों में भी प्रभावी है, कुछेक राज्यों में तो अपने भी कानून हैं जो बाल विवाह के विरुद्ध कार्य करते हैं.
असम में बाल विवाह के लिए जिम्मेदार हजारों लोगों की गिरफ्तारियां हुई हैं. कम उम्र में विवाह होने से बच्चियां केंद्र सरकार की महिलाओं की सशक्तिकरण मुहिम से दूर हो जाती हैं. इसके अलावा उनका स्वास्थ्य एवं पोषण भी पूरा नहीं हो पाता. कम उम्र में मां बनना तो सबसे घातक होता है.
आजादी के बाद हिंदुस्तान में वैसे तो कई कुप्रथाओं ने समाज को परेशान किया, पर वक्त जैसे-जैसे आगे बढ़ा, लोगों में अच्छे-बुरे की समझ बढ़ी, सामाजिक चेतनाएं जागीं, कुप्रथाओं पर बदलती व्यवस्थाओं ने तगड़ा प्रहार करना शुरू किया. देखा जाए तो कई कुप्रथाएं एक-एक करके ध्वस्त होती गईं.
बाल विवाह भी एक कुप्रथा है लेकिन यह अभी तक जिंदा है. इसे खत्म करने के लिए असम सरकार जैसे अभियान पूरे देश में चलने चाहिए.