योगेश कुमार गोयल का ब्लॉग: भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार है सेना

By योगेश कुमार गोयल | Updated: January 15, 2025 15:53 IST2025-01-15T15:53:19+5:302025-01-15T15:53:19+5:30

पिछले एक दशक में थलसेना ने ‘मेक इन इंडिया’ के तहत विज्ञान और तकनीकी में महत्वपूर्ण प्रगति की है. चूंकि दुनिया में युद्ध के तौर-तरीके लगातार बदल रहे हैं, इसीलिए भविष्य की संभावित चुनौतियों से निपटने के लिए भारतीय सेना कई तरह के प्रशिक्षण और नए हथियारों के साथ स्वयं को अपडेट कर रही है.

Army is ready for future challenges Yogesh Kumar Goyal's blog | योगेश कुमार गोयल का ब्लॉग: भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार है सेना

योगेश कुमार गोयल का ब्लॉग: भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार है सेना

थलसेना के अदम्य साहस, जांबाज सैनिकों की वीरता, शौर्य और उनकी शहादत को याद करते हुए 15 जनवरी को हम 77वां भारतीय सेना दिवस मना रहे हैं. भारतीय सेना का आदर्श वाक्य है ‘स्वयं से पहले सेवा’. प्रतिवर्ष 15 जनवरी को ही यह दिवस मनाए जाने का विशेष कारण यह है कि आज ही के दिन 1949 में लेफ्टिनेंट जनरल के.एम. करियप्पा भारतीय सेना के पहले कमांडर-इन-चीफ बने थे. उन्होंने 15 जनवरी 1949 को ब्रिटिश जनरल फ्रांसिस बुचर से भारतीय सेना की कमान संभाली थी. 

जनरल फ्रांसिस बुचर भारत के आखिरी ब्रिटिश कमांडर-इन-चीफ थे. करियप्पा को ही भारत-पाक आजादी के समय दोनों देशों की सेनाओं के बंटवारे की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. 1947 में उन्होंने भारत-पाक युद्ध में पश्चिमी सीमा पर भारतीय सेना का नेतृत्व किया था. दूसरे विश्व युद्ध में बर्मा (म्यांमार) में जापानियों को शिकस्त देने के लिए उन्हें प्रतिष्ठित सम्मान ‘ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एम्पायर’ दिया गया था. 1953 में वे भारतीय सेना से सेवानिवृत्त हुए और 94 वर्ष की आयु में 1993 में उनका निधन हुआ.

77वें सेना दिवस समारोह की थीम है ‘समर्थ भारत, सक्षम सेना’ और इस बार का फोकस सेना की क्षमताओं को प्रदर्शित करना है. सेना दिवस के अवसर पर आयोजित होने वाली परेड में इस बार के-9 वज्र स्व-चालित हॉवित्जर तोपें, पैदल सेना लड़ाकू वाहन बीएमपी-2 सरथ, टी-90 टैंक, स्वाति हथियार लोकेटिंग रडार, सर्वत्र ब्रिजिंग सिस्टम, मल्टी-बैरल रॉकेट सिस्टम, एटोर एन1200 ऑल-टेरेन वाहन, ड्रोन जैमर सिस्टम, मोबाइल संचार नोड्स इत्यादि प्रदर्शित किए जाएंगे. 

परेड में पहली बार 12 रोबोटिक खच्चर भी हिस्सा लेंगे. सेना के आधुनिकीकरण की दिशा में उठाए गए कदमों का प्रतिनिधित्व करते इन रोबोटिक खच्चरों को पिछले साल सेना में शामिल किया गया था, जो दुर्गम इलाकों में आसानी से चलते हुए न केवल भार ढो सकते हैं बल्कि दुश्मनों से भी निपट सकते हैं.  

भारतीय सेना की ताकत निरंतर बढ़ रही है और सेना की इस बढ़ती ताकत का श्रेय आधुनिक तकनीक, उन्नत हथियार प्रणाली तथा सैनिकों के प्रशिक्षण में निरंतर सुधार को दिया जा सकता है. चूंकि दुनिया अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की चौथी औद्योगिक क्रांति में प्रवेश कर चुकी है, इसलिए थलसेना भी लगातार अपने हथियारों तथा उपकरणों को आधुनिक कर रही है और ऐसी योजनाएं भी बनाई जा रही हैं, जिससे सेना में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का भी व्यापक उपयोग किया जा सके. 

पिछले एक दशक में थलसेना ने ‘मेक इन इंडिया’ के तहत विज्ञान और तकनीकी में महत्वपूर्ण प्रगति की है. चूंकि दुनिया में युद्ध के तौर-तरीके लगातार बदल रहे हैं, इसीलिए भविष्य की संभावित चुनौतियों से निपटने के लिए भारतीय सेना कई तरह के प्रशिक्षण और नए हथियारों के साथ स्वयं को अपडेट कर रही है. हाल के वैश्विक संघर्षों ने स्वदेशी युद्धक्षेत्र समाधानों की आवश्यकता पर जोर दिया है.

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