ब्लॉगः भागदौड़ भरी जीवनशैली से हो रही स्मरण शक्ति कमजोर
By रमेश ठाकुर | Published: September 21, 2023 12:02 PM2023-09-21T12:02:41+5:302023-09-21T12:03:29+5:30
अल्जाइमर की रोकथाम और निदान के संबंध में आम जनों को जागरूक करने के मकसद से हर साल 21 सितंबर को ‘विश्व अल्जाइमर दिवस’ मनाया जाता है।
अल्जाइमर को हल्के में लेने की भूल कतई नहीं करनी चाहिए क्योंकि इसी के चलते न्यूरोजेनरेटिव यानी भूलने की बीमार का आरंभ होता है। चिकित्सीय रिपोर्ट्स की मानें तो मौजूदा समय में प्रत्येक दसवां इंसान अल्जाइमर से किसी-न-किसी रूप में ग्रस्त है जिसका मुख्य कारण इंसानों की अस्त-व्यस्त जीवनशैली, भागदौड़ व चुनौतियों से जूझती जिंदगी, साथ ही खुद के लिए वक्त न निकालना और खानपान की अस्वास्थ्यकर आदतें हैं। इनके चलते इंसानों की स्मरण शक्ति और दिमागी क्षमता उम्र से पहले जवाब देने लगी है। गुजरे दो दशकों के भीतर अल्जाइमर ने भारत में अन्य बीमारियों के मुकाबले तेजी से पांव पसारे हैं।
अल्जाइमर की रोकथाम और निदान के संबंध में आम जनों को जागरूक करने के मकसद से हर साल 21 सितंबर को ‘विश्व अल्जाइमर दिवस’ मनाया जाता है। वर्ष 1901 में एड. जर्मन मनोचिकित्सक डॉ. अलोइस अल्जाइमर ने एक जर्मन महिला का इलाज करते हुए इस विकार की खोज की थी, जिसके बाद उन्हीं के नाम पर इस रोग को अल्जाइमर नाम दिया गया था।
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट बताती है कि भारत में 55-60 वर्ष से अधिक उम्र के वयस्कों में डिमेंशिया का प्रसार 7.4 फीसदी तक है, जिसका मतलब है कि तकरीबन 88 लाख भारतीय वर्तमान में डिमेंशिया के साथ जी रहे हैं। इस रोग के सात चरण होते हैं। सातवां स्टेज अल्जाइमर का अंतिम चरण बताया गया है। अंतिम चरण तक पहुंचते-पहुंचते रोगी संवाद करने की क्षमता पूरी तरह खो चुका होता है।
अल्जाइमर से बचने के लिए डब्ल्यूएचओ, भारतीय शोधकर्ताओं व नामी चिकित्सकों ने कुछ बचाव और सुझाव दिए हैं, उन्हें अपना कर इस जानलेवा बीमारी से काफी हद तक बचा जा सकता है। इसके अंतर्गत धूम्रपान व अल्कोहल के सेवन से सभी को बचना चाहिए। समय का उचित प्रबंधन करें, कार्यक्षमता अधिक बढ़ने पर तनाव मुक्ति वाले योगासान करें, दिमाग को तेज करने वाले खेल खेलें, जैसे चेस व सुडोकू। खुशनुमा माहौल बनाएं अपने आसपास, दोस्तों संग मस्ती वाले क्षण उत्पन्न करें, पसंद की मूवी देखें, मनपसंद जगहों पर सैर-सपाटा जरूर करते रहें और यार-दोस्तों संग मासिक संगोष्ठियों को करना तो बिल्कुल भी न भूलें।
दरअसल, ये ऐसे इंसानी जीवन के क्रियाकलाप हैं जो न सिर्फ अल्जाइमर से बचाते हैं, बल्कि डिप्रेशन, शुगर व मौसमी हारी-बीमारियों से भी दूर रखते हैं। चिकित्सीय इतिहास में इस रोग की अभी तक कोई मुकम्मल दवा ईजाद नहीं हुई है इसलिए इससे बचाव के उपायों को अपनाना ही सबसे बेहतर है।