ब्लॉग: एंटीबायोटिक के अधिक इस्तेमाल से घट रही प्रतिरोधक क्षमता
By ऋषभ मिश्रा | Published: April 5, 2023 02:26 PM2023-04-05T14:26:06+5:302023-04-05T14:39:57+5:30
‘सुपरबग’सच में मानव जाति के लिए एक खतरा है। वैज्ञानिकों के अनुसार सुपरबग की लगातार बढ़ती संख्या के कारण 2050 तक दुनिया भर में हर वर्ष एक करोड़ लोगों की मौत हो जाएगी और यह कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी के रूप में अपना प्रसार कर लेगा।
नई दिल्ली: कोरोना के नए वेरिएंट कई देशों के लिए मुसीबत बनते जा रहे हैं. इसके कारण ये महामारी लोगों को न सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक तौर पर भी कमजोर कर रही है. ‘सुपरबग’ एक तरह से बैक्टीरिया वायरस और पैरासाइट का एक स्ट्रेन है जो कि एंटीबायोटिक के दुरुपयोग के कारण पैदा होता है.
‘सुपरबग’ क्या है?
सुपरबग बनने के बाद यह मौजूद किसी भी प्रकार की दवाइयों से मरता नहीं है और कई मौकों पर लोगों की जान तक ले लेता है. जब बैक्टीरिया वायरस फंगस या पैरासाइट समय के साथ बदल जाते हैं तो उस वक्त उन पर दवा असर करना बंद कर देती है. इससे उनमें एक ‘एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस’ पैदा होता है जिसकी वजह से संक्रमण का इलाज काफी मुश्किल हो जाता है.
इसे आसान भाषा में समझें तो सुपरबग उस तरह की स्थिति है जब मरीज के शरीर में मौजूद बैक्टीरिया वायरस और पैरासाइट के सामने दवा भी बेअसर हो जाती है. डॉक्टरों के अनुसार फ्लू जैसे वायरल संक्रमण होने पर एंटीबायोटिक लेने पर सुपरबग बनने के अधिक आसार रहते हैं जो धीरे-धीरे दूसरे इंसानों को भी संक्रमित कर सकता है.
‘कारपीनेम मेडिसिन’ को अब नहीं बनाया जाता है
हमारे देश में भी निमोनिया और सेप्टीसीमिया के इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाली दवा ‘कारपीनेम मेडिसिन’ अब बैक्टीरिया पर बेअसर हो चुकी है, जिसकी वजह से इन दवाओं को बनाए जाने पर रोक लगा दी गई है. सुपरबग एक से दूसरे इंसान में त्वचा स्पर्श होने से तथा घाव होने से फैलता है.
साल 2019 में दुनिया भर में 12 लाख से ज्यादा मौतें एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस के चलते हुई थीं. मरीज बैक्टीरियल संक्रमण का शिकार थे लेकिन एंटीबायोटिक ने उन पर असर करना बंद कर दिया. दरअसल एंटीबायोटिक दवाओं का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल और डॉक्टर की सलाह के बिना मनमाने तरीके से इसे लेना आज के जमाने में सबसे बड़ा खतरा है. इससे सुपरबग बनते हैं जिसके संक्रमण का कोई इलाज नहीं है.
‘सुपरबग’ बन सकता है इंसान के लिए सबसे बड़ा खतरा
कोरोना से संक्रमित होने वाले 50 फीसदी से ज्यादा कोविड मरीजों को इलाज के दौरान या बाद में बैक्टीरिया फंगस के कारण इन्फेक्शन हुआ और उनकी मौत हो गई. अध्ययन में पाया गया कि दुनिया में एंटीबायोटिक का इस्तेमाल इसी रफ्तार से बढ़ता रहा तो मेडिकल साइंस की सारी तरक्की जीरो हो जाएगी.
इन सबके बीच दुनिया में तेजी से बढ़ते प्रदूषण और स्वछता की कमी के कारण हाल ही में संयुक्त राष्ट्र की तरफ से भी सुपरबग की बढ़ती संख्या के लिए चिंता व्यक्त की गई है क्योंकि ये मानव जाति के लिए नया खतरा बन जाएगा. वैज्ञानिकों के अनुसार सुपरबग की लगातार बढ़ती संख्या के कारण 2050 तक दुनिया भर में हर वर्ष एक करोड़ लोगों की मौत हो जाएगी और यह कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी के रूप में अपना प्रसार कर लेगा.