रमेश ठाकुर का ब्लॉग: खूबसूरत जिंदगी को बदसूरत बना देता है तंबाकू

By रमेश ठाकुर | Published: May 31, 2022 11:51 AM2022-05-31T11:51:36+5:302022-05-31T11:52:56+5:30

महिलाओं में तंबाकूयुक्त  पदार्थों का सेवन काफी चिंता का विषय है क्योंकि एक सर्वेक्षण के अनुसार धूम्रपान अथवा तंबाकू का सेवन महिलाओं में बांझपन का खतरा बढ़ाता है। इस व्यसन से ग्रस्त महिलाओं में गर्भपात भी अधिक होता है। तंबाकू का सेवन नियमित रूप से करने से सारा शरीर विषाक्त हो जाता है जिससे सामान्य त्वचा रोग से लेकर नपुंसकता व मृत्यु तक संभव है।

Tobacco makes beautiful life ugly | रमेश ठाकुर का ब्लॉग: खूबसूरत जिंदगी को बदसूरत बना देता है तंबाकू

रमेश ठाकुर का ब्लॉग: खूबसूरत जिंदगी को बदसूरत बना देता है तंबाकू

Highlightsधूम्रपान सेवन हृदय रोगों का मुख्य कारण है। धूम्रपान के दुष्प्रभाव पर बोस्टन विश्वविद्यालय के एक वैज्ञानिक की हालिया रिपोर्ट भी सोचने पर मजबूर करती है।

डब्ल्यूएचओ की मानें तो खैनी, तंबाकू व गुटखा का सेवन लोगों ने कोरोना काल और लॉकडाउन में सिगरेट-बीड़ी पीने से ज्यादा किया। इससे मुंह के कैंसरग्रस्तों की संख्या में भी अप्रत्याशित इजाफा हुआ। आंकड़े बताते हैं कि समूचे भारत में सालाना 20 से 25 हजार लोगों की जिंदगी गुटखा निगल रहा है। शहरों के मुकाबले ये आंकड़ा गांवों में कहीं अधिक है।

सवाल उठता है उन प्रयासों का क्या हुआ जो सरकारों की तरफ से किए जाते हैं। केंद्र या राज्य सरकारों के जब बजट पेश किए जाते हैं तो हर बार धूम्रपान सामग्रियों पर टैक्स बढ़ाया जाता है, बावजूद इसके धूम्रपान करने वालों की संख्या कम नहीं होती। इस पर नए सिरे से मंथन करने की जरूरत है। मर्ज की नब्ज पकड़नी होगी, उत्पादन पर अंकुश लगाना होगा। दुख इस बात का है युवा वर्ग इसके शिकंजे में जकड़ चुका है।

तंबाकू में कुप्रभाव डालने वाले मुख्य तत्व निकोटिन, प्रुसिक एसिड, निकिल ऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड व कोबाल्ट ऑक्साइड होते हैं। इन पदार्थाें का सूक्ष्म मात्रा में भी सेवन अत्यधिक हानिकारक होता है। कई रोग इससे जन्म लेते हैं। धूम्रपान की समस्या को रोकने के लिए विशेष अभियान चलाए जाने की जरूरत है। होर्डिंग, प्रचार, गोष्ठी, नुक्कड़ नाटक जैसे प्रयासों के साथ ही कानूनी सख्ती भी बरतने की दरकार है।

यूनिसेफ की हालिया रिपोर्ट बताती है कि सबसे ज्यादा तंबाकू, सिगरेट व अन्य नशीले पदार्थों का सेवन भारत के युवा करने लगे हैं, जिनकी उम्र 18 से 23 वर्ष के दरम्यान है। वैज्ञानिक सर्वेक्षणानुसार पांच सिगरेटों का निकोटिन एक खरगोश को मारने के लिए काफी है। निकोटिन से नसों को अधिक नुकसान होता है। इसके प्रभाव से मस्तिष्क की कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं जिससे मस्तिष्क 10 प्रतिशत क्षमताहीन हो जाता है। इसके फलस्वरूप स्मरण अथवा सोचने की शक्ति क्षीण होने लगती है।

महिलाओं में तंबाकूयुक्त  पदार्थों का सेवन काफी चिंता का विषय है क्योंकि एक सर्वेक्षण के अनुसार धूम्रपान अथवा तंबाकू का सेवन महिलाओं में बांझपन का खतरा बढ़ाता है। इस व्यसन से ग्रस्त महिलाओं में गर्भपात भी अधिक होता है। तंबाकू का सेवन नियमित रूप से करने से सारा शरीर विषाक्त हो जाता है जिससे सामान्य त्वचा रोग से लेकर नपुंसकता व मृत्यु तक संभव है।

धूम्रपान सेवन हृदय रोगों का मुख्य कारण है। एशियाई देशों के बारे में चिकित्सीय रिपोर्ट्स पर गौर करें तो चार लाख से ज्यादा लोग हृदय धमनी रोग के चलते काल का ग्रास बनते हैं। धूम्रपान के दुष्प्रभाव पर बोस्टन विश्वविद्यालय के एक वैज्ञानिक की हालिया रिपोर्ट भी सोचने पर मजबूर करती है। इस रिपोर्ट के मुताबिक तंबाकू में एक ऐसा एसीटैल्डिहाइड होता है जो धूम्रपान करने वाले व्यक्ति को शीघ्र बुढ़ापे की ओर खींचता है।

Web Title: Tobacco makes beautiful life ugly

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