दवा के अभाव में मरीजों की जान जाना बेहद चिंताजनक

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: October 4, 2023 09:52 AM2023-10-04T09:52:33+5:302023-10-04T10:02:24+5:30

महाराष्ट्र के सरकारी अस्पतालों में दवाओं की किल्लत का मुद्दा निश्चय ही बहुत गंभीर है। बीते मंगलवार की सुबह तक नांदेड़ के अस्पताल में 31 और छत्रपति संभाजीनगर के सरकारी अस्पताल में 18 मरीजों की मौत हो चुकी थी।

It is very worrying that patients are losing their lives due to lack of medicine | दवा के अभाव में मरीजों की जान जाना बेहद चिंताजनक

फाइल फोटो

Highlightsमहाराष्ट्र के सरकारी अस्पतालों में दवाओं की किल्लत का मुद्दा निश्चय ही बहुत गंभीर हैनांदेड़ के अस्पताल में 31 और छत्रपति संभाजीनगर के अस्पताल में 18 मरीजों की मौत हो चुकी हैइससे पहले बीते अगस्त में ठाणे के अस्पताल में एक ही दिन में 17 मरीजों की मौत हुई थी

महाराष्ट्र के सरकारी अस्पतालों में दवाओं की किल्लत का मुद्दा निश्चय ही बहुत गंभीर है। गंभीर मरीजों को समय पर दवा नहीं मिलने के कारण नांदेड़ और छत्रपति संभाजीनगर के सरकारी अस्पतालों में कई दर्जन मरीजों की मौत हो गई, जिससे परिस्थिति की भयावहता का अनुमान लगाया जा सकता है।

बीते मंगलवार की सुबह तक नांदेड़ के अस्पताल में 31 और छत्रपति संभाजीनगर के सरकारी अस्पताल में 18 मरीजों की मौत हो चुकी थी। हालांकि मरीजों की मौत को लेकर कई तरह के दावे-प्रतिदावे किए जा रहे हैं लेकिन इससे इंकार नहीं किया जा सकता कि सरकारी अस्पतालों में दवाओं की कमी है और इस कमी के लिए चाहे जो भी तर्क दिया जाए, संबंधित अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से पल्ला नहीं झाड़ सकते हैं।

यह तो एक नियत अवधि में एक साथ बहुत से मरीजों की मौत हो गई इसलिए मामला चर्चा में आ गया वरना थोड़ी-थोड़ी संख्या में तो पता नहीं कब से गंभीर मरीजों की मौत हो रही होगी! अभी अगस्त महीने में ही ठाणे के छत्रपति शिवाजी महाराज अस्पताल में एक ही दिन में 17 मरीजों की मौत हो गई थी।

इस समय प्राय: देशभर में मौसम में बदलाव के चलते संक्रामक बीमारियों का प्रकोप है और महाराष्ट्र भी इससे अछूता नहीं है। संपन्न लोग तो सुविधा-संपन्न निजी अस्पतालों में अपना इलाज करा लेते हैं लेकिन निम्न मध्यम वर्ग के अधिकांश लोगों को बीमार पड़ने पर सरकारी अस्पतालों का ही सहारा लेना पड़ता है। इसलिए वहां दवाओं और कर्मचारियों की कमी को, चाहे वह जिस भी कारण से हो, उचित नहीं ठहराया जा सकता।

सभी नागरिकों को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना सरकार का प्राथमिक कर्तव्य है। सरकार अपने इस कर्तव्य का निर्वहन करने की कोशिश भी कर रही है, जिसका एक उदाहरण आयुष्मान भारत योजना या प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना है। भारत सरकार की इस योजना को वर्ष 2018 में पूरे देश में लागू किया गया था और अब अधिक से अधिक नागरिकों को इसका लाभ दिलाने की कोशिश की जा रही है।

लेकिन जब अस्पतालों में दवाइयां ही नहीं रहेंगी, आवश्यक उपकरण नहीं रहेंगे या उनकी मरम्मत के लिए निधि नहीं रहेगी, स्वास्थ्य कर्मचारियों के पद रिक्त रहेंगे तो मरीजों को इसका लाभ मिलेगा कैसे? कम से कम स्वास्थ्य के क्षेत्र में किसी भी तरह की कोई लापरवाही नहीं दिखाई जानी चाहिए। इसलिए नांदेड़ और छत्रपति संभाजीनगर के सरकारी अस्पतालों में मौत के मामलों का संज्ञान लेकर सरकार को तत्काल स्वास्थ्य क्षेत्र को बुनियादी सुविधाओं से लैस करने के लिए कदम उठाना चाहिए।

Web Title: It is very worrying that patients are losing their lives due to lack of medicine

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