लाइव न्यूज़ :

दीनानाथ मंगेशकर अस्पतालः सात महीने की गर्भवती महिला की मौत?, अस्पतालों के रवैये के आगे दम तोड़ते मरीज

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: April 7, 2025 05:57 IST

Dinanath Mangeshkar Hospital: परिवार उसे अस्पताल लेकर पहुंचा था. वहां उनसे अस्पताल ने इलाज के लिए 10 लाख रुपए मांगे थे. वे तुरंत 2.5 लाख रुपए देने को तैयार थे.

Open in App
ठळक मुद्देअस्पताल ने इलाज शुरू करने से मना कर दिया.महिला की हालत बिगड़ गई और उसकी मौत हो गईजन्म लेने वाले बच्चों को सघन चिकित्सा की आवश्यकता थी, जो खर्चीली थी.

Dinanath Mangeshkar Hospital: बीते सप्ताह पुणे के दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल में सात महीने की गर्भवती महिला की मौत का मामला अच्छा खासा गर्माया हुआ है. अस्पताल पर आरोप है कि उसने उन्हें भरती करने से मना कर दिया था. अस्पताल और मरीज दोनों पक्षों के अपने-अपने दावों में बताया गया है कि मृत महिला को गर्भावस्था से जुड़ी परेशानियां हो रही थीं, जिसके चलते उसका परिवार उसे अस्पताल लेकर पहुंचा था. वहां उनसे अस्पताल ने इलाज के लिए 10 लाख रुपए मांगे थे. वे तुरंत 2.5 लाख रुपए देने को तैयार थे.

फिर भी अस्पताल ने इलाज शुरू करने से मना कर दिया. इसके बाद दूसरे अस्पताल में प्रसूति के पश्चात महिला की हालत बिगड़ गई और उसकी मौत हो गई. हालांकि अस्पताल महिला के गर्भधारण से पूर्व की समस्याओं से लेकर गर्भावस्था के बारे में खुलासा कर रहा है. मंगेशकर अस्पताल के अनुसार गर्भधारण के पूर्व महिला का इलाज वहीं हुआ.

लेकिन गर्भवती होने से लेकर सात माह तक दूसरे अस्पताल में इलाज हुआ. जब प्रसूति का समय आया, तब दोबारा वह उनके पास आई. चूंकि महिला के गर्भ में जुड़वां बच्चे थे, इसलिए इलाज सामान्य नहीं था. जन्म लेने वाले बच्चों को सघन चिकित्सा की आवश्यकता थी, जो खर्चीली थी. इसी से बात बिगड़ी और उसे दूसरे अस्पताल ले जाया गया.

इस घटनाक्रम के चलते इलाज में हुई देरी से महिला की हालत खराब हुई. इन्हीं बातों से अस्पताल पर लापरवाही और जीवन से ज्यादा पैसे को महत्व देने का आरोप लगा. यह सही है कि किसी के जीवन से जुड़े मामले में संवेदनशीलता बरतनी चाहिए, लेकिन इसमें अधिक शोर इसलिए हुआ, क्योंकि यह विधान परिषद सदस्य अमित गोरखे के निजी सहायक की पत्नी का मामला था.

जिसके चलते मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पुणे में मृतक महिला के परिवार से मिलने और सांत्वना देने पहुंचे. उन्होंने पूरी गलती अस्पताल की बता कर दोषियों को सजा दिलाने की मांग भी कर दी. मामले को राजनीतिक रंग मिलते ही आंदोलन भी आरंभ हो गए और नेताओं के बयान भी आ गए. सारी बातें मानवता के नजरिये से सही ठहराई जा सकती हैं, लेकिन कार्रवाई की मांग करने वाली सरकार को अस्पतालों के खराब रवैये के पीछे की मजबूरी का कारण बताना चाहिए. क्या वह निजी अस्पतालों के आकर्षण, अच्छी सुविधाएं और उपचार के लिए कोई सहायता देती है?

क्या वह सरकारी योजनाओं के अंतर्गत हुए इलाज की बकाया रकम समय पर चुकाती है. यदि इस परिस्थिति में अपने संचालन बोझ के चलते अस्पताल इलाज में आनाकानी करें तो दोष किसे देना चाहिए? हालांकि इसमें भी दो-राय नहीं कि अनेक अस्पताल उपचार के नाम पर सामान्य मरीजों के साथ ज्यादती करते हैं.

जबकि नेताओं-अभिनेताओं के ‘वीआईपी ट्रीटमेंट’ के लिए तत्पर रहते हैं, जो चिकित्सा के लिए भी दौलत और शोहरत का महत्व सिद्ध करती है. ताजा पुणे के मामले में भी दबाव बनाने के प्रयास हुए, लेकिन वे असफल रहे, जिससे हंगामा हुआ. वैसे पुणे जैसी घटनाओं का दोहराव आए दिन हर शहर में होता है.

लेकिन उनसे निपटने के लिए सरकार अपने चिकित्सा तंत्र को उत्कृष्ट बनाने जैसी कोई पहल नहीं करती है, जिससे लगातार महंगी होती चिकित्सा शिक्षा और व्यवस्था का बोझ मरीजों को ही ढोना पड़ रहा है. इस परिस्थिति में मानवीयता और इंसानी जीवन की दुहाई सुनी-अनसुनी होती ही रहेगी. 

टॅग्स :डॉक्टरमहाराष्ट्रPune
Open in App

संबंधित खबरें

भारतमहाराष्ट्र महागठबंधन सरकारः चुनाव से चुनाव तक ही बीता पहला साल

भारतMaharashtra Civic Poll 2025 UPDATE: पूरे राज्य में मतगणना स्थगित, 21 दिसंबर को नए नतीजे की तारीख तय, सीएम फडणवीस ‘त्रुटिपूर्ण’ प्रक्रिया पर जताई नाराजगी

भारतMaharashtra Local Body Elections: महाराष्ट्र निकाय चुनाव के लिए वोटिंग शुरू, भाजपा और शिवसेना के बीच मुकाबला

भारतMaharashtra Local Body Polls 2025: राज्य के 242 नगर परिषदों और 46 नगर पंचायतों में 2 दिसंबर को मतदान, 3 को होगी मतगणना

भारतमहाराष्ट्र सीएम देवेंद्र फडणवीस ने आखिरी समय में नगर निगम चुनाव टालने के लिए चुनाव आयोग की आलोचना की | VIDEO

स्वास्थ्य अधिक खबरें

स्वास्थ्यपराली नहीं दिल्ली में जहरीली हवा के लिए जिम्मेदार कोई और?, दिल्ली-एनसीआर सर्दियों की हवा दमघोंटू, रिसर्च में खुलासा

स्वास्थ्यखांसी-जुकामः कफ सीरप की बिक्री पर लगाम कसने की कोशिश

स्वास्थ्यपुरुषों की शराबखोरी से टूटते घर, समाज के सबसे कमजोर पर सबसे ज्यादा मार

स्वास्थ्यकश्‍मीर की हवा, कोयला जलाने की आदत, आंखों में जलन, गले में चुभन और सांस लेने में दिक्कत?

स्वास्थ्यखतरनाक धुएं से कब मुक्त होगी जिंदगी?, वायु प्रदूषण से लाखों मौत