ब्लॉग: देश की प्रगति में रोड़ा बन रहा है मधुमेह
By पंकज चतुर्वेदी | Updated: October 15, 2024 06:45 IST2024-10-15T06:44:24+5:302024-10-15T06:45:00+5:30
आज भारत मधुमेह को लेकर बेहद खतरनाक मोड़ पर खड़ा है। जरूरत है कि इस पर सरकार अलग से कोई नीति बनाए जिसमें जांच, दवाओं के लिए कुछ कम तनाव वाली व्यवस्था हो।

ब्लॉग: देश की प्रगति में रोड़ा बन रहा है मधुमेह
मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन और आईसीएमआर के क्लिनिकल ट्रायल में खुलासा हुआ है कि चिप्स, कुकीज, केक, फ्राइड फूड्स और मेयोनीज जैसी चीजों के सेवन से डायबिटीज का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। रिसर्च में कहा गया है कि अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड की वजह से भारत पूरी दुनिया में डायबिटीज की राजधानी बनता जा रहा है।
भारत की वयस्क आबादी का 8.8 प्रतिशत हिस्सा मधुमेह या डायबिटीज की चपेट में है।अनुमान है कि सन् 2045 तक यह संख्या 13 करोड़ को पार कर जाएगी। विदित हो कि यह वह काल होगा जब देश में बुजुर्गों की संख्या भी बढ़ेगी। मधुमेह वैसे तो खुद में एक बीमारी है लेकिन इसके कारण शरीर को खोखला होने की जो प्रक्रिया शुरू होती है उससे मरीजों की जेब भी खोखली हो रही है और देश के मानव संसाधन की कार्य क्षमता पर विपरीत असर पड़ रहा है।
बीते एक साल में सरकारी आंकड़ों के मुताबिक भारत के लोगों ने डायबिटीज या उससे उपजी बीमारियों पर सवा दो लाख करोड़ रुपए खर्च किए जो कि हमारे कुल सालाना बजट का 10 फीसदी है। बीते दो दशक के दौरान इस बीमारी से ग्रस्त लोगों की संख्या में 65 प्रतिशत बढ़ोत्तरी होना भी कम चिंता की बात नहीं है।
बदलती जीवन शैली कैसे मधुमेह को आमंत्रित करती है इसका सबसे बड़ा उदाहरण लेह-लद्दाख है। भीषण पहाड़ी इलाका, लोग खूब पैदल चलते थे, जीवकोपार्जन के लिए खूब मेहनत करनी पड़ती थी, सो लोग कभी बीमार नहीं होते थे। पिछले कुछ दशकों में वहां बाहरी प्रभाव और पर्यटक बढ़े।
उनके लिए घर में जल आपूर्ति की व्यवस्था वाले पक्के मकान बने। बाहरी दखल के चलते यहां अब चीनी यानी शक्कर का इस्तेमाल होने लगा और इसी का कुप्रभाव है कि स्थानीय समाज में अब डायबिटीज जैसे रोग घर कर रहे हैं। ठीक इसी तरह अपने भोजन के समय, मात्रा, सामग्री में परिवेश व शरीर की मांग के मुताबिक सामंजस्य न बैठा पाने के चलते ही अमीर व सुविधा संपन्न वर्ग के लोग मधुमेह में फंस रहे हैं।
एक दवा कंपनी के सर्वे में यह डरावने तथ्य सामने आए हैं कि मधुमेह की चपेट में आए लोगों में से 14.4 फीसदी को किडनी और 13.1 को आंखों की रोशनी जाने का रोग लग जाता है। इस बीमारी के लोगों में 14.4 मरीजों के पैरों की धमनियां जवाब दे जाती हैं जिससे उनके पैर खराब हो जाते हैं. वहीं लगभग 20 फीसदी लोग किसी न किसी तरह की दिल की बीमारी की चपेट में आ जाते हैं।
डायबिटीज वालों के 6.9 प्रतिशत लोगों को न्यूरो अर्थात तंत्रिका से संबंधित दिक्कतें भी होती है। यह तथ्य बानगी है कि भारत को रक्त की मिठास बुरी तरह खोखला कर रही है। आज भारत मधुमेह को लेकर बेहद खतरनाक मोड़ पर खड़ा है। जरूरत है कि इस पर सरकार अलग से कोई नीति बनाए जिसमें जांच, दवाओं के लिए कुछ कम तनाव वाली व्यवस्था हो।