संपादकीयः शिक्षा क्षेत्र में और भी तरक्की की जरूरत 

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: January 18, 2019 01:45 AM2019-01-18T01:45:06+5:302019-01-18T01:45:06+5:30

भारत वर्तमान में युवाओं का देश है. किसी भी अन्य देश की जनसंख्या में इस समय युवाओं का उतना ज्यादा प्रतिशत नहीं है जितना हमारे देश में है. आईटी क्षेत्र में हमारे युवाओं ने दुनिया भर में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है.

times higher education emerging economies: indian education system | संपादकीयः शिक्षा क्षेत्र में और भी तरक्की की जरूरत 

संपादकीयः शिक्षा क्षेत्र में और भी तरक्की की जरूरत 

तुलनात्मक रूप से हमारे लिए यह अच्छी खबर हो सकती है कि इस वर्ष टाइम्स हायर एजुकेशन इमजिर्ग इकोनॉमिक्स की प्रतिष्ठित ‘इमजिर्ग इकोनॉमीज यूनिवर्सिटी रैंकिंग’ में भारत के 49 संस्थानों को जगह मिली है, जबकि पिछले साल हमारे देश के 42 संस्थान ही इस सूची में स्थान पा सके थे. इस साल के 49 संस्थानों में से 25 संस्थान शीर्ष 200 में जगह बनाने में सफल रहे हैं. लेकिन अगर हम अपने देश की जनसंख्या, क्षेत्रफल, अर्थव्यवस्था और देश की प्राचीन विरासत को ध्यान में रखें तो यह संख्या बहुत कम है. 

निश्चित रूप से हमारे पौराणिक इतिहास में ज्ञान-विज्ञान की समृद्ध परंपरा रही है. उपवास, जो कि हमारी धार्मिक परंपरा का अभिन्न अंग रहा है, के बारे में हाल ही में हुए एक अनुसंधान में पाया गया है कि यह अनेक बीमारियों से बचाता है. पेड़-पौधों की रक्षा के लिए हमारे पूर्वजों ने उनमें देवत्व का जो आरोपण किया, वह पर्यावण की रक्षा का एक अभूतपूर्व तरीका था. 

विमानों और शल्य चिकित्साओं के जो वर्णन पुराणों में मिलते हैं, वे हमारी समृद्ध विरासत को ही दर्शाते हैं. लेकिन दुनिया को हम अपनी महानता का परिचय तभी करा सकते हैं जब हमारा वर्तमान समृद्ध हो. सिर्फ अतीत के गुणगान के भरोसे रहने पर हम दुनिया के उपहास का केंद्र ही बनेंगे. इसलिए हमें अपने शिक्षा संस्थानों को विश्वस्तरीय बनाने पर और ज्यादा ध्यान देना होगा. 

भारत वर्तमान में युवाओं का देश है. किसी भी अन्य देश की जनसंख्या में इस समय युवाओं का उतना ज्यादा प्रतिशत नहीं है जितना हमारे देश में है. आईटी क्षेत्र में हमारे युवाओं ने दुनिया भर में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है. यह दुर्भाग्य ही है कि अपने देश में पर्याप्त बुनियादी सुविधाएं और अवसर उपलब्ध नहीं होने से उन्हें अक्सर विदेश का रुख करना पड़ता है. 

विदेशों में उपलब्ध होने वाली जिन सुविधाओं के बल पर वे अपनी प्रतिभा का जौहर दिखाते हैं, अगर वही उन्हें अपने देश में उपलब्ध हों तो भला क्यों वे बाहर जाएंगे? देश के राजनीतिक नेतृत्व को इस बिंदु पर विचार करना होगा और शिक्षा क्षेत्र को राजनीति की तिकड़मों से अलग ही रखना होगा ताकि वे अपनी प्रतिभा से देश को समृद्ध कर सकें. 

Web Title: times higher education emerging economies: indian education system

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