इन गुनहगारों का मन क्या कभी खुद को धिक्कारता होगा?
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: April 5, 2025 07:17 IST2025-04-05T07:17:44+5:302025-04-05T07:17:47+5:30
भारतीय दंड संहिता में इस बात का प्रावधान है कि छेड़खानी करने वालों को एक साल से लेकर पांच साल तक की सजा हो सकती है.

इन गुनहगारों का मन क्या कभी खुद को धिक्कारता होगा?
वहशीपन की ताजा खबर अकोला से आई है जहां एक शिक्षक पर आरोप है कि उसने स्कूल की दस बच्चियों का उत्पीड़न किया. इस स्कूल में कुछ महिला शिक्षक भी हैं लेकिन जब यह घटना हुई, उस दौरान वे सभी एक प्रशिक्षण के सिलसिले में शहर से बाहर थीं. वे लौटीं तो बच्चियों ने उन्हें अपने साथ हुई हरकतों की जानकारी दी. फिर रिपोर्ट दर्ज करा दी गई. आरोपी गिरफ्तार भी हो गया है लेकिन सवाल यह है कि इस तरह की घटनाएं क्यों होती हैं?
बात केवल अकोला की नहीं है, इस तरह की शर्मनाक हरकतों की खबरें देश के हर हिस्से से आती रहती हैं. अगस्त 2023 की घटना शायद आपको याद हो जब हरियाणा में जींद के एक स्कूल की 142 छात्राओं ने लिखित रूप से आरोप लगाया था कि उनके स्कूल के प्रभावशाली प्रिंसिपल ने समय-समय पर एक-एक करके उन्हें अपने कमरे में बुलाया और शर्मनाक तरीके से उनके शरीर को छुआ. कमरे में काला कांच लगा था इसलिए उसकी हरकतों को किसी के देखने का सवाल ही पैदा नहीं होता था.
बच्चियों को उसने धमकाया कि यदि किसी को इस बात की जानकारी दी तो वह लोगों को बताएगा कि तुम एक लड़के के साथ आपत्तिजनक हालत में थी. स्वाभाविक था कि बच्चियां डर गई होंगी क्योंकि ऐसी स्थिति में उनके माता-पिता उन्हें स्कूल भेजना बंद कर सकते थे.
लेकिन किसी तरह यह बात खुल गई. उस मामले को लेकर देशभर में हल्ला मचा लेकिन क्या आपको पता है कि उस मामले में क्या हुआ? मामला लंबा खिंचता गया और लड़कियों ने माता-पिता के दबाव में अपने कदम पीछे खींच लिए. माता-पिता की चिंता यह होती है कि यह जानकारी यदि समाज में फैल गई कि उनकी लड़की के साथ छेड़खानी हुई थी तो उसकी शादी कैसे होगी?
बस यही डर उन्हें कदम पीछे खींच लेने पर मजबूर कर देता है. वहशी मानसिकता के लोग इसी भय का फायदा उठाते हैं. उन्हें लगता है कि बच्ची तो डर के कारण बोलेगी नहीं और परिवार वाले इज्जत के डर से नहीं बोलेंगे! दरअसल इस तरह की घटनाओं को रोकने का एक ही तरीका है कि हर बच्ची को यह समझाया जाए कि यदि उसके साथ किसी तरह की गलत हरकत कोई भी करता है तो वह विरोध करे और घरवालों को बताए. घरवालों को भी समाज में इज्जत की बात को लेकर भयभीत नहीं होना चाहिए.
इज्जत के लिए लड़ना तो प्रतिष्ठा की बात है. इसमें शर्म कैसी. शर्म तो उस अधर्मी को आनी चाहिए जो इस तरह की शर्मनाक हरकत करता है. आश्चर्य तो इस बात को लेकर होता है कि जिस व्यक्ति की मानसिकता इतनी गंदी हो, वह शिक्षक के पद पर पहुंचा कैसे?
क्या नौकरी देने के पहले उसके चरित्र को लेकर कोई खोजबीन नहीं की गई थी? ऐसी खोजबीन नियुक्ति प्रक्रिया का हिस्सा होना चाहिए. इसके अलावा इस बात भी गौर करना चाहिए कि ऐसी हरकतें करने वालों को बिल्कुल समय सीमा में न्याय के तराजू पर तौलना चाहिए. भारतीय दंड संहिता में इस बात का प्रावधान है कि छेड़खानी करने वालों को एक साल से लेकर पांच साल तक की सजा हो सकती है.
लेकिन सवाल है कि कितनों को यह सजा हो पाती है? समाज से लेकर सरकार तक को इस मामले में गंभीर पहल करनी होगी. तभी हम ऐसे वहशी शिक्षकों से अपनी बच्चियों को बचा सकते हैं. मन में एक सवाल और भी आता है कि क्या इन गुनहगारों का मन कभी उन्हें धिक्कारता होगा?