Jalgaon Violence Maharashtra: मंत्री की कार के ड्राइवर ने हॉर्न बजाकर रास्ता मांगा तो लोग नाराज?, लोगों में उग्रता बढ़ना और सहनशीलता घटना चिंताजनक
By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: January 2, 2025 05:34 IST2025-01-02T05:34:24+5:302025-01-02T05:34:24+5:30
Jalgaon Violence Maharashtra: कई वाहनों और दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया, जिसके बाद प्रशासन को वहां कर्फ्यू लगाना पड़ा. मामूली बात पर विवाद इतना बढ़ने की यह कोई इकलौती घटना नहीं है.

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Jalgaon Violence Maharashtra: जलगांव में हॉर्न बजाने के मामूली विवाद पर जिस तरह से आगजनी और तोड़फोड़ की गई, वह बेहद चिंताजनक है. बताया जाता है कि 31 दिसंबर की रात एक मंत्री की कार के ड्राइवर ने हॉर्न बजाकर रास्ता मांगा तो स्थानीय लोग नाराज हो गए और देखते ही देखते विवाद उग्र हो गया. इसके बाद इलाके में आगजनी और तोड़फोड़ शुरू हो गई तथा कई वाहनों और दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया, जिसके बाद प्रशासन को वहां कर्फ्यू लगाना पड़ा. मामूली बात पर विवाद इतना बढ़ने की यह कोई इकलौती घटना नहीं है.
इस घटना के एक दिन पहले ही अर्थात सोमवार की रात मध्य प्रदेश के दतिया जिले में खेत से चारा लेकर लौट रहे ग्रामीण का धक्का लगने को लेकर ही दो पक्ष के लोग आपस में भिड़ गए और उनके बीच सिर्फ लाठी-डंडे ही नहीं बल्कि गोलियां भी चलीं, जिसमें तीन लोग गंभीर रूप से घायल हो गए. 7 दिसंबर को दिल्ली के गोविंदपुरी इलाके में पड़ोसियों के बीच टॉयलेट की सफाई को लेकर शुरू हुआ विवाद इतना बढ़ा कि दो सगे भाइयों पर चाकू से हमला कर दिया गया, जिसमें एक की मौत हो गई. असहिष्णुता सिर्फ परायों के बीच ही नहीं, अपनों में भी बढ़ रही है.
अभी दो दिन पहले ही बांदा में मामूली बात को लेकर दामाद ने अपने ससुर की पिटाई कर दी, जिससे उनकी मौत हो गई. इस तरह की घटनाओं की श्रृंखला अंतहीन है. सवाल है कि लोग आखिर इतने उग्र और असहनशील क्यों हो रहे हैं कि मामूली बातों पर भी आपे से बाहर हो जाते हैं? इसमें कोई शक नहीं कि आधुनिक तकनीकों ने सुख-सुविधाएं बढ़ाकर हमारे जीवन को पहले की तुलना में बहुत आरामदेह बनाया है. लेकिन दु:ख-तकलीफ सहकर पहले के लोग जितने सहनशील होते थे, सुविधाएं बढ़ने के बाद हम उतने ही गुस्सैल होते जा रहे हैं!
शायद हमारे मन में पहले से ही इतना असंतोष और आक्रोश भरा रहता है कि जरा सा मौका मिलते ही वह फूटकर बाहर आ जाता है. किशोरवयीन बच्चों तक में आक्रामकता और उग्रता बेहद चिंताजनक ढंग से बढ़ रही है. इसके लिए हमारा परिवेश भी जिम्मेदार है. वीडियो गेम्स हों या ओटीटी पर आने वाली सीरीज और फिल्में, उनमें हिंसा का इतना बोलबाला रहता है कि उन्हें देखने के आदी लोगों को वह सब सहज लगने लगता है. घर-परिवार में भी बच्चों को शायद वैसी परवरिश नहीं मिल पा रही कि वे बड़े होकर एक सभ्य नागरिक बन सकें.
बच्चे दरअसल सिखाई जाने वाली चीजों को नहीं सीखते बल्कि बड़ों के आचरण का अनुकरण करते हैं. जिस तरह से समाज में दिनोंदिन उग्रता बढ़ती जा रही है वह निश्चित रूप से सबके लिए नुकसानदेह है और इस पर अंकुश लगाने के उपायों पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है.