विजय दर्डा का ब्लॉग: धर्म के धुएं में क्रिकेट को मत घसीटिए जनाब!

By विजय दर्डा | Published: November 1, 2021 09:26 AM2021-11-01T09:26:37+5:302021-11-01T09:29:06+5:30

आईसीसी टी20 वर्ल्ड कप में पाकिस्तानी टीम की जीत पर पाकिस्तान में जश्न स्वाभाविक था लेकिन वहां के गृह मंत्री शेख रशीद ने उस जीत को कीचड़ में लपेट दिया.

Vijay Darda's blog: India vs pakistan Dont drag religion in sports and cricket | विजय दर्डा का ब्लॉग: धर्म के धुएं में क्रिकेट को मत घसीटिए जनाब!

धर्म के धुएं में क्रिकेट को मत घसीटिए

मुझे यह कभी समझ में नहीं आया कि जब भी पाकिस्तान और भारत के बीच क्रिकेट का मैच होता है तो उसे दुश्मनों के बीच जंग की तरह क्यों देखा जाता है? दोनों ही देश के खिलाड़ी लाजवाब हैं और उनके बीच के खेल को प्रतिस्पर्धा के नजरिये से देखा जाना चाहिए. 

बड़ा सीधा सा गणित है कि मौके पर जो अच्छा खेलेगा वो मैच जीतेगा! ..लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि शेख रशीद जैसे मंत्री और हमारे देश के कुछ अंधत्ववादी इस खेल को धर्म के धुएं में घसीटने लगते हैं. आजकल अजीब सा माहौल बन गया है. हर चीज में धर्म को घसीट लेते हैं. खेल भी इससे नहीं छूटा!

पाकिस्तानी टीम की जीत पर पाकिस्तान में जश्न स्वाभाविक था लेकिन वहां के गृह मंत्री शेख रशीद ने उस जीत को कीचड़ में लपेट दिया. हमेशा ही अपने गैरजिम्मेदाराना और बेवकूफाना अंदाज और बयान के लिए कुख्यात रशीद ने टी-20 वर्ल्ड कप में पाकिस्तान की जीत के तुरंत बाद ट्वीट किया- ‘दुनिया के मुसलमान समेत हिंदुस्तान के मुसलमानों के जज्बात पाकिस्तान के साथ हैं. इस्लाम को फतह मुबारक हो. पाकिस्तान जिंदाबाद.’ 

अरे जनाब! क्रिकेट में आपका धर्म कहां से आ गया और क्रिकेट के एक मैच में मिली जीत उस देश के लोगों के धर्म से कैसे जुड़ गई? आपका देश इस्लामिक देश है लेकिन सवाल यह है कि खेल का मैदान क्या धर्म की जंग के लिए है?..और इससे भी बड़ी बात कि शेख रशीद भारतीय मुसलमानों के जज्बात की बात क्यों कर रहे हैं? 
जाहिर सी बात है कि वे हमारे देश में वैमनस्य का बीज बोना चाह रहे हैं. जनाब रशीद! आपको पता होना चाहिए कि हमारा महान देश किसी एक धर्म के आधार पर नहीं चलता. हमारा देश एक गुलशन की तरह है जहां अलग-अलग रंग-रूप और अलग-अलग खुशबू वाले फूल खिलते हैं. हमारी चाहत हर फूल के लिए है. ..और उससे भी बड़ी बात कि हम उस हिंदुस्तान के वासी हैं जो सर्वधर्म समभाव की सदियों से बात करता रहा है. जिसकी लौ खुशबू की तरह फैलती रहती है. 

रशीद साहब, कभी आप भी इसी गुलशन का हिस्सा थे लेकिन आप जैसे लोगों की बेवकूफियों ने पाकिस्तान को जहन्नुम बनाकर रख दिया है. धर्म की अफीम चटाकर आप अपने मुल्क को बेहोशी में रख रहे हैं. अपनी करनी से बर्बाद तो आप हो ही रहे हैं. मगर हम अल्लाहताला से दुआ करते हैं कि आप खत्म होने की राह पर न जाएं क्योंकि अवाम कहीं की भी हो, इस दुनिया का परिवार है. ..और आप पूरी दुनिया के मुसलमानों का प्रतिनिधि कैसे हो सकते हैं? आप तो अपने देश में भी वास्तविक प्रतिनिधि नहीं हैं. 

आपको पता है कि दुनिया के साढ़े बारह प्रतिशत मुसलमान इंडोनेशिया में रहते हैं. 11 प्रतिशत से कुछ ज्यादा मुसलमान पाकिस्तान में रहते हैं तो इससे थोड़ा ही कम भारत में रहते हैं. और हां, किसी मुगालते में मत रहिएगा. भारतीय मुसलमान सौ फीसदी वतनपरस्त हैं. रशीद साहब आपने अब्दुल हमीद और अब्दुल कलाम का नाम तो सुना ही होगा! हम अपने अब्दुल हमीद और अब्दुल कलाम को आज भी पूजते हैं. आप अपने परमाणु वैज्ञानिक कदीर खान के बारे में सोचिए जो चोरी किए गए परमाणु बम के सूत्र बेचता फिर रहा था!

अभी पाकिस्तानी नेता असद उमर ने भी आपत्तिजनक ट्वीट किया. उन्होंने लिखा कि ‘पहले हम उनको हराते हैं और जब जमीन पर गिर जाते हैं तो चाय देते हैं.’ इस तरह की टिप्पणी बेवकूफी नहीं तो और क्या है? पाकिस्तान की ओर से ऐसी हरकतें पहले भी होती रही हैं. 
2007 के टी-20 विश्व कप फाइनल में पाकिस्तान को भारत ने हरा दिया था. तब पाकिस्तान के कप्तान शोएब मलिक ने मुस्लिम दुनिया से माफी मांगी थी. क्यों भाई? पूरी दुनिया के मुसलमानों का रहनुमा पाकिस्तान है क्या? और हां, आपको याद दिला दूं कि पाकिस्तान को हराने में भारतीय गेंदबाज इरफान पठान की सबसे बड़ी भूमिका थी. वे मैन ऑफ द मैच थे. 

इतना ही नहीं शोएब को इरफान ने ही पवेलियन वापस भेजा था. भारतीय टीम में चयन मजहब के आधार पर कभी नहीं होता क्योंकि हम लोकतांत्रिक देश हैं. पाकिस्तानियों को मो. अजहरुद्दीन को याद रखना चाहिए जिनकी कप्तानी में पाक को कई बार शिकस्त मिली.
लेकिन मैं यह भी जानता हूं कि हर पाकिस्तानी ऐसा नहीं है. 

रशीद के बयान की वहां भी काफी मजम्मत हुई है. मुझे लाहौर में खेले गए एक बहुत पुराने मैच की याद आ रही है. उस मैच में भारत जीता था और मेरे मित्र हमीद रहमान तथा सादिया ने पाकिस्तानी होते हुए भी भारत के खेल का सपोर्ट किया था और वहां भारत का तिरंगा फहराया था. यह होती है खेल भावना! ऐसी ही खेल भावना का प्रदर्शन अभी-अभी भारतीय कप्तान विराट कोहली ने भी किया.

मगर जब मुट्ठी भर धर्माध लोग भारतीय टीम के जांबाज खिलाड़ी मोहम्मद शमी को ट्रोल करने लगते हैं तो देश शर्मसार हो जाता है. यही कारण है कि ट्रोल करने वालों के खिलाफ हर क्रिकेटप्रेमी खड़ा हो गया. सबने एक स्वर में कहा कि इस तरह की हरकत बंद होनी चाहिए.  मो. शमी का क्या दोष? बैटिंग लाइन ध्वस्त हो गई तो इसका दोषी दूसरा खिलाड़ी कैसे हो गया? 

ऐसी घटनाओं से देश के अल्पसंख्यकों की भावनाओं को ठेस पहुंचती है. विचारों की अभिव्यक्ति के नाम पर किसी को जहर उगलने की इजाजत कैसे दी जा सकती है? हम वृहद सोच और पूरी दुनिया को वसुधैव कुटुंबकम् का सूत्र देने वाली भूमि के बाशिंदे हैं. नफरत के लिए हमारे जीवन में कोई जगह नहीं होनी चाहिए. हर धर्म आदरणीय है. धर्म अपनी जगह है और खेल बिल्कुल अलहदा विषय है. खेल को खेल की तरह खेलते रहिए!

Web Title: Vijay Darda's blog: India vs pakistan Dont drag religion in sports and cricket

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