विवादों के बीच मिली इस जीत के खास हैं मायने 

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: September 30, 2025 07:14 IST2025-09-30T07:14:20+5:302025-09-30T07:14:25+5:30

अंदरूनी राजनीति, भाई-भतीजा की नीति और सियासी अस्थिरता से पाक क्रिकेट गर्त में समा चुका है.

This victory amidst controversies has special significance Indian Cricket Team Asia Cup 2025 | विवादों के बीच मिली इस जीत के खास हैं मायने 

विवादों के बीच मिली इस जीत के खास हैं मायने 

भारतीय क्रिकेट टीम ने रविवार की रात नौवीं दफा एशिया कप पर कब्जा जमाया लेकिन इस फतह के मायने बिल्कुल अलग हैं. एक तो टूर्नामेंट आरंभ से अंत तक विवादों के दुश्चक्र में उलझा रहा और एशिया कप के 41 साल के इतिहास में पहली बार खिताबी मुकाबला क्रिकेट की दो महाद्वीपीय शक्तियों के दरम्यान खेला गया. टूर्नामेंट में भारतीय खिलाड़ियों ने पाकिस्तान के खिलाफ तीनों मुकाबलों में विवादों को हावी नहीं होने दिया और सारा फोकस अपने प्रदर्शन पर लगाया.

दूसरी बात यह रही कि भारत को पिछले साल टी-20 प्रारूप में विश्व विजेता बनाने में जिस त्रिमूर्ति का योगदान था वह विराट कोहली, रोहित शर्मा और रवींद्र जडेजा इस टीम में नहीं थे लेकिन जो थे उनके दमदार प्रदर्शन से लगता है कि त्रिमूर्ति वाकई सक्षम हाथों में भारतीय क्रिकेट की विरासत सौंपकर रवाना हुई. अभिषेक शर्मा, शुभमन गिल, तिलक वर्मा, शिवम दुबे जैसे युवा खिलाड़ियों ने कप्तान सूर्यकुमार यादव समेत हार्दिक पंड्या, कुलदीप यादव, जसप्रीत बुमराह और अक्षर पटेल के तजुर्बे पर जीत की इमारत खड़ी कर दी.

हालांकि रिंकू सिंह ने पूरे टूर्नामेंट में केवल एक ही गेंद खेली और चौके के साथ भारत को चैंपियन बनाया, वहीं बाएं हाथ के तेज गेंदबाज अर्शदीप को केवल दो ही मुकाबलों में मौका मिला लेकिन यह दोनों भी समय-समय पर अपनी काबिलियत का प्रमाण दे चुके हैं. भारत को अगले साल अपनी ही मेजबानी में टी-20 विश्व कप टूर्नामेंट का आयोजन करना है. इस लिहाज से एशिया कप में जीत से भारतीय टीम की हैसियत का पता चल जाता है. बेशक भारत जीता लेकिन कप्तान सूर्यकुमार यादव के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं.

उन्हें प्रदर्शन में सुधार करना ही होगा. वह टूर्नामेंट के सात मुकाबलों में 18 की औसत से 72 रन ही बना सके. फाइनल में फिनिशर की भूमिका निभाने का अच्छा मौका मुंबई के इस बल्लेबाज के पास था लेकिन वह टिक नहीं सका. कप्तान को अपना प्रदर्शन एक नजीर बनाकर पेश करना होगा. बहरहाल, टूर्नामेंट में भारत-पाकिस्तान के मुकाबले दर्शकों के लिए और खासकर प्रसारकों के लिए एक बोनांजा साबित हुए. क्रिकेट प्रेमियों के लिए मनोरंजन तो था ही लेकिन प्रसारकों की भी इसमें पौ बारह हो गई.

आयोजक भी गद्गद् हो गए. इसी वजह से भारत और पाकिस्तान को हर बहुराष्ट्रीय प्रतियोगिता में एक ही ग्रुप में रखा जाता है. इन दोनों चिर प्रतिद्वंद्वियों के बीच भिड़ंत यानी मनोरंजन के अलावा भरपूर आय की ‘फुल गारंटी’ है. लेकिन विवादों ने इस टूर्नामेंट का अंत तक दामन नहीं छोड़ा, जो दुखद पहलू है. भारत के पाकिस्तान के खिलाफ नहीं खेलने की मांग से लेकर एशियाई क्रिकेट परिषद के चेयरमैन मोहसिन नकवी के हाथों ट्रॉफी स्वीकार नहीं करने तक विवाद गरमाते रहे.

अगर एक विशुद्ध क्रिकेट प्रेमी की निगाहों से इस पर गौर करें तो यह उचित नहीं लगता. पाकिस्तान की अगर बात करें तो दहशतगर्दी का गढ़ रहा यह मुल्क फाइनल में कैसे स्थान बना सका यही आश्चर्य की बात है. अंदरूनी राजनीति, भाई-भतीजा की नीति और सियासी अस्थिरता से पाक क्रिकेट गर्त में समा चुका है.

पाकिस्तानियों में विदेशी कोच को लेकर जबर्दस्त आकर्षण होता है लेकिन हालात को जानने के बाद विदेशी कोेच भी यहां रहना नहीं चाहता. पिछले चार सालों में पाकिस्तानी टीम ने छह कोचों की सेवाएं ली हैं जो टीम के गंदले वातावरण को इंगित करता है. एक भी कोच इस टीम को फर्श से नहीं उठा सका.

Web Title: This victory amidst controversies has special significance Indian Cricket Team Asia Cup 2025

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