स्विस संगठन ‘आईक्यू एयर’ द्वारा हाल ही में 2021 की ‘वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट’ जारी की गई है, जिसमें दुनियाभर के कुल 117 देशों के 6475 शहरों के डाटा का विश्लेषण करने के बाद यह निष्कर्ष सामने आया है कि विश्व का कोई भी शहर ऐसा नहीं है, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा निर्धारित किए गए मानकों पर खरा उतरता हो.
डब्ल्यूएचओ की यूएन एनवायरनमेंट प्रोटेक्शन एजेंसी द्वारा इस रिपोर्ट के आधार पर विश्वभर के शहरों की एयर क्वालिटी की जो रैंकिंग जारी की गई है, उसके मुताबिक वायु प्रदूषण के मामले में भारत की स्थिति तो बेहद खराब है. इस रिपोर्ट के मुताबिक हालांकि दुनिया के सर्वाधिक प्रदूषित देशों में भारत छठे स्थान पर है लेकिन चौंकाने वाली स्थिति यह है कि प्रदूषण पर लगाम लगाने की तमाम कवायदों के बावजूद देश की राजधानी दिल्ली फिर से दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी के रूप में सामने आई है.
इतना ही नहीं, दुनियाभर के 50 सबसे ज्यादा खराब एयर क्वालिटी वाले शहरों में से 35 शहर तो भारत के ही हैं. भारत के संदर्भ में रिपोर्ट का सार यही है कि राजधानी दिल्ली के अलावा भी देश के अधिकांश स्थानों पर लोग प्रदूषित हवा में सांस लेने को विवश हैं, जिस कारण उनमें तमाम गंभीर बीमारियों का खतरा तेजी से बढ़ रहा है.
वायु प्रदूषण स्वास्थ्य पर गंभीर असर डालते हुए कई गंभीर बीमारियों का कारण तो बनता ही है, साथ ही इससे किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को भी बहुत बड़ी चोट पहुंचती है.
विशेषज्ञों का अनुमान है कि वायु प्रदूषण संकट की आर्थिक लागत भारत जैसे देश के लिए सालाना 150 अरब डॉलर से भी ज्यादा हो सकती है. प्रदूषित हवा में सांस लेने के कारण ही कैंसर, महिलाओं में गर्भपात की समस्या, गंभीर मानसिक समस्याओं के अलावा भी तरह-तरह की बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है.