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आखिर क्यों लुढ़क रहा है हमारा रुपया, ये है वजह?

By भरत झुनझुनवाला | Updated: September 4, 2018 04:11 IST

जब विदेशी मुद्रा बाजार में डॉलर की सप्लाई अधिक हो जाती है तो डॉलर के दाम गिरते हैं और तदनुसार रुपए का दाम ऊंचा होता है। इसके विपरीत जब विदेशी मुद्रा बाजार में डॉलर की डिमांड बढ़ जाती है तो डॉलर का दाम बढ़ जाता है और तदनुसार रुपए का दाम गिरता है जैसा कि वर्तमान में हो रहा है।

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रुपए का मूल्य गिर रहा है। कई वर्षो से रुपए का मूल्य लगभग 64 रुपए प्रति डॉलर था जो इस समय घटकर 70 रुपए प्रति डॉलर के ऊपर हो गया है। रुपए का यह मूल्य हमारे विदेशी मुद्रा बाजार में निर्धारित होता है। यह बाजार एक मंडी सरीखा है। मंडी में आलू का दाम इस बात पर निर्भर करता है कि विक्रे ता कितने हैं, और खरीददार कितने हैं। इसी प्रकार रुपए का दाम विदेशी मुद्रा बाजार में इस बात पर निर्भर करता है कि डॉलर की सप्लाई कितनी है और डिमांड कितनी है। 

जब विदेशी मुद्रा बाजार में डॉलर की सप्लाई अधिक हो जाती है तो डॉलर के दाम गिरते हैं और तदनुसार रुपए का दाम ऊंचा होता है। इसके विपरीत जब विदेशी मुद्रा बाजार में डॉलर की डिमांड बढ़ जाती है तो डॉलर का दाम बढ़ जाता है और तदनुसार रुपए का दाम गिरता है जैसा कि वर्तमान में हो रहा है।

रुपए के मूल्य में गिरावट के कारण जानने के लिए हमें देखना होगा कि डॉलर की सप्लाई कम क्यों है और डिमांड ज्यादा क्यों है? पहले सप्लाई को लें। डॉलर की सप्लाई का प्रमुख स्रोत हमारे निर्यात हैं। हमारे उद्यमी जब इलेक्ट्रॉनिक उपकरण अथवा गलीचे का निर्यात करते हैं तो विदेशी खरीददार उसका पेमेंट डॉलर में करते हैं। हमारे निर्यातक इन डॉलर को हमारे विदेशी मुद्रा बाजार में बेचते हैं और इनके बदले रुपए खरीदते हैं। डॉलर की सप्लाई कम होने का प्रमुख कारण यह है कि हमारे निर्यात कम हो रहे हैं। इसलिए निर्यातकों द्वारा कम मात्ना में डॉलर अर्जित किए जा रहे हैं। 

डॉलर की सप्लाई कम होने का दूसरा कारण विदेशी निवेश में गिरावट है। विदेशी निवेशक डॉलर को भारतीय मुद्रा में बेचकर रुपए में बदलते हैं और तब उस रुपए का भारत में निवेश करते हैं। जनवरी से अप्रैल 2017 में विदेशी निवेशकों ने 1400 करोड़ डॉलर का भारत में निवेश किया था। जनवरी से अप्रैल 2018 में यह रकम गिरकर मात्न 30 करोड़ रह गई है। इसलिए विदेशी निवेश से डॉलर की सप्लाई कम आ रही है। 

डॉलर की डिमांड ज्यादा होने का एक और कारण यह है कि भारत से अमीर लोग पलायन कर रहे हैं। वे भारत की नागरिकता छोड़कर अपनी पूंजी को भारत से दूसरे देशों में ले जा रहे हैं और वहां की नागरिकता स्वीकार कर रहे हैं। इस कार्य के लिए भी वे रु पयों को विदेशी मुद्रा बाजार में जमा करके डॉलर खरीद रहे हैं।

दूसरी तरफ हमारे विदेशी मुद्रा बाजार में हमारी डॉलर की डिमांड बढ़ रही है। इसका एक कारण कच्चे ईंधन तेल के दाम में वृद्धि है। अमेरिका में अर्थव्यवस्था तीव्र गति से बढ़ रही है। इससे अमेरिका में तेल की डिमांड बढ़ रही है और विश्व बाजार में कच्चे तेल के दाम 60 रुपए प्रति बैरल से बढ़कर वर्तमान में 80 रुपए प्रति बैरल हो गया है। 

इसी क्रम में हमारे दूसरे आयातों में भी वृद्धि हो रही है। चीन से खिलौने, फुटबाल आदि का आयात भारी मात्ना में हो रहा है। इन आयात के लिए हमारे आयातक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपए जमा करते हैं और डॉलर खरीदते हैं। आयातकों द्वारा रुपए ज्यादा मात्ना में हमारे विदेशी मुद्रा बाजार में जमा किए जा रहे हैं और तदनुसार डॉलर की डिमांड बढ़ रही है। 

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