Vibrant Gujarat Conference: 2047 तक भारत 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के साथ दुनिया का विकसित देश बनेगा!, वैश्विक विकास का केंद्र बनता भारत
By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Published: January 22, 2024 08:03 AM2024-01-22T08:03:46+5:302024-01-22T08:04:39+5:30
Vibrant Gujarat Conference: भारत की ओर वैश्विक कंपनियों के कदम तेजी से बढ़ रहे हैं, वहीं विदेशी निवेश छलांगें लगाकर बढ़ रहा है.
Vibrant Gujarat Conference: पिछले दिनों 10 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अहमदाबाद में वाइब्रेंट गुजरात सम्मेलन का शुभारंभ करते हुए कहा कि वैश्विक अस्थिरता के इस दौर में भारत एक उम्मीद की किरण के साथ वैश्विक विकास के इंजन के तौर पर स्थापित हुआ है. जहां भारत की ओर वैश्विक कंपनियों के कदम तेजी से बढ़ रहे हैं, वहीं विदेशी निवेश छलांगें लगाकर बढ़ रहा है.
दुनिया की प्रमुख रेटिंग एजेंसियां एकमत से कह रही हैं कि कुछ वर्षों में भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा. सम्मेलन में जहां वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि वर्ष 2028 तक पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगा, नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रमण्यम ने कहा कि 2047 तक भारत 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के साथ दुनिया का विकसित देश बन जाएगा.
इसमें कोई दो मत नहीं कि इस समय भारत के पास टिकाऊ विकास के अभूतपूर्व अवसर हैं. वैश्विक राजनीतिक और आर्थिक मंचों पर भारत को विशेष अहमियत, अमेरिका और रूस दोनों महाशक्तियों के साथ भारत की मित्रता, तेजी से बढ़ते भारतीय बाजार के कारण दुनिया के अधिकांश देशों की भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) की ललक, प्रवासी भारतीयों के द्वारा वर्ष 2023 में 125 अरब डॉलर से अधिक धन भारत को भेजने के साथ नए आर्थिक तकनीकी विकास के लिए बढ़ते कदम, चीन के प्रति बढ़ती नकारात्मकता के मद्देनजर भारत नए वैश्विक आपूर्तिकर्ता देश के रूप में उभरकर सामने आया है.
यद्यपि दुनियाभर में भारत वर्ष 2024 में सबसे तेजी से बढ़ने वाली आकर्षक अर्थव्यवस्था वाले देश के रूप में रेखांकित हो रहा है, लेकिन फिर भी कई आर्थिक चुनौतियों पर भी ध्यान देना होगा. देश के सामने वर्ष 2024 में डॉलर की तुलना में रुपए के गिरते हुए मूल्य की चुनौती भी है. जनवरी 2024 के पहले सप्ताह में डॉलर की तुलना में रुपया 84 के स्तर पर दिखा है.
भारत को आईएमएफ की उस चेतावनी पर भी ध्यान देना होगा जिसमें कहा गया है कि भारत में केंद्र और राज्यों का सामान्य सरकारी कर्ज जीडीपी के 100 फीसदी के पार पहुंच सकता है. साथ ही भारत के आर्थिक रणनीतिकारों को वैश्विक आर्थिक प्रतिकूल परिस्थितियों के मद्देनजर रक्षात्मक रणनीति बनाने के लिए भी तैयार रहना होगा.