वरुण कपूर का ब्लॉगः वैकल्पिक मार्केटिंग मॉडल से कमाई

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: November 25, 2018 04:53 AM2018-11-25T04:53:03+5:302018-11-25T04:53:03+5:30

फेसबुक के मालिक जुकरबर्ग पर बहुत दबाव था कि वे फेसबुक के काम करने के तरीके में बदलाव लाएं. लेकिन उनका जवाब सीधा था कि फेसबुक वैकल्पिक मार्केटिंग मॉडल पर काम करता है और इसमें कोई भी बदलाव संभव नहीं था.

Varun Kapoor's blog: Earning from Alternative Marketing Model | वरुण कपूर का ब्लॉगः वैकल्पिक मार्केटिंग मॉडल से कमाई

सांकेतिक तस्वीर

- वरुण कपूर
आज हम सूचना के युग में रह रहे हैं. आज सबसे बड़ी ताकत सूचना ही है. आज के समय में जो डाटा को नियंत्रित करता है, उसी के पास दुनिया का नियंत्रण है. 

गूगल अल्फाबेट जैसी कंपनी इस समय की सबसे बड़ी कंपनियों में से है. क्या यह जहाज, विमान, टैंक या यहां तक कि साबुन या वाशिंग पाउडर जैसी किसी वस्तु का उत्पादन करती है? नहीं, यह ऐसा नहीं करती. यह सिर्फ सॉफ्टवेयर का निर्माण करती है और डाटा प्रबंधित करती है.

यही बात माइक्रोसॉफ्ट, फेसबुक, व्हाट्सएप्प और ऐसी ही अन्य कंपनियों के बारे में कही जा सकती है. ये कंपनियां भी किसी वस्तु का उत्पादन नहीं करतीं, बल्कि उपयोगकर्ताओं के डाटा का संग्रहण और प्रबंधन करती हैं. फिर भी इनकी कीमत इतनी है जो दिमाग को चकरा देने वाली है. सवाल है कि आखिर ये आईटी दिग्गज कहां से पैसा हासिल करते हैं. इसका उत्तर ‘आल्टरनेट मार्केटिंग मॉडल’ में छिपा हुआ है.

ये कंपनियां उपयोगकर्ताओं द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली महत्वपूर्ण जानकारियों को बेचकर पैसा हासिल करती हैं. लघुरूपण प्रौद्योगिकी में तेजी से प्रगति के कारण छोटे से स्पेस में अविश्वसनीय रूप से विशाल डाटा को संगृहीत कर पाना संभव हो गया है. इस संगृहीत डाटा का विश्लेषण करके इन तकनीकी दिग्गजों द्वारा बेच दिया जाता है.  जब कैंब्रिज एनालिटिका घोटाला हुआ तो उपयोगकर्ताओं के डाटा की गोपनीयता का मुद्दा उभरा था.

तब फेसबुक के मालिक जुकरबर्ग पर बहुत दबाव था कि वे फेसबुक के काम करने के तरीके में बदलाव लाएं. लेकिन उनका जवाब सीधा था कि फेसबुक वैकल्पिक मार्केटिंग मॉडल पर काम करता है और इसमें कोई भी बदलाव संभव नहीं था. ऐसा इसलिए था क्योंकि अगर उन्होंने आय अजिर्त करने के अपने मॉडल को बदल दिया और   उपयोगकर्ताओं से चार्ज करना शुरू कर दिया तो सेवाएं इतनी महंगी हो जाएंगी कि अधिकांश उपयोगकर्ता इसे वहन नहीं कर पाएंगे! यही कारण था कि बात आगे नहीं बढ़ी. 


लेकिन वे हमारे द्वारा प्रदान किए जाने वाले डाटा को इतनी आसानी से कैसे बेच लेते हैं? साधारणत: यह धोखाधड़ी का मामला होना चाहिए. लेकिन ऐसा नहीं होता क्योंकि हम उनकी शर्तो पर पहले ही उनसे सहमत हो चुके होते हैं. हम उन्हें अपना डाटा एकत्र करने और बेचने का पूरा अधिकार दे देते हैं. इसलिए दो स्तरीय सुरक्षा जरूरी है. सबसे पहले हमें यह तय करना होगा कि नेट दिग्गजों को हम कितनी और किस प्रकार की जानकारी देंगे.

इसे विनियमित और सीमित किया जाना चाहिए. दूसरा, हमें यह भी तय करना चाहिए कि कौन से एप्प डाउनलोड करना और अकाउंट बनाना चाहते हैं. सभी एप्प डाउनलोड नहीं करने चाहिए और न ही हर तरह के अकाउंट बनाने चाहिए. इस क्षेत्र में नियंत्रण आवश्यक है. ऐसा करके ही हम अपनी जानकारियों को प्रभावी रूप से सुरक्षित रख सकते हैं.

Web Title: Varun Kapoor's blog: Earning from Alternative Marketing Model

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