रूस और यूक्रेन का युद्धः दुनियाभर से गेहूं निर्यात के लिए मांग बढ़ी, जानें क्या है कारण

By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Published: March 21, 2022 01:58 PM2022-03-21T13:58:49+5:302022-03-21T14:00:11+5:30

अमेरिका के प्रमुख न्यूज पेपर ‘द इकोनॉमिस्ट’ में प्रकाशित आलेख में कहा गया है कि यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद पूरे विश्व में खाद्यान्न की आपूर्ति प्रभावित हुई है.

Russia and Ukraine War Demand increase wheat export India all over world what reason Jayantilal Bhandari blog | रूस और यूक्रेन का युद्धः दुनियाभर से गेहूं निर्यात के लिए मांग बढ़ी, जानें क्या है कारण

रूस और यूक्रेन मिलकर वैश्विक गेहूं आपूर्ति के लगभग एक चौथाई हिस्से का निर्यात करते हैं.

Highlightsपहले विश्वयुद्ध के बाद इस समय गेहूं की आपूर्ति सबसे अधिक प्रभावित हुई है. 24 फरवरी को यूक्रे न पर रूस के हमले के बाद गेहूं के मूल्य 30 फीसदी से अधिक बढ़ गए हैं. भारत गेहूं सहित खाद्यान्न निर्यात की बढ़ी हुई मांग को पूरा करने के अवसर का लाभ उठा सकता है.

इस समय देश में गेहूं निर्यात का अभूतपूर्व परिदृश्य दिखाई दे रहा है. जैसे-जैसे रूस और यूक्रेन का युद्ध आगे बढ़ता जा रहा है, वैसे-वैसे दुनियाभर से भारत के पास गेहूं निर्यात के लिए मांग बढ़ती जा रही है और भारत लगातार मांग की पूर्ति भी करता दिखाई दे रहा है.

 

हाल ही में अमेरिका के प्रमुख न्यूज पेपर ‘द इकोनॉमिस्ट’ में प्रकाशित आलेख में कहा गया है कि यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद पूरे विश्व में खाद्यान्न की आपूर्ति प्रभावित हुई है. खासतौर से पहले विश्वयुद्ध के बाद इस समय गेहूं की आपूर्ति सबसे अधिक प्रभावित हुई है. 24 फरवरी को यूक्रे न पर रूस के हमले के बाद गेहूं के मूल्य 30 फीसदी से अधिक बढ़ गए हैं.

ऐसे में भारत गेहूं सहित खाद्यान्न निर्यात की बढ़ी हुई मांग को पूरा करने के अवसर का लाभ उठा सकता है. उल्लेखनीय है कि रूस और यूक्रेन मिलकर वैश्विक गेहूं आपूर्ति के लगभग एक चौथाई हिस्से का निर्यात करते हैं. लेकिन युद्ध के चलते इन देशों से गेहूं की वैश्विक आपूर्ति रुक गई है. कृषि मंत्नालय के द्वारा प्रस्तुत खाद्यान्न उत्पादन के दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार, फसल वर्ष 2021-22 में देश में कुल खाद्यान्न उत्पादन रिकॉर्ड 31.60 करोड़ टन पर पहुंच जाने का अनुमान है, जो पिछले फसल वर्ष में 31.07 करोड़ टन रहा था.

इस वर्ष गेहूं का उत्पादन रिकॉर्ड 11.13 करोड़ टन रहने का अनुमान है. गेहूं का उत्पादन पिछले वर्ष 10.95 करोड़ टन रहा था. 2021-22 के दौरान चावल का कुल उत्पादन 12.79 करोड़ टन रिकॉर्ड अनुमानित है. साथ ही इस साल तिलहन उत्पादन 3.71 करोड़ टन रह सकता है, जो पिछले साल के 3.59 करोड़ टन से ज्यादा है.

कृषि मंत्नी नरेंद्र सिंह तोमर के मुताबिक सभी प्रमुख फसलों के एमएसपी में उत्साहजनक वृद्धि, पीएम किसान के मार्फत जनवरी 2022 तक 11.30 करोड़ से अधिक किसानों को 1.82 लाख करोड़ रुपयों की सराहनीय आर्थिक मदद, कृषि क्षेत्न में शोध एवं नवाचार को बढ़ावा और विभिन्न कृषि विकास की योजनाओं से कृषि क्षेत्न में उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है.

ऐसे विभिन्न प्रयासों का ही परिणाम है कि वल्र्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन के द्वारा प्रकाशित वैश्विक कृषि व्यापार में रुझान रिपोर्ट 2021 के तहत दुनिया में कृषि निर्यात में भारत ने नौवां स्थान हासिल किया है. देश के कुल निर्यात में कृषि की हिस्सेदारी 11 प्रतिशत से अधिक हो गई है और जीडीपी में कृषि निर्यात का योगदान करीब 1.6 प्रतिशत हो गया है.

देश से कृषि निर्यात बढ़ने के कई कारण दिखाई दे रहे हैं. कृषि निर्यात नीति-2018 का सकारात्मक परिणाम मिलने लगा है. इस नीति में निर्यात के बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने पर पूरा जोर है. सरकार ने नई कृषि निर्यात नीति के तहत ज्यादा मूल्य और मूल्यवर्धित कृषि निर्यात को बढ़ावा दिया है. निर्यात किए जाने वाले कृषि जिंसों के उत्पादन व घरेलू दाम में उतार-चढ़ाव पर लगाम लगाने के लिए रणनीतिक कदम उठाए हैं. कृषि निर्यात की प्रक्रि या के मध्य खराब होने वाले सामान और कृषि पदार्थो की साफ-सफाई के मसले पर विशेष ध्यान केंद्रित किया है.

साथ ही राज्यों की कृषि निर्यात में ज्यादा भागीदारी, बुनियादी ढांचे और लॉजिस्टिक्स में सुधार और नए कृषि उत्पादों के विकास में शोध एवं विकास गतिविधियों को प्रोत्साहन दिया है. कृषि निर्यात संबंधी विभिन्न चुनौतियों से निपटने के लिए कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) ने विशिष्ट वर्चुअल वैश्विक कृषि व्यापार मेलों और देश के कृषि पदार्थो के निर्यातकों के साथ वैश्विक खरीदारों की अलग-अलग इंटरैक्शन मीट आयोजित की है. इतना ही नहीं, एपीडा ने कृषि निर्यात से विभिन्न विभागों के साथ निकट समन्वय स्थापित किया है.

निर्यात को बढ़ाने के लिए दिन-प्रतिदिन के आधार पर कृषि निर्यातकों के साथ संपर्क बनाए रखा है. हम उम्मीद करें कि रूस-यूक्रेन संकट से भारतीय खाद्यान्न निर्यातकों के लिए निर्मित खाद्यान्न निर्यात की नई मांग के कारण 31 मार्च तक चालू वित्त वर्ष 2021-22 में कृषि निर्यात के 43 अरब डॉलर के लक्ष्य को सरलता से प्राप्त कर लिया जाएगा तथा आगामी वित्त वर्ष 2022-23 में कृषि निर्यात के 60 अरब डॉलर के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को भी हासिल करने के लिए तेजी से आगे बढ़ा जा सकेगा.

Web Title: Russia and Ukraine War Demand increase wheat export India all over world what reason Jayantilal Bhandari blog

कारोबार से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे