Rural Economy: ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर ध्यान, कृषि को ट्रांसफॉर्म करना समय की मांग
By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Updated: August 20, 2024 05:17 IST2024-08-20T05:17:05+5:302024-08-20T05:17:05+5:30
Rural Economy: भारत में कृषि सेक्टर में सुधार और ग्रामीण खपत में वृद्धि के मद्देनजर भारत की विकास दर के अनुमान बढ़ाए जा रहे हैं.

सांकेतिक फोटो
Rural Economy: 15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से देश को संबोधित करते हुए ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर ध्यान केंद्रित किया और कहा कि कृषि व्यवस्था को ट्रांसफॉर्म करना समय की मांग है. उन्होंने कहा कि सरकार के द्वारा कृषि व ग्रामीण विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दिए जाने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है. इसी के मद्देनजर इन दिनों प्रकाशित हो रही वैश्विक आर्थिक संगठनों और वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों की रिपोर्टों में भारत में कृषि सेक्टर में सुधार और ग्रामीण खपत में वृद्धि के मद्देनजर भारत की विकास दर के अनुमान बढ़ाए जा रहे हैं.
हाल ही में एशियाई विकास बैंक (एडीपी) के द्वारा जारी रिपोर्ट में चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए भारत की विकास दर को 6.7 प्रतिशत से बढ़ाकर 7 फीसदी कर दिया गया है. इसी तरह अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भारत के विकास दर अनुमान को 6.8 प्रतिशत से बढ़ाकर 7 फीसदी, ओईसीडी ने 6.2 से बढ़ाकर 6.6 प्रतिशत, स्टैंडर्ड चार्टर्ड ने 6.3 से बढ़ाकर 7 प्रतिशत तथा फिच ने 7 से बढ़ाकर 7.2 प्रतिशत किया है. इसमें कोई दो मत नहीं है कि सरकार को इस वर्ष जो बेहतर मानसून विरासत में मिला है, उससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था रफ्तार से बढ़ रही है.
पूरे देश के कोने-कोने में बेहतर मानसून के लाभ दिखाई देने लगे हैं. बेहतर मानसून से ग्रामीण इलाके में खपत बढ़ रही है. बढ़ते हुए कृषि उत्पादन और ग्रामीण भारत के विकास के लिए सरकारी योजनाओं के तहत किए गए भारी व्यय तथा स्वरोजगार की ग्रामीण योजनाओं से ग्रामीण परिवारों की आमदनी में तेज इजाफे के साथ उनकी क्रयशक्ति बढ़ी है.
ऐसे में भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रामीण अधिक खर्च कर रहे हैं. कृषि संबंधी संसाधनों की अधिक बिक्री हो रही है और गांवों में उपभोक्ता सामानों की खरीदारी भी उच्च स्तर पर है. यह सब ग्रामीण भारत में भविष्य के प्रति उत्साह और वर्तमान के बेहतर परिणामों का प्रतीक है.
हाल ही में 12 अगस्त को राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के द्वारा जारी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा महंगाई के आंकड़ों के अनुसार जुलाई 2024 में खुदरा महंगाई दर घटकर 3.54 फीसदी रह गई है, जबकि जून 2024 में खुदरा महंगाई दर 5.08 प्रतिशत थी.
खुदरा महंगाई दर पिछले 5 वर्षों के सबसे कम ऐसे स्तर पर पहुंच गई है, जो कि रिजर्व बैंक के द्वारा निर्धारित 4 प्रतिशत के लक्ष्य से भी नीचे है. निस्संदेह इस समय किसानों की आमदनी बढ़ाने और देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को संवारने के लिए सरकार की महत्वपूर्ण पहल उभरकर दिखाई दे रही है.
गौरतलब है कि कृषि अनुसंधान को बढ़ावा देने के अभियान के तहत 11 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) परिसर के खेतों में जाकर 61 फसलों की 109 नई एवं उन्नत किस्में जारी करते हुए कहा कि इनसे देश में कम जमीन में अधिक पैदावार लेने और किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिल सकेगी.
इससे महंगाई से भी बचाव होगा. केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के मुताबिक वर्ष 2024-25 के बजट के तहत किसानों के कल्याण और कृषि को विकास का इंजन बनाने की रणनीति के तहत किसानों के हित में कृषि व ग्रामीण क्षेत्र की क्षमता के दोहन के जो अभूतपूर्व कदम आगे बढ़ाए गए हैं, उनसे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकी जा सकेगी.
इस बजट के माध्यम से कृषि सेक्टर के लिए 1.52 लाख करोड़ रुपए सुनिश्चित किए गए हैं. निश्चित रूप से सरकार के द्वारा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को संवारने की डगर पर आगे बढ़ते हुए कई अहम बातों पर ध्यान दिया जाना होगा. सरकार के द्वारा कृषि प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल, कृषि में मशीनीकरण को बढ़ाए जाने, जलवायु अनुकूल कृषि-खाद्य प्रणाली अपनाए जाने, अधिक ग्रामीण कच्ची सड़कों को मंडियों से जोड़ने जैसी नीतिगत प्राथमिकताओं के साथ-साथ आपूर्ति श्रृंखला में सुधार से खाद्य वस्तुओं की महंगाई को नियंत्रित रखने के कारगर प्रयासों की डगर पर लगातार आगे बढ़ना होगा.
हम उम्मीद करें कि 11 अगस्त को सरकार ने 61 फसलों की 109 नई एवं उन्नत किस्मों से किसानों की आय बढ़ाने की जो पहल की है, उसके लाभों और प्रयोग के बारे में किसानों को उपयुक्त रूप से प्रशिक्षित किया जाएगा. वर्ष 2024-25 के नए बजट से कृषि और ग्रामीण विकास को रफ्तार देने के जो रणनीतिक कदम बताए गए हैं, उनके क्रियान्वयन पर शुरुआत से ही ध्यान दिया जाएगा.
इन सबके साथ-साथ सरकार के द्वारा बेहतर मानसून की शक्ति को मुट्ठी में लेकर कृषि सुधारों की डगर पर तेजी से आगे बढ़ा जाएगा. निश्चित रूप से ऐसे में जहां छोटे किसानों व ग्रामीण भारत के करोड़ों लोगों की खुशियां बढ़ेंगी, वहीं ग्रामीण अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ते हुए दिखाई दे सकेगी.