Plane malfunctions passengers worried: पिछले काफी समय से विमानों में खराबी आने के चलते जिस तरह से विमान यात्रियों को परेशान होना पड़ रहा है, उससे हवाई यात्रा के बारे में लोगों की धारणा अच्छी नहीं बन रही है. ताजा मामले में गुरुवार की सुबह बांग्लादेश के चटगांव से दुबई के लिए रवाना हुए विमान के एक इंजन में खराबी और लैंडिंग गियर के पास से धुआं उठने के बाद फ्लाइट की नागपुर के डॉ. बाबासाहब आंबेडकर अंतरराष्ट्रीय विमानतल पर इमरजेंसी लैंडिंग कराई गई. विमान में 170 यात्री सवार थे, जिन्हें दूसरे विमान के पहुंचने तक करीब 8 घंटे नागपुर एयरपोर्ट में अटके रहना पड़ा.
अभी दो दिन पहले ही दिल्ली से दरभंगा जा रही स्पाइसजेट की फ्लाइट में भीषण गर्मी के बीच एसी न चलने से यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा था और इससे कई यात्रियों की तबीयत भी खराब हो गई. चार दिन पहले दिल्ली एयरपोर्ट पर कथित तकनीकी खराबी के कारण इंडिगो की फ्लाइट कई घंटे तक अटकी रही.
इसी साल जनवरी में इंडिगो एयरलाइंस की दिल्ली-गोवा फ्लाइट के दौरान दस घंटे से ज्यादा समय तक इंतजार कर चुके यात्रियों में से एक ने पायलट को थप्पड़ तक मार दिया था, जिसके बाद उड़ानों के लेट होने पर काफी हो-हल्ला मचा था. लेकिन लगातार हो रही घटनाएं दिखाती हैं कि बदला कुछ भी नहीं है, लेट होने या विमानों में खराबी आने का क्रम वैसा ही चल रहा है.
सवाल यह है कि क्या विमानन कंपनियां उड़ानों के मुनाफे की वजह से विमानों के रूटीन मेंटेनेंस के नियमों का पालन नहीं कर रही हैं? या फिर दक्ष इंजीनियरों की नियुक्ति नहीं की जा रही है जो विमानों की तकनीकी खराबियों को तत्काल सुधार सकें? समय बचाने और सुव्यवस्थित यात्रा के उद्देश्य से ही लोग हवाई यात्रा को प्राथमिकता देते हैं, लेकिन हवाई अड्डों पर भी अगर अफरातफरी का माहौल हो और लोगों का समय खराब हो तो क्यों वे हवाई यात्रा करना चाहेंगे?
इसके अलावा विमानों की तकनीकी खराबी चाहे मामूली ही हो, उसे हल्के में हर्गिज नहीं लिया जा सकता, क्योंकि हजारों फुट की ऊंचाई पर मामूली सी खराबी भी जानलेवा साबित हो सकती है. ऐसी प्रत्येक घटना बहुत बड़े पैमाने पर विमान यात्रियों के मन में भय पैदा करती है, इसलिए विमानन कंपनियों को इस बारे में गंभीरता से विचार करने की जरूरत है.