मोदी सरकार द्वारा कर सुधार के लिए जो कदम उठाया गया है, वह लीक से हटकर है. यह समझना जरूरी है कि इसके क्या परिणाम होंगे. व्यावसायिक टैक्स में कटौती करने के लिए मोदी सरकार बधाई की पात्र है. टैक्स में इस कटौती से व्यावसायिक क्षेत्र को दो तरह से फायदा होगा-एक तो पूंजी बाजार में सुधार होगा और दूसरे, इस कर रचना से भारत दुनिया के नक्शे पर अन्य देशों की प्रतिस्पर्धा में आ जाएगा.
सरकार द्वारा उठाया जाने वाला यह कदम जितना दिखता है, उतना आसान नहीं था. इस निर्णय से सरकार की पिछले पांच वर्षो की कार्यपद्धति और नीतियों में बदलाव आया है. पिछले पांच वर्षो में सरकार ने नीतिगत और बड़े कदम उठाए हैं. इसमें नोटबंदी, प्रधानमंत्री किसान योजना, शौचालय निर्माण आदि का समावेश है. लेकिन नए उद्योगों के संबंध में ठोस कदम उठाए जाते नजर नहीं आए. निर्णय बदलने से कररचना में बदलाव हुआ है. इससे संदेश गया कि नए युग की शुरुआत हुई है. सरकार को नए उद्योगों की स्थापना में आनेवाली समस्याओं का समाधान करने की जरूरत है. चीन और अमेरिका के बीच भारी व्यापार युद्ध चल रहा है. अमेरिकी कंपनियां व्यापार क्षेत्र में चीन पर निर्भरता कम करने की दृष्टि से अवसर तलाश रही हैं. देश में रोजगार के अवसर बढ़ाने और प्रतिव्यक्ति आय बढ़ाने के लिए हमें दुनिया भर से निवेश को आकर्षित करने की जरूरत है.
व्यापार में वृद्धि के बिना सामाजिक प्रगति संभव नहीं है, क्योंकि व्यवसाय और उद्योग बढ़ेंगे तभी सामाजिक खर्च के लिए संसाधन जुटा पाना संभव होगा. टैक्स में कटौती की घोषणा जिस दिन हुई, उसी दिन कंपनियों के शेयर में वृद्धि हुई. बीएसई सूचकांक करीब 2000 अंकों तक ऊपर चढ़ा. सरकार ने व्यवसाय एवं उद्योग के बारे में सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाया और दुनिया को यह भरोसा दिलाया कि यह सरकार उद्योगों के विकास के लिए प्रयत्नशील है, व्यवसायाभिमुख है. पूंजी बाजार समृद्ध रहेगा तो देश भर में व्यवसायियों का भरोसा बढ़ाने में मदद मिलेगी. दुनियाभर की पूंजी को आकर्षित करने में सफलता मिलेगी, क्योंकि वर्तमान में विकसित देशों में ब्याज दर बहुत कम है. कई यूरोपीय देशों में तो ब्याज दर बेहद कम और नकारात्मक तक हो चुकी है.
लाभांश वितरण कर और पुनर्खरीद कर हटाने जैसे निर्णयों से शेयर बाजार को गति मिलेगी. वर्तमान में निजी क्षेत्रों की स्थिति बीते तीन वर्षो में सर्वोच्च स्तर पर है. इस कर सुधार के द्वारा पूंजी बाजार सहित उद्योग क्षेत्र को सकारात्मक संदेश गया है. आगे भी सरकार को यही रवैया अपनाए रखना चाहिए.
एक सलाह यह है कि रियल एस्टेट क्षेत्र को विदेशी निवेश के लिए खोल दिया जाए. विदेशी नागरिकों को कुछ शर्तो के साथ मकान और जमीन खरीदने की अनुमति दे देनी चाहिए. इससे रियल एस्टेट में दीर्घकालिक दृष्टि से पूंजी उपलब्ध होगी. व्यक्तिगत आय पर दो करोड़ रु. अथवा उससे अधिक आय पर 42 प्रतिशत टैक्स अदा करना पड़ता है जबकि सौ करोड़ रु. तक की आय वाले उद्योगों को केवल 25 प्रतिशत टैक्स देना पड़ता है. यह बड़ी विसंगति है. इसलिए सरकार भले ही अगले वर्ष इसे दूर करे, पर यह विसंगति दूर करने की घोषणा अभी कर देनी चाहिए, जिससे इस क्षेत्र को राहत मिलेगी.