जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: जीवन अनुकूल अच्छे शहरों की जरूरत

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: September 9, 2019 10:46 AM2019-09-09T10:46:28+5:302019-09-09T10:46:28+5:30

विश्व के प्रतिष्ठित थिंकटैंक ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स के द्वारा पिछले दिनों प्रकाशित दुनिया के 780 बड़े और मझोले शहरों की बदलती आर्थिक तस्वीर और आबादी की बदलती प्रवृत्ति को लेकर प्रकाशित की गई रिपोर्ट में बताया गया है कि 2019 से 2035 तक दुनिया के शहरीकरण में काफी बदलाव देखने में आएगा.

Jayantilal Bhandari's blog: The need for good city friendly life | जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: जीवन अनुकूल अच्छे शहरों की जरूरत

जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: जीवन अनुकूल अच्छे शहरों की जरूरत

इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट (ईआईयू) के द्वारा 4 सितंबर को प्रकाशित जीवन अनुकूलता सूचकांक (लिवेबिलिटी इंडेक्स) में कहा गया है कि नई दिल्ली और व्यावसायिक राजधानी मुंबई जीवन की विभिन्न अनुकूलताओं और रहने की बेहतर योग्यता के मामले में पहले की तुलना में पीछे हो गए हैं.

दुनियाभर के 140 शहरों के सर्वेक्षण में नई दिल्ली छह स्थान फिसलकर 118वें पायदान पर तथा मुंबई दो स्थान फिसलकर 119वें पायदान पर आ गया है. जिन पैमानों पर विवेचना की गई है उनमें स्थिरता, संस्कृति, परिवेश, स्वास्थ्य सेवा, मूलभूत ढांचा और शिक्षा क्षेत्न को शामिल किया गया है. ईआईयू ने कहा है कि सांस्कृतिक क्षेत्न के अंक में गिरावट के कारण मुंबई रैंकिंग में दो स्थान फिसल गया है. वहीं सांस्कृतिक, पर्यावरण स्कोर और अपराध दर में वृद्धि के कारण स्थिरता स्कोर में गिरावट से सूचकांक में नई दिल्ली की स्थिति कमजोर हुई है.


गौरतलब है कि इस सूची में ऑस्ट्रिया का वियना लगातार दूसरी बार पहले स्थान पर रहा है. अध्ययन में कहा गया है कि दुनिया के रहने लायक शहरों में कुल-मिलाकर एशियाई शहरों का प्रदर्शन औसत से नीचे है. पपुआ न्यू गिनी का पोर्ट मोर्सबी (135वें), पाकिस्तान का कराची (136वें) और बांग्लादेश का ढाका (138वें) स्थान के साथ रहने के लिहाज से सबसे कम उपयुक्त 10 शहरों में शामिल हैं. इस रिपोर्ट के अनुसार नई दिल्ली को कुल-मिलाकर 56.3 अंक मिले हैं, जबकि मुंबई ने 56.2 अंक अर्जित किए. शीर्ष स्थान पर काबिज वियना को 99.1 अंक मिले हैं.


निश्चित रूप से हमारे प्रमुख शहरों में जीवन अनुकूलता संबंधी चुनौतियों के कारण हमारे शहर रहने योग्य बेहतर शहरों की सूची में पीछे हुए हैं. ऐसे में हमें यह समझना होगा कि आने वाले वर्षो में बढ़ते हुए वैश्वीकरण के कारण अच्छे रहने वाले शहरों की वैश्विक कारोबारी उपयोगिता बढ़ेगी.

पिछली कुछ वैश्विक अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में तेजी से विकसित होते हुए नए शहरों का लाभप्रद परिदृश्य दिखाई देगा. विश्व के प्रतिष्ठित थिंकटैंक ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स के द्वारा पिछले दिनों प्रकाशित दुनिया के 780 बड़े और मझोले शहरों की बदलती आर्थिक तस्वीर और आबादी की बदलती प्रवृत्ति को लेकर प्रकाशित की गई रिपोर्ट में बताया गया है कि 2019 से 2035 तक दुनिया के शहरीकरण में काफी बदलाव देखने में आएगा.

Web Title: Jayantilal Bhandari's blog: The need for good city friendly life

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