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जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉगः नए कर सुधारों से पारदर्शिता और कार्यक्षमता बढ़ने की उम्मीद

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: October 6, 2020 17:38 IST

इस समय देश में कोविड-19 की चुनौतियों के बीच आयकर सुधारों का नया लाभप्रद परिदृश्य उभरकर दिखाई दे रहा है. 25 सितंबर से देशभर में करदाताओं के लिए पहचान रहित अपील (फेसलेस अपील) व्यवस्था लागू हो गई है.

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इस समय देश में कोविड-19 की चुनौतियों के बीच आयकर सुधारों का नया लाभप्रद परिदृश्य उभरकर दिखाई दे रहा है. 25 सितंबर से देशभर में करदाताओं के लिए पहचान रहित अपील (फेसलेस अपील) व्यवस्था लागू हो गई है. इसके पहले 13 अगस्त से आयकर विभाग करदाता चार्टर (टैक्सपेयर चार्टर) और पहचान रहित समीक्षा (फेसलेस असेसमेंट) जैसे बड़े आयकर सुधार को लागू कर चुका है. अब नए डायरेक्ट टैक्स कोड और नए इनकम टैक्स कानून को भी शीघ्र लागू किए जाने की अपेक्षा की जा रही है.

गौरतलब है कि आयकर अपील में अपील का ई-आवंटन, ई-नोटिस, ई-सत्यापन, ई-पूछताछ, ई-सुनवाई और फिर आदेश का ई-संचार सभी कुछ वचरुअल और ऑनलाइन होने शुरू हो गए हैं. इससे सबसे बड़ा फायदा यह है कि अब अपीलकर्ता और आयकर विभाग के बीच किसी तरह के प्रत्यक्ष आमना-सामना की जरूरत नहीं है. फेसलेस अपील प्रणाली में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए मामलों के आवंटन से लेकर केंद्रीय स्तर से नोटिस जारी करने के साथ गतिशील क्षेत्नाधिकार शामिल है. ऐसे क्षेत्नाधिकार के तहत किसी एक शहर में अपील आदेश का मसौदा तैयार किया जाता है और दूसरे शहर में इसकी समीक्षा की राह आगे बढ़ती है. इतना ही नहीं अब समीक्षा कोई एक अधिकारी नहीं करता है बल्कि अधिकारियों की पूरी टीम करती है.

खास बात यह भी है कि आयकर अधिकारियों के छापे और सर्वे के अधिकार सीमित होने से करदाताओं की प्रताड़ना रुकेगी. आयकर आयुक्त (अपील) तक के स्तर की सभी अपील फेसलेस होने से करदाताओं को न्याय और निर्भयता का विश्वास मिलेगा. इससे आगे की मुकदमेबाजी में भी कमी आएगी. नई व्यवस्था विभाग की कार्यप्रणाली में क्षमता, पारदर्शिता और जिम्मेदारी को बढ़ाने में भी सक्षम होगी.

यह स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि देश में टैक्सपेयर चार्टर, फेसलेस अपील और फेसलेस असेसमेंट के माध्यम से एक ओर पारदर्शी एवं उचित आयकर प्रणाली को बढ़ावा दिए जाने की पहल की गई है, वहीं दूसरी ओर करदाता चार्टर में घोषित करदाताओं के अधिकारों को आयकर अधिनियम के तहत कानूनी आकार दिया गया है. ऐसे में अब भारत अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे दुनिया के ऐसे देशों की पंक्ति में आ गया है, जहां करदाताओं के अधिकारों एवं हितों की रक्षा के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं. करदाता चार्टर के लागू होने से आयकर विभाग अपने दायित्वों के लिए पूरी तरह जवाबदेह हो गया है और आयकरदाता विभाग के काम से संतुष्ट नहीं होने पर प्रत्येक क्षेत्न में गठित किए गए विशेष प्रकोष्ठ में अपनी शिकायत दर्ज करा सकेंगे.

आयकर संबंधी विभिन्न नए ऐतिहासिक सुधारों के बाद अब कुछ विशेष बातों पर ध्यान देना जरूरी है. यह पाया गया है कि बहुत सारे लोगों द्वारा अच्छी आमदनी होने के बावजूद आयकर का भुगतान नहीं किया जाता है. ऐसे में उनके कर नहीं देने का भार ईमानदार करदाताओं पर पड़ता है. प्रधानमंत्नी मोदी के मुताबिक देश की 130 करोड़ की आबादी में से सिर्फ 1.5 करोड़ लोग ही टैक्स देते हैं, यह संख्या बहुत कम है. यहां यह उल्लेखनीय है कि वर्ष 2018 में बजट भाषण देते हुए तत्कालीन वित्त मंत्नी अरु ण जेटली ने इस बात को रेखांकित किया था कि वेतनभोगी लोगों के द्वारा दिया जाने वाला आयकर व्यक्तिगत कारोबारी करदाताओं के द्वारा चुकाए जाने वाले आयकर का करीब तीन गुना होता है. इतना ही नहीं, वेतनभोगी लोगों का कुल कर संग्रह का आकार पेशेवरों और कारोबारी करदाताओं के द्वारा चुकाए गए कर का भी करीब तीन गुना होता है.

हम उम्मीद करें कि अब सरकार नए डायरेक्ट टैक्स कोड और नए इनकम टैक्स कानून बनाने के कार्य को भी गतिशील करेगी. नरेंद्र मोदी सरकार ने नवंबर 2017 में नई प्रत्यक्ष कर संहिता के लिए अखिलेश रंजन की अध्यक्षता में जिस टास्क फोर्स का गठन किया था, उसके द्वारा विभिन्न देशों की प्रत्यक्ष कर प्रणालियों और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लागू प्रत्यक्ष कर संधियों का तुलनात्मक अध्ययन करके अपनी रिपोर्ट 19 अगस्त 2019 को सरकार को सौंपी जा चुकी है. इस रिपोर्ट में प्रत्यक्ष कर कानूनों में व्यापक बदलाव और वर्तमान आयकर कानून को हटाकर नए सरल व प्रभावी आयकर कानून लागू करने संबंधी कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं. असेसमेंट की प्रक्रिया सरल किए जाने और कमाई पर दोहरे कर का बोझ भी खत्म करने की सिफारिश की गई है.

हम उम्मीद करें कि आयकर सरलीकरण की डगर पर आगे बढ़ते हुए देश में करदाता भी ईमानदारी से कर देने की प्रवृत्ति बनाएंगे. उम्मीद करें कि अच्छी कमाई से कम पर जो आयकर देते हैं, उन्हें भी चिह्न्ति करके अपेक्षित आयकर चुकाने के लिए बाध्य किया जाएगा.

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