Inflation Rate in India 2024: महंगाई बेकाबू होने से रोकना पहली जरूरत?, अक्तूबर 2024 आंकड़े ने किया...
By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Updated: November 27, 2024 05:22 IST2024-11-27T05:22:06+5:302024-11-27T05:22:06+5:30
Inflation Rate in India 2024: देश के उपभोक्ता वर्ग के द्वारा महंगाई नियंत्रण के लिए और कठोर कदमों की जरूरत जताई जा रही है.

file photo
Inflation Rate in India 2024: 20 नवंबर को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के द्वारा प्रकाशित मासिक रिपोर्ट में कहा गया है कि इस समय देश में महंगाई को काबू में रखना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए. रिपोर्ट में कहा गया है कि अक्तूबर 2024 में महंगाई दर के बढ़ने की स्थिति आश्चर्यचकित करने वाली रही है. ऐसे में महंगाई के और बढ़ने से निर्यात, उद्योग तथा गरीब व मध्यम वर्ग के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. वस्तुतः यह रिपोर्ट इस समय तब प्रस्तुत हुई है, जबकि एक ओर जहां देश के उद्योग, कारोबार से जुड़े संगठनों के द्वारा तेज विकास के लिए ब्याज दर घटाने की जरूरत बताई जा रही है, वहीं दूसरी ओर देश के उपभोक्ता वर्ग के द्वारा महंगाई नियंत्रण के लिए और कठोर कदमों की जरूरत जताई जा रही है.
इस परिप्रेक्ष्य में यह उल्लेखनीय है कि 18 नवंबर को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के कार्यक्रम में कहा कि इस समय उद्योग-कारोबार को तेजी से बढ़ाना और विकसित भारत की जरूरतों के मद्देनजर बैंकों के कर्ज पर ब्याज दर शीघ्रतापूर्वक कम किया जाना जरूरी है. भारत को उद्योग-कारोबार को आगे बढ़ाने व नई परियोजनाओं में निवेश करने की जरूरत है.
सीतारमण ने कहा कि महंगाई एक जटिल मुद्दा है जो आम आदमी को प्रभावित करता है. सरकार खाद्य तेलों और दालों सहित आपूर्ति पक्ष के उपायों पर काम कर रही है. सरकार के प्रयास मुख्य रूप से अस्थिरता को कम करने के लिए भंडारण सुविधाओं में सुधार पर केंद्रित हैं. गौरतलब है कि हाल ही में केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने एक टीवी चैनल पर कार्यक्रम में कहा कि देश में आरबीआई के द्वारा अर्थव्यवस्था और विकास को बढ़ावा देने के लिए ब्याज दरों में कटौती करनी चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि ब्याज दर घटाने या बढ़ाने का फैसला खाद्य महंगाई के हिसाब से लेने की थ्योरी सही नहीं है.
इसी कार्यक्रम में बोलते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि वैश्विक चुनौतियों के बावजूद उपयुक्त मौद्रिक नीति से महंगाई नियंत्रण के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था सुचारु तरीके से आगे बढ़ रही है. उन्होंने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में अभी बांड प्रतिफल में वृद्धि, जिंस कीमतों में उतार-चढ़ाव और बढ़ते भू-राजनीतिक जोखिम जैसी कई तरह की बाधाएं हैं.
उन्होंने यह भी कहा कि मौद्रिक दर निर्धारण समिति आगामी दिसंबर के पहले सप्ताह में होने वाली अपनी बैठक में ब्याज दर संबंधी उचित निर्णय लेगी. यहां यह उल्लेखनीय है कि हाल ही में 15 नवंबर को वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने अपनी रिपोर्ट में भारत में महंगाई और विकास के बीच संतुलन बनाए रखने की सराहना की है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि महंगाई में कम अवधि की तेजी के बावजूद आने वाले महीनों में महंगाई दर रिजर्व बैंक के द्वारा निर्धारित लक्ष्य की ओर पहुंचेगी, क्योंकि ज्यादा बोआई और पर्याप्त अनाज भंडार के कारण कीमतों में कमी आएगी. चूंकि भू-राजनीतिक तनावों और मौसम की स्थिति खराब होने पर महंगाई दर बढ़ने का जोखिम भी बना हुआ है, इसलिए नीतिगत ढील को लेकर रिजर्व बैंक सावधानी बरत रहा है.
इसमें कोई दो मत नहीं है कि इस समय खाद्य पदार्थों की तेजी से बढ़ती महंगाई के नियंत्रण और विकास की जरूरतों के बीच उपयुक्त तालमेल जरूरी है. 14 नवंबर को राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, अक्तूबर में थोक महंगाई दर बढ़कर 2.36 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो 4 महीने का उच्चतम स्तर है.
बीते महीने खाद्य पदार्थों, विशेष रूप से सब्जियों और विनिर्मित वस्तुओं की कीमतें महंगी हो गई हैं. सितंबर 2024 में थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर 1.84 प्रतिशत थी. ज्ञातव्य है कि 12 नवंबर को प्रकाशित आंकड़ों के मुताबिक अक्तूबर 2024 में खुदरा महंगाई दर बढ़कर 6.21 प्रतिशत हो गई. यह महंगाई का 14 महीने का उच्चतम स्तर है.
आलू, प्याज के साथ अन्य सभी प्रकार की सब्जियों की कीमतों में तेज वृद्धि तथा महंगे हुए अनाज व फलों के कारण अक्तूबर माह में खाद्य वस्तुओं की खुदरा महंगाई दर भी बढ़कर 10.87 प्रतिशत हो गई. जबकि सितंबर माह में यह 9.24 प्रतिशत तथा अगस्त में 5.66 प्रतिशत थी. जिन राज्यों में महंगाई सबसे ज्यादा बढ़ी है, उनमें छत्तीसगढ़, बिहार, ओडिशा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश प्रमुख हैं.
यह बात महत्वपूर्ण है कि चालू वित्त वर्ष 2024-25 के तहत रिजर्व बैंक ब्याज दरों की यथास्थिति, स्थिर आपूर्ति श्रृंखला के अच्छे आधार के साथ आगे बढ़ रहा है, वहीं सरकार महंगाई नियंत्रण के विभिन्न उपायों के साथ आगे बढ़ रही है. इस परिप्रेक्ष्य में विगत 9 अक्तूबर को भारतीय रिजर्व बैंक की क्रेडिट पॉलिसी कमेटी बैठक में रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि भारत में महंगाई बढ़ने की जोखिम के मद्देनजर ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया जा रहा है. ये लगातार 10वीं बार है जब रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है.
रेपो रेट 6.50 प्रतिशत पर बरकरार है और बैंक रेट को 6.75 प्रतिशत पर स्थिर रखा गया है. इस मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में तेज विकास दर की बजाय महंगाई नियंत्रण को प्राथमिकता दी गई है. निश्चित रूप से इस वर्ष देश में खाद्यान्न, दलहन और तिलहन का उत्पादन बढ़ेगा और इनकी सप्लाई बढ़ने से इनकी कीमतें कम होंगी.
इसमें कोई दो मत नहीं है कि मौद्रिक प्रबंधन और सरकार के द्वारा तत्परता से खाद्यान्न निर्यात नीति और स्टॉक सीमा निर्धारण सहित विभिन्न उपाय बढ़ती महंगाई पर नियंत्रण कर सकेंगे. हम उम्मीद करें कि अक्तूबर 2024 में खुदरा महंगाई दर के 6.21 प्रतिशत और थोक महंगाई दर के 2.36 प्रतिशत के स्तर पर पहुंचने की चिंताओं के मद्देनजर सरकार और रिजर्व बैंक विभिन्न रणनीतिक प्रयासों से देश में महंगाई को नियंत्रित करने और विकास के नए अध्याय के लिए नई संतुलित रणनीति के साथ आगे बढ़ेंगे.