Indian Postal Service News: गांव-देहात में अभी भी बहुत काम के साबित हो रहे हैं डाकघर

By अरविंद कुमार | Updated: October 9, 2025 05:14 IST2025-10-09T05:14:17+5:302025-10-09T05:14:17+5:30

Indian Postal Service News: 9 अक्तूबर को विश्व डाक दिवस धूमधाम से मनाया जाता है. 1969 में टोकियो में आयोजित विश्व डाक संघ (यूपीयू) के सम्मेलन में इस बारे में फैसला हुआ था.

Indian Postal Service News 9 octember Post offices still proving very useful in rural areas blog Arvind Kumar Singh | Indian Postal Service News: गांव-देहात में अभी भी बहुत काम के साबित हो रहे हैं डाकघर

file photo

Highlightsमातृ संस्था जनरल पोस्टल यूनियन संयुक्त राष्ट्र संघ के बनने के पहले 9 अक्तूबर, 1874 को स्थापित हुई थी.भारत 1 जुलाई 1876 को इसका सदस्य बनने वाला पहला एशियाई देश था. दुनिया भर में इस समय करीब 6.40 लाख डाकघर हैं.

Indian Postal Service News: संचार और सूचना क्रांति के बीच पैदा हुई पीढ़ी को भले ही आज यह लगता हो कि अब डाकघरों की जरूरत क्या है, लेकिन गांव-देहातों में डाकघर आज भी अपना महत्व बनाए हुए हैं और ग्रामीण भारत के बहुत काम आ रहे हैं. इसीलिए 1,64,987 डाकघरों में से 1,49,478 डाकघर ग्रामीण अंचलों में है.  इनकी बदौलत ही भारतीय डाक विश्व में नंबर एक पर काबिज है. 9 अक्तूबर को विश्व डाक दिवस धूमधाम से मनाया जाता है. 1969 में टोकियो में आयोजित विश्व डाक संघ (यूपीयू) के सम्मेलन में इस बारे में फैसला हुआ था.

इसकी मातृ संस्था जनरल पोस्टल यूनियन संयुक्त राष्ट्र संघ के बनने के पहले 9 अक्तूबर, 1874 को स्थापित हुई थी, जिसका नाम 1879 में विश्व डाक संघ रखा गया. भारत 1 जुलाई 1876 को इसका सदस्य बनने वाला पहला एशियाई देश था. दुनिया भर में इस समय करीब 6.40 लाख डाकघर हैं. संचार और सूचना क्रांति के असर के चलते कई देशों में डाकघर बंद हो रहे हैं,

पर भारत में पिछले पांच सालों में 5,639 नये डाकघर खुले हैं.  सरकार नये सिरे से भारतीय डाक को आधुनिक साजो-सामानों से लैस करने में लगी है. 16 दिसंबर, 2024 से नए डाक नियम लागू हुए हैं. डाकघर अधिनियम, 2023 भी 18 जून, 2024 से लागू हुआ है.  इसके पहले भारतीय डाकघर अधिनियम, 1898 के तहत डाकघरों का संचालन होता था.

यह संस्था हमेशा लोगों के सुख-दुख में खड़ी रही, जिसके कारण जनमानस में इसके साथ एक भावनात्मक जुड़ाव भी रहा है. डाक, बैंकिंग, जीवन बीमा और मनीआर्डर तथा रिटेल सेवाओं के माध्यम से इसका आम लोगों के साथ गहरा जुड़ाव बना रहा है. पहले चिट्ठियां, मनीआर्डर, शुभकामना संदेश, तार, रेडियो लाइसेंस से लेकर तमाम भूमिकाएं थीं,

पर अब वित्तीय सेवाओं से लेकर ई-कामर्स में इसकी भूमिका है. ऐसी कई सेवाएं जारी हैं, जिनके कारण पहले की तरह ही डाकघरों में काम चलता रहता है. परंपरागत सेवाओं में लंबे समय तक उलझे रहे डाकघरों ने समय के साथ खुद को बदल कर अपना अस्तित्व ही नहीं बचाए रखा है, बल्कि खुद को सबल किया है.

‘डिजिटल इंडिया’ से लेकर आर्थिक और वित्तीय समावेशन के लिए संचार और सूचना क्रांति की ताकत से डाकघरों ने खुद को लैस किया है.  इसी कारण कूरियर की चुनौतियों के बावजूद अपनी स्पीड पोस्ट सेवा की बाजार हिस्सेदारी 40 प्रतिशत तक बनाए रखी है. कई नागरिकोन्मुखी सेवाएं भी भारतीय डाक ने आरंभ की हैं.  3352 डाकघरों में आधार केंद्र और 434 प्रमुख डाकघरों में पासपोर्ट सेवा केंद्र भी खोले गए हैं.  
देश में डाकघरों में बचत बैंक से लेकर विभिन्न श्रेणी में कुल मिलाकर 26 करोड़ से अधिक खाते हैं, जिनमें 12.68 लाख करोड़ रुपए जमा है. ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ नारे के साथ शुरू सुकन्या खातों का 84 प्रतिशत डाकघरों में खुला है क्योंकि इसके लिए पोस्टमैनों ने अभियान चलाया था. देश में पांच लाख से अधिक लघु बचत एजेंटों को भी इन योजनाओं से काम मिलता है.

2018 में इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक भी स्थापित किया गया है. इस साल आम बजट से पहले संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शीर्ष अधिकारियों के साथ वित्त मंत्री से मुलाकात कर डाक विभाग के कायाकल्प और 2029 तक लाभ में लाने की रणनीति के साथ एक ठोस रणनीति रखी. उसी के तहत डाक विभाग आगे बढ़ा है.  

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