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जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: चीन से व्यापार घाटे में लानी होगी कमी

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: September 4, 2024 16:20 IST

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हाल ही में 31 अगस्त को विदेशमंत्री एस।जयशंकर ने ईटी वर्ल्ड लीडर्स फोरम को संबोधित करते हुआ कहा कि चीन से दुनिया को दिक्कत है और चीनभारत के लिए विशेष समस्या है।ऐसे में चीन के साथ निवेश व कारोबार संबंधों की समीक्षा की जानी जरूरी है।उल्लेखनीय है कि थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) के द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक इस वर्ष 2024 के पहले छह महीनों यानी जनवरी से जून 2024 के दौरान भारत का चीन के साथ अब तक का सर्वाधिक व्यापार घाटा दर्ज किया गया है, जिसका आकार 41.6 अरब डॉलर है।इस अवधि में चीन से आयात बढ़कर 50.1 अरब डॉलर हो गया।जबकि चीन को सिर्फ 8.5 अरब डॉलर का निर्यात किया गया. यदि हम पिछले संपूर्ण वित्त वर्ष 2023-24 में चीन के साथ भारत के व्यापार को देखें तो पाते हैं कि चीन से आयात 101.75 अरब डॉलर हुआ था।जबकि चीन को निर्यात 16.66 अरब डॉलर रहा तथा चीन के साथ व्यापार घाटा 85.09 अरब डॉलर रहा है।निश्चित रूप से चीन के साथ बढ़ता हुआ व्यापार घाटा देश के सामने एक बड़ी चुनौती है।ऐसे में उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के मुताबिक प्रोत्साहन आधारित उत्पादन (पीएलआई) के तहत एपीआई का उत्पादन बढ़ाकर इसके चीन से बड़े पैमाने पर होने वाले आयात में कमी की जा रही है।केंद्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री शिवराजसिंह चौहान के मुताबिक चीन को खाद्य प्रसंस्करण उत्पादों का निर्यात बढ़ाने के रणनीतिक प्रयास किए जा रहे हैं.

गौरतलब है कि इन दिनों भारत-चीन के व्यापार से संबंधित प्रकाशित हो रही विभिन्न वैश्विक आर्थिक व वित्तीय संगठनों की रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि इस समय भारत के पास चीन से आयात घटाने और वैश्विक निर्यात में भारत का हिस्सा बढ़ाए जाने की संभावनाएं हैं।इन संभावनाओं को साकार किए जाने के चार प्रमुख आधार हैं।एक, चीन से निकलते बड़े उद्योगों, बड़ी कंपनियों और निवेश के भारत की मुट्ठियों में आने की सबसे अधिक संभावनाएं हैं।इससे भारत का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर मजबूत होगा।दो, चीन प्लस वन रणनीति के तहत भारत दुनिया के सक्षम व भरोसेमंद देश के रूप में निर्यात बढ़ा सकता है।

साथ ही अमेरिका सहित यूरोपीय व कई विकसित देश चीन से आयात घटाने के लिए चीनी उत्पादों पर जिस तरह असाधारण आयात प्रतिबंध लगा रहे हैं, उससे इन देशों में भारत के उत्पादों का निर्यात बढ़ने की नई संभावनाएं हैं।तीन देश से चीन को कृषि पदार्थों और खाद्य प्रसंस्करण निर्यात में तेज वृद्धि की जा सकती है।चार, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के द्वारा पेश किए गए वित्त वर्ष 2024-25 के बजट में किए गए प्रावधानों से भारत के आयात घटने व निर्यात बढ़ने की संभावनाएं हैं.

उल्लेखनीय है कि वैश्विक वित्तीय कंपनी नोमूरा ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट में कहा कि चीन से ग्लोबल कंपनियां बाहर निकल रही हैं जिसका बड़ा फायदा भारत को मिलता दिख रहा है।नोमूरा के द्वारा चाइना प्लस वन स्ट्रेटेजी पॉलिसी को लेकर 130 फर्मों के साथ सर्वे किया गया है।कहा गया है कि खासतौर से भारत के दरवाजे पर दस्तक दे रही इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल, कैपिटल गुड्स, सेमीकंडक्टर (एसेंबलिंग, टेस्टिंग), एनर्जी (सोलर) के अलावा फार्मास्युटिकल्स सेक्टर की कंपनियों का भारत में हरसंभव सुविधा देकर स्वागत किया जाना होगा।यह भी महत्वपूर्ण है कि जी-20 की नई शक्ति से सुसज्जित भारत नए वैश्विक आपूर्तिकर्ता देश की भूमिका में उभरकर सामने आया है और चीन को आर्थिक टक्कर देने की स्थिति में है।ऐसे में भारत अधिक रणनीतिक प्रयासों से भारतीय बाजार में उद्योग-कारोबार, निर्यात और निवेश के अधिक मौकों को मुट्ठियों में ले सकता है.

निश्चित रूप से दुनिया के बाजार में चीन का दबदबा तोड़ने के परिप्रेक्ष्य में यूरोपीय देश, अमेरिका और अन्य कई देश चीन से आयात के बढ़ते खतरों के मद्देनजर चीनी आयातों पर असाधारण आयात प्रतिबंध लगाते हुए दिखाई दे रहे हैं।विगत 12 जून को यूरोपीय आयोग ने चीन में बने इलेक्ट्रिक वाहनों पर 48 फीसदी तक आयात शुल्क लगाना सुनिश्चित किया है।पिछले कई वर्षों से यूरोपीय देशों की चीन से आयात पर शुल्क की दरें 10 फीसदी तक ही सीमित रही हैं।ऐसे में विभिन्न देशों के द्वारा चीन से आयात होने वाले अनेक उत्पादों पर लगातार बढ़ता शुल्क चीन के आयातों को हतोत्साहित करने की एक अहम पहल है, ऐसे में इन देशों में भारत से निर्यातों की संभावनाएं बढ़ी हैं.

यह बात महत्वपूर्ण है कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर देश से निर्यात और रोजगार सृजन दोनों में अहम योगदान देता है और इसके प्रोत्साहन के लिए इस बजट में खास ख्याल रखा गया है।वित्त मंत्री ने बजट में देश के 100 शहरों में प्लग एंड प्ले वाले औद्योगिक पार्क बनाने की घोषणा की है।केंद्र, राज्य और निजी सेक्टर की आपसी सहभागिता से प्लग एंड प्ले सुविधा वाले औद्योगिक पार्क विकसित किए जाएंगे।उद्यमी को ऐसे औद्योगिक पार्क में जाकर सिर्फ उत्पादन शुरू करना होता है।नए बजट के प्रावधानों के तहत 100 शहरों में प्लग एंड प्ले सुविधा वाले औद्योगिक क्लस्टर या पार्क के विकसित होने से कम से कम 100 प्रकार के आइटम का बड़े पैमाने पर उत्पादन हो सकता है.

निस्संदेह अब एक बार फिर से देश के करोड़ों लोगों को चीनी उत्पादों की जगह स्वदेशी उत्पादों के उपयोग के नए संकल्प के साथ आगे बढ़ना होगा।इस बात को भी समझा जाना होगा कि चीन से व्यापारिक असंतुलन की गंभीर चुनौती के लिए सिर्फ सरकार ही जिम्मेदार नहीं है।चीन के साथ व्यापार असंतुलन के लिए सीधे तौर पर देश का उद्योग-कारोबार और देश की कंपनियां भी जिम्मेदार हैं, जिनके द्वारा कलपुर्जे सहित संसाधनों के विभिन्न स्रोत और मध्यस्थ विकसित करने में अपनी प्रभावी भूमिका नहीं निभाई गई है।साथ ही देश की बड़ी कंपनियों को शोध एवं नवाचार के क्षेत्र में भी तेजी से आगे बढ़ना होगा.

इस बात पर भी गंभीरतापूर्वक ध्यान देना होगा कि जिस तरह हाल ही में यूरोपीय यूनियन और अन्य विकसित देशों के द्वारा चीन से आयात नियंत्रित करने के लिए गैर टैरिफ अवरोध के साथ अन्य आयात प्रतिबंधों को असाधारण रूप से बढ़ाया गया है, उसी तरह भारत के द्वारा संरक्षणवाद के तरीके अपनाते हुए चीन से तेजी से बढ़ रहे आयात और चीन के साथ बढ़ते हुए व्यापार घाटे को नियंत्रित करने के लिए रणनीतिक रूप से आगे बढ़ना होगा.

टॅग्स :चीनभारत
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