चीनी और एथनॉल के लिए गन्ने का उत्पादन बढ़ाना ही सही विकल्प
By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: December 9, 2023 10:40 AM2023-12-09T10:40:35+5:302023-12-09T10:45:56+5:30
शक्कर कारखानों को एथनॉल बनाने में गन्ने के रस का उपयोग न करने की केंद्र सरकार की हिदायत पहली नजर में हैरानी में तो डालती है, लेकिन शक्कर के उत्पादन में कमी की आशंका को देखते हुए इसे अनुचित नहीं कहा जा सकता है।
ऐसे समय में, जबकि सरकार ने वर्ष 2025-26 तक पेट्रोल में 20 फीसदी एथनॉल सम्मिश्रण का लक्ष्य रखा है, शक्कर कारखानों को एथनॉल बनाने में गन्ने के रस का उपयोग न करने की केंद्र सरकार की हिदायत पहली नजर में हैरानी में तो डालती है, लेकिन शक्कर के उत्पादन में कमी की आशंका को देखते हुए इसे अनुचित नहीं कहा जा सकता है।
हालांकि खाद्य मंत्रालय ने गुरुवार को सभी चीनी मिलों और डिस्टिलरियों के प्रबंध निदेशकों (एमडी) और मुख्य कार्यपालक अधिकारियों (सीईओ) को लिखे पत्र में हालांकि स्पष्ट किया है कि बी-हेवी शीरे से तेल विपणन कंपनियों को एथनॉल की आपूर्ति जारी रहेगी।
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन ने पिछले महीने कहा था कि 2023-24 विपणन वर्ष में चीनी उत्पादन 8 प्रतिशत गिरकर 33.7 मिलियन मीट्रिक टन होने की संभावना है। इसीलिए सरकार ने अभी तक इस विपणन वर्ष के लिए निर्यात की अनुमति भी नहीं दी है।
जबकि विपणन वर्ष 2022-23 के दौरान 61 लाख टन और पिछले वर्ष तो रिकॉर्ड 112 लाख टन चीनी का निर्यात हुआ था। सवाल यह है कि जब सरकार पेट्रोल में एथनॉल सम्मिश्रण को बढ़ावा दे रही है और किसानों के लिए भी यह सौदा फायदेमंद सिद्ध हो रहा है तो फिर इस पर अंकुश क्यों लगाया जा रहा है? दरअसल अल नीनो की वजह से मानसून के दौरान बारिश के असमान वितरण ने महाराष्ट्र और कर्नाटक में गन्ने के उत्पादन को प्रभावित किया है।
यही कारण है कि इन राज्यों में चीनी उत्पादन में गिरावट आई है। चीनी उद्योग संगठन की तरफ से जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार महाराष्ट्र में चीनी उत्पादन 85 लाख टन रहने का अनुमान है, जो पिछले साल 105 लाख टन था, इस तरह महाराष्ट्र में 20 फीसदी चीनी उत्पादन गिरने का अनुमान है।
वहीं कर्नाटक में सबसे अधिक 36 फीसदी चीनी उत्पादन में गिरावट का अनुमान है। पिछले साल कर्नाटक में चीनी उत्पादन लगभग 60 लाख टन चीनी उत्पादन हुआ था, जो इस साल 38 लाख टन रह सकता है। ऐसे में आशंका है कि आम चुनाव से ठीक पहले चीनी महंगी हो सकती है।
चूंकि सरकार का ध्यान आचार संहिता लागू होने से पहले देश में पर्याप्त चीनी उपलब्धता पर है, इसलिए एथनॉल बनाने के लिए गन्ने के रस का उपयोग करने से मना किया गया है। जाहिर है कि चीनी की पर्याप्त उपलब्धता भी जरूरी है लेकिन गन्ने से एथनॉल बनाने में जब पेट्रो कंपनियों को फायदा हो रहा है, चीनी मिलों और किसानों को भी, तो निश्चित रूप से गन्ने के उत्पादन को बढ़ावा देना ही सही विकल्प होगा।