देश से अमीरों का पलायन रोकने के लिए करने होंगे उपाय, भरत झुनझुनवाला का ब्लॉग

By भरत झुनझुनवाला | Published: August 3, 2021 01:28 PM2021-08-03T13:28:24+5:302021-08-03T13:29:59+5:30

एफ्रो एशियन बैंक ने यह भी बताया है कि इन देशों से पलायन किए अमीरों में 12000 ऑस्ट्रेलिया को गए, 10000 अमेरिका को, 4000 कनाडा को और 100 से अधिक मॉरिशस को गए.

Global Wealth Migration' 2018 China 15000, 7000 Russia, 5000 India rich emigrated migration Bharat Jhunjhunwala's blog | देश से अमीरों का पलायन रोकने के लिए करने होंगे उपाय, भरत झुनझुनवाला का ब्लॉग

भारत से पलायन का पहला सच्चा कारण सुरक्षा का है.

Highlightsऑस्ट्रेलिया आदि पहले तीन देशों की बात समझ में आती है क्योंकि ये विकसित देश हैं. मॉरिशस को 100 से अधिक अमीरों का पलायन चिंता का विषय है.निजी बैंकों में भी पर्याप्त अवसर उपलब्ध हैं.

एफ्रो एशियन बैंक द्वारा 2018 में प्रकाशित ‘ग्लोबल वेल्थ माइग्रेशन रिव्यू’ में बताया गया है कि उस वर्ष चीन से 15000 अमीरों ने पलायन किया, रूस से 7000 ने, तुर्की से 4000 ने और भारत से 5000 अमीरों ने पलायन किया.

इन चार में पहले तीन देश चीन, रूस एवं तुर्की में तानाशाही सरकार है जबकि भारत लोकतांत्रिक है. हम मान सकते हैं कि चीन आदि देशों से पलायन का कारण वहां की तानाशाही और घुटन हो सकती है लेकिन भारत का इस सूची में सम्मिलित होना खतरे की घंटी है क्योंकि हमारे यहां लोकतंत्न विद्यमान है.

एफ्रो एशियन बैंक ने यह भी बताया है कि इन देशों से पलायन किए अमीरों में 12000 ऑस्ट्रेलिया को गए, 10000 अमेरिका को, 4000 कनाडा को और 100 से अधिक मॉरिशस को गए. इनमें ऑस्ट्रेलिया आदि पहले तीन देशों की बात समझ में आती है क्योंकि ये विकसित देश हैं. लेकिन मॉरिशस को 100 से अधिक अमीरों का पलायन चिंता का विषय है क्योंकि यदि मॉरिशस अमीरों को आकर्षित कर सकता है तो निश्चित रूप से भारत के लिए भी इन्हें आकर्षित करना संभव होना चाहिए था.

लेकिन हमारी चाल उल्टी है और तेज होती जा रही है. कोविड के संकट से पलायन की यह गति और तीव्र हो गई है. हेनेली एंड पार्टनर्स कंपनी द्वारा अमीरों को एक से दूसरे देश में पलायन करने में मदद की जाती है. इनके अनुसार वर्ष 2020 में भारत से पलायन करने वालों में 63 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.

हमारे यहां से पलायन किए अमीर किसी दूसरे देश में जाकर बसे हैं और वहां भी कोविड का संकट था इसलिए कोविड को पलायन में वृद्धि का कारण नहीं बताया जा सकता है. भारतीय विद्वानों द्वारा पलायन के तीन कारण बताए जा रहे हैं. पहला कि भारत में आयकर की दर अधिक है. यह नहीं टिकता है क्योंकि ऑस्ट्रेलिया में भी आयकर की दरें ऊंची हैं.

दूसरा कि भारत में शिक्षा के अवसर उपलब्ध नहीं हैं. यह नहीं टिकता है क्योंकि भारत की तुलना में मॉरिशस में शिक्षा के अवसर बहुत ही कम हैं. तीसरा कि तकनीक और बैंकिंग क्षेत्नों में अवसर कम हैं. यह भी नहीं टिकता है क्योंकि तमाम बड़ी कंपनियां भारत में काम कर रही हैं. निजी बैंकों में भी पर्याप्त अवसर उपलब्ध हैं. भारत से पलायन का पहला सच्चा कारण सुरक्षा का है.

देश की पुलिस अकर्मण्य और अक्सर भ्रष्ट है. अमीरों को अपने परिवार की सुरक्षा की विशेष चिंता होती है. वे नहीं चाहते कि किसी चौराहे पर उनके परिवार को अगवा कर लिया जाए. दूसरा कारण धार्मिक उन्माद है. अमीर लोग धन कमाना चाहते हैं. उन्हें शांत और स्थिर सामाजिक वातावरण चाहिए होता है. अपने देश में धार्मिक विवाद पूर्व से ही थे. वर्तमान समय में ये बढ़ ही रहे हैं.

तीसरा कारण मीडिया और मनोरंजन की स्वतंत्नता का अभाव है. वर्तमान समय में सरकार द्वारा प्रयास किया जा रहा है कि आलोचना को दबाया जाए. सरकार द्वारा आलोचक मीडिया पर भी विभिन्न प्रकार से दबाव बनाया जा रहा है. मेरी दृष्टि से इन तीन कारणों से भारत से अमीरों का भारी संख्या में पलायन हो रहा है और इस पलायन का फल है कि देश की आर्थिक विकास दर 2014 से 2019 के पिछले 5 वर्षों से लगातार गिर रही थी. वर्तमान में कोविड के संकट में इसमें और गिरावट आई है.

इस परिस्थिति में सरकार को निम्न कदम पर विचार करना चाहिए. पहले, सुरक्षा का वातावरण सुधारने के लिए शीर्ष पुलिस अधिकारियों का बाहरी मूल्यांकन कराना चाहिए.  इसके अलावा सरकार द्वारा एक अलग पुलिस भ्रष्टाचार जासूस तंत्न स्थापित किया जाना चाहिए जो पुलिस महकमे में व्याप्त भ्रष्टाचार को स्वसंज्ञान लेकर ट्रैप करे.

दूसरा विषय धार्मिक उन्माद का है. सरकार को हर राज्य में ‘इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी’ की तरह ‘इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिलीजन’ स्थापित करना चाहिए. यहां विभिन्न धर्मो के विभाग हों और एक ही छत के नीचे धर्मो के बीच सौहाद्र्रपूर्ण वार्तालाप हो. तब समाज में भी यह सौहार्द्र फैलेगा.

तीसरा विषय मीडिया का है. सरकार को आलोचकों को अपना विरोधी मानने के स्थान पर अपना सहयोगी मानना चाहिए. वह आलोचक मीडिया को अपना विरोधी मानने के स्थान पर अपने सहयोगी के रूप में देखे और उन मीडिया को विशेषकर पुरस्कृत करे जिनकी आलोचना से सरकार को अपने कदम सुधारने में लाभ मिला है.

अंत में एक और कदम सरकार को उठाना चाहिए. जो शिक्षित एवं अमीर देश छोड़कर पलायन करना चाहते हैं, उनसे भारत की नागरिकता छोड़ने के लिए विशेष टैक्स लगाकर भारी रकम वसूल करनी चाहिए. मेरे संज्ञान में ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने किसी समय अमेरिका की नागरिकता ले ली थी और बाद में वे उस नागरिकता को छोड़ना चाहते थे.

अमेरिकी सरकार ने नागरिकता छोड़ने के लिए उनसे भारी मात्ना में एग्जिट टैक्स वसूल किया. अमेरिका की सरकार का कहना था कि नागरिक के रूप में उन्होंने जिन अमेरिकी सुविधाओं का उपयोग किया है, उसका उन्हें पेमेंट करना होगा. इसी प्रकार भारत से पलायन करने वाले शिक्षित और अमीरों पर एग्जिट टैक्स लगाना चाहिए.

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