भरत झुनझुनवाला का ब्लॉग: अर्थव्यवस्था प्रभावित न हो लॉकडाउन लगाने से

By भरत झुनझुनवाला | Updated: May 22, 2021 13:34 IST2021-05-22T13:30:42+5:302021-05-22T13:34:52+5:30

कोरोना की रोकथाम और बड़ी संख्या में लोगों को संक्रमित होने से रोकने के लिए लॉकडाउन एक जरूरत है। हालांकि, साथ ही इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि अर्थव्यवस्था बहुत प्रभावित नहीं हो क्योंकि कोरोना से लड़ाई अभी लंबी चलने वाली है।

Bharat Jhunjhunwala blog: Do not let economy get affected by putting lockdown | भरत झुनझुनवाला का ब्लॉग: अर्थव्यवस्था प्रभावित न हो लॉकडाउन लगाने से

कोरोना लॉकडाउन के बीच अर्थव्यवस्था को ठीक रखने की चुनौती (फाइल फोटो)

फ्रैंकफर्ट स्कूल आफ फाइनांस ने एक अध्ययन में बताया है कि यदि लॉकडाउन नहीं लगाया जाता है तो मृत्यु अधिक संख्या में होती है, कार्य करने वाले लोगों की संख्या में गिरावट आती है और आर्थिक विकास प्रभावित होता है. इसके विपरीत यदि लॉकडाउन लगाया जाता है तो सीधे आर्थिक गतिविधियों पर ब्रेक लगता है और पुन: आर्थिक विकास प्रभावित होता है. 

फिर भी, उनके अनुसार लॉकडाउन लगाना उचित होता है चूंकि यदि लॉकडाउन लगाया जाता है तो प्रभाव कम समय तक रहता है. लॉकडाउन के हटने के बाद अर्थव्यवस्था पुन: चालू हो जाती है. तुलना में यदि मृत्यु अधिक संख्या में होती है तो प्रभाव ज्यादा लम्बे समय तक रहता है.

इसी क्रम में वित्तीय संस्था जेफ्रीज ने बताया है कि अमेरिका के तीन राज्यों एरिजोना, टेक्सास और यूटा में लॉकडाउन लगभग नहीं लगाए गए. इन राज्यों में संक्रमण ज्यादा फैला और अंतत: इनकी आर्थिक गतिविधियां ज्यादा प्रभावित हुई हैं. इनकी तुलना में जिन राज्यों ने लॉकडाउन लगाया उनमें अल्प समय के लिए प्रभाव पड़ा और वे पुन: रास्ते पर आ गए. 

जेफ्रीज ने पुन: स्कैंडिनेविया के दो देशों स्वीडन और डेनमार्क का तुलनात्मक अध्ययन किया. बताया कि स्वीडन में लॉकडाउन नहीं लगाया गया और लोगों को स्वैच्छिक स्तर पर सोशल डिस्टेंसिंग व मास्क पहनने के लिए प्रेरित किया गया जबकि डेनमार्क में लॉकडाउन लगाया गया. उन्होंने पाया कि स्वीडन में मृत्यु पांच गुना अधिक हुई है.

लॉकडाउन जरूरी पर लंबे समय तक नहीं

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने एक अध्ययन में कहा है कि इंग्लैंड में देर से लॉकडाउन लगाने के कारण अधिक संख्या में मृत्यु हुई है और विकास दर में ज्यादा गिरावट आई है. इन अध्ययनों से स्पष्ट है कि लॉकडाउन लगाना जरूरी होता है.

इससे तत्काल एवं सीधे आर्थिक गतिविधियां प्रभावित होती हैं लेकिन यह प्रभाव लम्बे समय तक नहीं रहता है. विशेषकर मृत्यु कम होने से जो मानव कष्ट है वह भी कम होता है. अत: प्रश्न लॉकडाउन लगाने और न लगाने का नहीं है. लॉकडाउन तो लगाना ही पड़ेगा. सही प्रश्न यह है कि लॉकडाउन किस तरह से लगाया जाए जिससे कि उसका तत्काल होने वाला आर्थिक नुकसान कम हो.

दि इकोनॉमिक्स टुडे पत्रिका ने सुझाव दिया है कि कंस्ट्रक्शन और मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों के लिए श्रमिकों को कंस्ट्रक्शन साइट अथवा फैक्टरी की सरहद में ही रखा जा सकता है. उनके रहने, सोने और खाने की व्यवस्था वहीं कर दी जाए तो बाहर से संपर्क कम हो जाएगा, साथ ही संक्रमण फैलने की संभावना भी कम हो जाएगी. 

उन्होंने दूसरा सुझाव दिया है कि श्रमिकों को दो समूहों में विभाजित कर दिया जाए. उन्हें अलग-अलग शिफ्ट में कार्य स्थल पर बुलाया जाए जिससे यदि एक समूह के श्रमिक संक्रमित हों तो दूसरे समूह के श्रमिकों के जरिये आर्थिक गतिविधि बाधित नहीं होगी.

हमें समझना चाहिए कि कोविड का वर्तमान संकट तत्काल समाप्त होने वाला नहीं है. यह लम्बे समय तक चल सकता है. हाल में ही इंग्लैंड के एक अर्थशास्त्री ने वार्तालाप के दौरान कहा कि उनके आकलन के अनुसार कोविड के संकट से उबरने के लिए विश्व को तीन से पांच वर्ष लग जाएंगे क्योंकि एक, संपूर्ण विश्व का टीकाकरण होने में समय लगेगा; दो, इस दौरान वायरस के नए म्यूटेशन उत्पन्न हो सकते हैं; तीन, मृत्यु होने से तकनीकी विशेषज्ञों की कमी होगी इत्यादि.

इसलिए हमें दीर्घ अवधि के लिए सोचना चाहिए और इस गलतफहमी से उबरना चाहिए कि यदि हमने 15 दिन के लिए लॉकडाउन आरोपित कर दिया तो इसके बाद सब कुछ सामान्य हो जाएगा. जरूरत यह है कि किन कार्यों पर और किस प्रकार से लॉकडाउन लगाया जाए, इस पर विचार किया जाए. 

लॉकडाउन को लेकर अलग तरीके से रणनीति की जरूरत

इसके हर कार्य का अलग-अलग आर्थिक आकलन किया जाए कि उस कार्य पर लॉकडाउन लगाने से कितनी हानि होगी और संक्रमण के बढ़ने में कितना खतरा है. तब लॉकडाउन का निर्णय लिया जाए. जैसे विद्यालय, बस यात्रा, रेल यात्रा, हवाई यात्रा, अंतरराष्ट्रीय यात्रा, रेस्टॉरेंट, सिनेमा, नुक्कड़ के बाजार, कंस्ट्रक्शन की साइट और मैन्युफैक्चरिंग- इन सबका अलग-अलग लाभ-हानि का ब्यौरा बनाया जा सकता है. 

गणना की जाए कि यदि बस यात्रा पर प्रतिबंध लगा दिया गया तो उससे आर्थिक विकास में कितनी कमी आएगी और संक्रमण में कितनी कमी आएगी. इसी प्रकार हर गतिविधि का लाभ-हानि का आंकड़ा बनाया जा सकता है. जैसे सिनेमाघरों में अधिक संख्या में लोग आसपास बैठते हैं अत: सिनेमाघर पर प्रतिबंध लगाने से संक्रमण में गिरावट ज्यादा होगी जबकि आर्थिक नुकसान कम होगा. 

इसी प्रकार नुक्कड़ बाजार में संक्रमण की संभावना एयरकंडीशन मॉल की तुलना में कम होती है क्योंकि खुलापन होता है; और संक्रमण हो भी जाए तो वह एक सीमित क्षेत्र में होता है जबकि आर्थिक गतिविधि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. इस प्रकार हर गतिविधि का अलग-अलग लाभ-हानि का मूल्यांकन किया जाना चाहिए और तब तय करना चाहिए कि किन गतिविधियों को लॉकडाउन में शामिल किया जाए.

टीका लगाने का भी इसी प्रकार अलग-अलग आकलन करना चाहिए. मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में कार्यरत श्रमिकों को प्राथमिकता देते हुए टीका लगाया जाए ताकि संक्रमण की संभावना कम हो जाए और श्रमिक निडर होकर कार्यस्थल पर रहें. 

इसी प्रकार सेवा क्षेत्र जैसे सॉफ्टवेयर, पर्यटन आदि के आर्थिक योगदान के अनुसार टीका लगाने की प्राथमिकता तय करनी चाहिए. ध्यान रहे कि आर्थिक गतिविधि चलेगी तो सभी को अंतत: लाभ होगा. सरकार को इस दिशा में तत्काल कदम उठाने चाहिए.

Web Title: Bharat Jhunjhunwala blog: Do not let economy get affected by putting lockdown

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