रंगनाथ सिंह ब्लॉग: विवेक अग्निहोत्री ने जिस मकसद से 'कश्मीर फाइल्स' बनायी वह पूरा हुआ, 'सिस्टम' और 'सरकार' ने उनका पूरा साथ दिया

By रंगनाथ सिंह | Published: March 25, 2022 01:16 PM2022-03-25T13:16:45+5:302022-04-27T15:16:03+5:30

फिल्म निर्देशक विवेक अग्निहोत्री की नई फिल्म The Kashmir Files में अनुपम खेर, पल्लवी जोशी, मिथुन चक्रवर्ती और दर्शन कुमार इत्यादि मुख्य भूमिका में हैं।

rangnath singh blog on vivek agnihotri the kashmir files agenda setting and cinematic craft | रंगनाथ सिंह ब्लॉग: विवेक अग्निहोत्री ने जिस मकसद से 'कश्मीर फाइल्स' बनायी वह पूरा हुआ, 'सिस्टम' और 'सरकार' ने उनका पूरा साथ दिया

विवेक अग्निहोत्री की फिल्म 'दि कश्मीर फाइल्स' के पोस्टर पर अनुपम खेर

Highlightsविवेक अग्निहोत्री की फिल्म 'दि कश्मीर फाइल्स' कश्मीरी पण्डितों के राज्य से पलायन पर केंद्रित है।यूपी, मध्यप्रदेश, गुजरात, हरियाणा, उत्तराखण्ड, कर्नाटक, गोवा, त्रिपुरा इत्यादि राज्यों में फिल्म को कर मुक्त किया गया है।

कुछ मित्र कश्मीर फाइल्स को सिनेमाई क्राफ्ट के आधार पर तौल रहे हैं जबकि साफ है कि विवेक अग्निहोत्री ने यह फिल्म एजेंडा सेटिंग के लिए बनायी है जिसमें यह सफल होती दिख रही है। पहले भी अच्छी-बुरी ऐसी फिल्में बनती रही हैं। फर्क इतना है कि कुछ चक्कियाँ अनाज मोटा पीसती हैं, कुछ महीन।

वीडियोग्राफी की तकनीक का उसके जन्म से ही कलाकार, राजनेता और व्यापारी इत्यादि अपने-अपने तरीके से इस्तेमाल करते रहे हैं। कल एक फिल्मकार मित्र ने कश्मीर फाइल्स के बाबत एक गौरतलब बात कही कि कुछ लोग कह रहे हैं कि फिल्म में 'झूठ' या 'आधा सच' दिखाया  गया है! मानो फिल्म न होकर खबर हो गयी जिसका फैसला सच और झूठ के आधार पर होगा! 

दोस्त की बात पर देर तक सोचता रहा कि अगर खबर के मेयार पर सिनेमा को तौला जाए तो फिर हम सबकी प्यारी अनारकली का क्या होगा! जोधा-अकबर की गंगा-जमुनी तहजीब क्या होगा! देश में सिर पर लाल टोपी रूसी और जापानी जूता पहनकर कौन घूमता है भला! तो यह जाहिर है कि सिनेमा को पूरी तरह खबर के मानकों पर नहीं तौला जा सकता। कुछ साथियों की प्रतिक्रिया से ऐसा लग रहा है कि कश्मीर फाइल्स सामुदायिक विद्वेष को बढ़ावा देती है। कुछ साथियों ने ऐसे वीडियो शेयर किये जिसमें कुछ लोगों को फिल्म देखकर भगवान की याद आने लगी और वो 'जय श्री राम' के नारे लगाने लगे। मुझे नहीं लगता है कि ऐसे लोगों में फिल्म देखकर अचानक से भगवत-भक्ति जगी होगी। ये लोग पहले से ही चूल्हे पर चढ़े होंगे और ये जरूर हुआ होगा कि थोड़ी देर के लिए अतिरिक्त आक्सीजन मिलने से उनके अन्दर सुलग रही लौ जरा तेज हो गयी होगी।  

जब फिल्म आयी तो इसे देखना का इरादा था। फिलहाल वह इरादा त्याग दिया है। यहाँ यह जरूर कहना चाहूँगा कि कम से कम मेरी टाइमलाइन पर इस फिल्म के तारीफ में कम लोग लिखते दिखे, इसकी नख-शिख बुराई करते ज्यादा दिखे जिसकी वजह से इस फिल्म का मेरी टाइमलाइन पर जबरदस्त प्रचार हुआ है। सच पूछिए, यह दबाव इतना ज्यादा है कि कुछ लोग फिल्म इसलिए देख रहे हैं कि वह भी इसकी बुराई कर सकें। कश्मीर फाइल्स की आलोचना में ऐसे-ऐसे कुतर्क गढ़े गये हैं कि कुछ लोग गम्भीर रूप से हास्यास्पद हो गये हैं। एक मित्र ने फिल्म का एक संवाद उद्धृत किया है जिसमें एक पात्र कहती है कि सरकार उनकी है तो क्या हुआ, सिस्टम हमारा है! हो सकता है कि कश्मीर फाइल्स बुरी और बदनीयत फिल्म हो लेकिन सोशलमीडिया पर आयी प्रतिक्रियाओं से लग रहा है कि इस फिल्म से वह 'सिस्टम' हिल गया है। 

कुछ मित्रों का हिला हुआ रूप देखकर नसीरूद्दीन शाह का वह बयान याद आ गया कि इस देश में फिल्मों से केवल हेयरस्टाइल बदलती है। यहाँ अनुराग भइया की फिल्म का संवाद भी याद आ रहा है कि हिन्दुस्तान में जब तक सिनेमा है लोग चूतिया बनते रहेंगे। जब हिन्दी सिनेमा के दो स्थापित नाम बोल रहे हों तो हम जैसों का चुप रहना ही बेहतर है। यह जरूर कहना चाहेंगे कि हिन्दी  सिनेमा का सच इन दो बयानों के बीच ही डोलता रहता है। 

वैसे भी जिस फिल्म की पीएम-सीएम तारीफ और अन्य सीएम-नेता विपक्ष आलोचना कर रहे हों उसे सुपरहिट होने से कौन रोक सकता है! इस फिल्म को हिट कराने में 'सिस्टम' और 'सरकार' दोनों ने पूरा साथ दिया है। कश्मीर फाइल्स पर आ रही प्रतिक्रियाओं के मद्देनजर मुझे दो बातें कहनी थीं, पहली आज कह दी। अब दूसरी बात सुनने के लिए आपको दूसरे आलेख का इंतजार करना होगा।

Web Title: rangnath singh blog on vivek agnihotri the kashmir files agenda setting and cinematic craft

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