योगेश कुमार सोनी का ब्लॉग: इलेक्ट्रिक वाहन-बुनियादी ढांचा तो बने
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: July 8, 2019 02:52 PM2019-07-08T14:52:08+5:302019-07-08T14:52:08+5:30
ई-वाहनों के फायदे बहुत हैं. इनके इस्तेमाल से प्रदूषण नहीं होता. इलेक्ट्रिक वाहन हमें शोर से भी निजात दिला सकते हैं. इन दिनों इलेक्ट्रिक कारें सरकारी अधिकारियों को दी जा रही हैं व कार्यालयों में इसके चाजिर्ग प्वाइंट बनाए गए हैं.
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले बजट में इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या बढ़ाने पर जोर दिया गया है, लेकिन इसमें कई चुनौतियां हैं. दरअसल बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए विगत दिनों नीति आयोग ने निर्माता कंपनियों को इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए अपना रोड प्लान साझा करने को कहा था, जिसके मद्देनजर इस बजट में इन वाहनों को बढ़ाने पर जोर दिया गया है.
यह कदम तो अच्छा है, मोदी सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में भी इस पर बहुत जोर दिया था, लेकिन उतनी कामयाबी नहीं मिली जितनी अपेक्षा थी. इलेक्ट्रिक वाहन को चार्ज करने की व्यवस्था पहले बनानी होगी. जैसे पैट्रोल-डीजल या सीएनजी पंप थोड़ी-थोड़ी दूरी पर हैं वैसे ही इन वाहनों के लिए चार्जिग स्टेशन का होना अनिवार्य है.
इसके अलावा इनके अधिक चलने की क्षमता पर भी ध्यान देना होगा क्योंकि इलेक्ट्रिक कार एक बार में केवल अधिकतम 170 किमी ही चलती है और स्कूटर लगभग 50 किलोमीटर. इसके बाद उसको अन्य ईंधन से भी नहीं चला सकते, जैसे कि सीएनजी या एलपीजी खत्म होने पर उसको पैट्रोल पर चला सकते हैं.
सबसे बड़ी समस्या यह है कि एक कार चार्ज होने में 2 से 3 घंटे का समय लेती है. यदि किसी चार्जिग स्टेशन पर पांच-छह कारें लग गईं तो आखिरी वाले का अगले ही दिन नंबर आएगा. यही कारण रहा कि पिछले पांच सालों में जितने इलेक्ट्रिक वाहन निकले वे कुछ खास कामयाब नहीं हो सके. इलेक्ट्रिक वाहनों में पावर की कमी भी देखने को मिलती है. साथ ही इनकी टॉप स्पीड भी अभी बहुत कम है.
हालांकि ई-वाहनों के फायदे बहुत हैं. इनके इस्तेमाल से प्रदूषण नहीं होता. इलेक्ट्रिक वाहन हमें शोर से भी निजात दिला सकते हैं. इन दिनों इलेक्ट्रिक कारें सरकारी अधिकारियों को दी जा रही हैं व कार्यालयों में इसके चाजिर्ग प्वाइंट बनाए गए हैं. लेकिन ऐसे वाहनों के लिए अभी भी काफी तैयारी करने की जरूरत है.