हजारीबाग संसदीय क्षेत्र से समाप्त हुआ सिन्हा परिवार का दबदबा, इस सीट से 7 बार खिल चुका है कमल
By एस पी सिन्हा | Published: March 3, 2024 03:15 PM2024-03-03T15:15:19+5:302024-03-03T15:30:46+5:30
झारखंड के हजारीबाग संसदीय क्षेत्र से सदर विधायक मनीष जायसवाल को भाजपा के द्वारा उम्मीदवार घोषित कर दिए जाने के बाद चुनावी रंग में रंग गया है। इस सीट पर अब तक हुए 17 चुनाव में से 7 बार भाजपा ने जीता है। दो बार कांग्रेस के प्रत्याशी ने जीत दर्ज की। भाजपा के जीत में यशवंत सिन्हा का बड़ा रोल रहा है।
हजारीबाग: झारखंड के हजारीबाग संसदीय क्षेत्र से सदर विधायक मनीष जायसवाल को भाजपा के द्वारा उम्मीदवार घोषित कर दिए जाने के बाद चुनावी रंग में रंग गया है। इस सीट पर अब तक हुए 17 चुनाव में से 7 बार भाजपा ने जीता है। दो बार कांग्रेस के प्रत्याशी ने जीत दर्ज की। भाजपा के जीत में यशवंत सिन्हा का बड़ा रोल रहा है। वे तीन बार यहां से सांसद चुने गए। इस संसदीय क्षेत्र को देश के लिए 1952 में हुए पहले लोकसभा चुनावों के दौरान गठित नहीं किया गया। लेकिन, 1957 में यह संसदीय क्षेत्र पहली बार अस्तित्व में आया।
इस लोकसभा सीट में दो जिलों रामगढ़ और हजारीबाग के कुछ इलाकों को शामिल किया गया है। यह प्रकृति की गोद में बसा हुआ है और बहुत खूबसूरत है। यहां के पर्यटक स्थलों में हजारीबाग झील का प्रमुख स्थान है। हजारीबाग वन्य जीव अभयारण्य, कैनेरी पहाड़ी और रजरप्पा इसके अन्य प्रमुख पर्यटक स्थल हैं। अब जयंत सिन्हा के द्वारा चुनाव नहीं लड़ने के ऐलान के बाद हजारीबाग सीट से सिन्हा परिवार की दावेदारी खत्म हो गई है। भाजपा ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए हजारीबाग सीट से जयंत सिन्हा का टिकट काटकर भाजपा ने सदर विधायक मनीष जायसवाल को मैदान में उतारा है।
मनीष जायसवाल एक बड़े शराब कारोबारियों में से हैं। अब 2024 के लिए पार्टी ने जयंत सिन्हा का टिकट काटकर हजारीबाग से विधायक मनीष जायसवाल को उम्मीदवार बनाया है। इस तरह इस सीट से अब सिन्हा परिवार की दावेदारी खत्म हो गई है। इस तरह सीट पर सिन्हा परिवार की पिछले 25 सालों से चली आ रही दावेदारी समाप्त हो गई है।
1998, 1999, 2009 और 2014 के अलावा 2019 में सिन्हा परिवार ने इस सीट पर जीत का झंडा बुलंद किया था। माना जा रहा है कि पिछले दिनों पार्टी की ओर से किए गए आंतरिक सर्वे में मनीष जायसवाल को जयंत सिन्हा की तुलना में ज्यादा पसंदीदा उम्मीदवार बताया गया था। 1998 के लोकसभा चुनाव में जयंत सिन्हा के पिता यशवंत सिन्हा हजारीबाग से चुनाव जीते थे।
कारगिल युद्ध के बाद हुए चुनाव में भी यशवंत सिन्हा ने इस सीट से बाजी मार ली। हालांकि, 2004 में यशवंत सिन्हा हजारीबाग में कमल नहीं खिला पाए थे। 2009 में वे एक बार फिर विजयी हुए। उसके बाद पार्टी ने 2014 और 2019 में उनके बेटे को उम्मीदवार बनाया और दोनों बार जयंत सिन्हा ने जीत दर्ज की। 2019 में तो जयंत सिन्हा ने पौने 5 लाख से अधिक मतों से जीत हासिल की थी। 1989, 1991, 1996, 1998, 1999, 2004, 2009 और 2014 के चुनाव में कांग्रेस नहीं जीत सकी। 1971 और 1984 में कांग्रेस ने सांसद दिया। ऐसा सात बार के चुनाव में हुआ, जब कांग्रेस प्रत्याशी दूसरे नंबर पर रहे। 1991 और 2004 में भाकपा ने यहां से जीत दर्ज किया है। यहां से 1977 में भारतीय लोक दल के सांसद चुने गए थे।
हजारीबाग लोकसभा सीट में बरही, बरकागांव, रामगढ़, मांडू और हजारीबाग 5 विधानसभा सीटें आती हैं। हजारीबाग सदर विधानसभा सीट पर भाजपा, रामगढ़ विधानसभा सीट पर आजसू, मांडू विधानसभा सीट पर झामुमो, बड़कागांव विधानसभा सीट पर कांग्रेस और बरही विधानसभा सीट पर कांग्रेस का कब्जा है। हजारीबाग सीट झारखंड का संभवत: इकलौता सीट है, जहां चुनाव कराने को लेकर चार जिलों हजारीबाग, रामगढ, कोडरमा और चतरा जिला प्रशासन और पुलिस को लगना पड़ता है।
हजारीबाग लोकसभा सीट में यहां कुल 16 लाख एक हजार 947 मतदाता हैं। मतदान केंद्रों की संख्या यहां 2278 है। यहां की कुल जनसंख्या 24,23,186 है, जिसमे 70.81 फीसदी ग्रामीण और 29.19 फीसदी शहरी जनता है। इनमें से 15.25 फीसदी जनता अनुसूचित जाति और 12.96 फीसदी जनता अनुसूचित जनजाति से आती है। अपने पर्यटन के लिए मशहूर इस क्षेत्र को भारत के लाल गलियारे का एक अहम हिस्सा माना जाता है। लाल गलियारा भारत के पूर्वी भाग का एक क्षेत्र है जहाँ नक्सलवादी उग्रवादी संगठन सक्रिय हैं।