बीजेपी सांसद दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ ने की लालू प्रसाद यादव से मुलाकात, अटकलों का बाजार गर्म
By एस पी सिन्हा | Published: August 13, 2023 04:36 PM2023-08-13T16:36:34+5:302023-08-13T16:38:14+5:30
दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ ने 12 अगस्त को राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव से मुलाकात की। इस मुलाकात की फोटो उन्होंने सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए लालू प्रसाद यादव को भोजपुरिया समाज का अभिभावक बताया।
पटना: यूपी के आजमगढ़ से भाजपा के सांसद एवं भोजपुरी अभिनेता दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ ने 12 अगस्त को राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव से मुलाकात की। इस मुलाकात की फोटो उन्होंने सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए लालू प्रसाद यादव को भोजपुरिया समाज का अभिभावक बताया।
निरहुआ ने लालू प्रसाद के पांव छूकर आशीर्वाद लेते हुए फोटो ट्विटर पर शेयर की है। जिसमें वो लालू यादव के पैर छूते नजर आ रहे हैं। भाजपा सांसद ने अपने पोस्ट में लिखा- ‘भोजपुरिया समाज के अभिभावक राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव जी का आशीर्वाद लेवे के साथ ही उहा के स्वास्थ्य लाभ के जानकारी भईल ह। लालू जी के किडनी ट्रांसप्लांट के बाद हमनी के ई पहिला मुलाकात रहल ह। हमनी भोजपुरी के लोकर खूब चर्चा कइली।’
आज भोजपुरिया समाज के अभिभावक, राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री लालू प्रसाद यादव जी के आशिर्वाद लेवे के साथ ही उहा के स्वास्थ्य लाभ के जानकारी भईल ह।
— Nirahua Hindustani (@nirahua1) August 12, 2023
मा0 लालू जी के किडनी ट्रांसप्लांट के बाद हमनी के ई पहिला मुलाकात रहल ह। हमनी भोजपुरी के लेकर खूब चर्चा कइली। @laluprasadrjdpic.twitter.com/FNRVebCa9N
वहीं, दिनेश लाल यादव की लालू से मुलाकात के बाद राजनीतिक कयास भी लगाए जा रहे हैं। ये कयास लगाया जा रहा है कि निरहुआ अपना मूड तो नहीं बदल देंगे? लोग तरह-तरह की प्रतिक्रिया दे रहे हैं। एक यूजर ने लिखा- पलटी मरबे का.. तो दूसरे ने पूछा क्या हवा का रुख समझ गए हो। यूजर्स निरहुआ से यह भी पूछ रहे हैं कि अहीर रेजीमेंट का क्या हुआ? ज्यादातर यूजर्स इस पर सवाल उठा रहे हैं कि निरहुआ ने लालू प्रसाद को भोजपुरिया समाज का अभिभावक क्यों कहा?
हालांकि दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ की लालू यादव से की गई इस मुलाकात की तारीफ करने वाले भी कम नहीं हैं। एक यूजर ने लिखा, यही हमारी गौरवशाली संस्कृति हैं का दर्शन हैं, जहां हम कर्म युद्ध में एक दूसरे को पराजित करने के लिए पुरजोर प्रयत्न करते हैं, तो दूसरी तरफ कर्मयुद्ध के बहार समाजिक स्तर पर उनसे आशीर्वाद भी लेते हैं। जिसको कहते है मतभेद रखना, मनभेद नहीं।