बिहार के सरकारी स्कूलों में अब तक एक लाख से अधिक बच्चों के काटे गए नाम, कहीं भ्रष्टाचार का खेल तो नही चल रहा था!
By एस पी सिन्हा | Published: September 16, 2023 05:31 PM2023-09-16T17:31:23+5:302023-09-16T17:32:42+5:30
केके पाठक ने सरकारी स्कूलों की व्यवस्था पर विशेष फोकस किया है। शिक्षकों और छात्रों की उपस्थिति पर भी केके पाठक का जोर दिखा है। वहीं उन्होंने सख्त निर्देश दिए हैं कि स्कूल नहीं आने वाले छात्र-छात्राओं के नाम काट दिए जाएं।

(प्रतीकात्मक तस्वीर)
पटना: बिहार के स्कूलों में नामांकन के आड़ में कहीं भारी भ्रष्टाचार का खेल तो नही चल रहा था? इस बात की चर्चा अब धीरे-धीरे जोर इस कारण पकडती जा रही है क्योंकि केके पाठक के द्वारा शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव का पदभार संभालने के बाद से अब तक करीब एक लाख से अधिक बच्चों के नाम स्कूल से काटे जा चुके हैं।
दरअसल, केके पाठक ने सरकारी स्कूलों की व्यवस्था पर विशेष फोकस किया है। शिक्षकों और छात्रों की उपस्थिति पर भी केके पाठक का जोर दिखा है। वहीं उन्होंने सख्त निर्देश दिए हैं कि स्कूल नहीं आने वाले छात्र-छात्राओं के नाम काट दिए जाएं। इसका असर भी अब दिखने लगा है। राज्य में एक लाख से अधिक बच्चों के नाम स्कूलों से काटे जाने को नामांकन डुप्लिकेसी (एक से अधिक जगहों पर) खत्म करने तथा योजनाओं का गलत लाभ लेने को लेकर बड़ी कार्रवाई के रूप में देखा जा रहा है।
ये सभी ऐसे विद्यार्थी हैं, जो एक ही साथ सरकारी और निजी विद्यालयों में दाखिला लिए हुए हैं। ऐसे में कहा जा रहा है कि अगर ये बच्चे स्कूल नही आ रहे थे तो इनके नाम पर कही सरकारी योजनाओं के लाभ के नाम पर लूट तो नहीं हो रही थी? शिक्षा विभाग को जिलों से मिली रिपोर्ट के मुताबिक 13 सितंबर तक 1 लाख 1 हजार 86 बच्चों के नाम कटे हैं। हालांकि, इस आंकड़े में 4 जिलों की रिपोर्ट शामिल नहीं है, लिहाजा ये आंकड़ा और बढ़ सकता है। जिलों की रिपोर्ट के मुताबिक पश्चिम चंपारण और अररिया जिले में सबसे अधिक करीब 10-10 हजार बच्चों के नाम काटे गए है।
वहीं, पटना में 7 हजार बच्चों का नाम कटा है, जिनमें 4 हजार ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालय के हैं। ऐसे में जानकारों का मानना है कि स्कूलों में बच्चों को मिलने वाली पोषाहार योजना, ड्रेस योजना सहित कई योजनाओं का कहीं बंदरबांट का खेल तो नही चल रहा था? अगर ये बच्चे स्कूल नही आ रहे थे तो फिर इन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ कैसे दिया जा रहा था। चर्चाओं पर गौर करें तो अगर किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराई जाए तो बिहार में एक बडा शिक्षा घोटाला सामने आ सकता है।