बिहारः नीतीश सरकार के फैसले के विरोध में सहयोगी दल, भाकपा-माले ने किया डोमिसाइल नीति हटाए जाने का विरोध
By एस पी सिन्हा | Updated: July 1, 2023 16:20 IST2023-07-01T15:27:54+5:302023-07-01T16:20:05+5:30
भाकपा- माले ने नीतीश सरकार के फैसले का खुलकर विरोध किया है। माले विधायक संदीप सौरभ ने शनिवार को कहा कि बिना तर्क के डोमिसाइल खत्म किया गया है।

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पटनाः बिहार में नीतीश सरकार क द्वारा डोमिसाइल नीति हटाए जाने के मामले में महागठबंधन में शामिल दलों के द्वारा भी विरोध किया जाने लगा है। सरकार को समर्थन दे रही भाकपा- माले ने नीतीश सरकार के फैसले का खुलकर विरोध किया है। माले विधायक संदीप सौरभ ने शनिवार को कहा कि बिना तर्क के डोमिसाइल खत्म किया गया है।
Bihar | On Central Teachers’ Eligibility Test (CTET) aspirants protesting against the state government in Patna, DSP Kotwali, Law and Order, Nurul Haque says, "A case will be registered against the protestors. They are taking to the roads causing traffic jams, stopping school… pic.twitter.com/fW2454JoKb
— ANI (@ANI) July 1, 2023
इसलिए आगामी मानसून सत्र के दौरान हम लोग इसे सदन में रखेंगे। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर शिक्षक अभ्यर्थियों की चिंताओं से वे वाकिफ हैं। इसलिए उनकी पार्टी ने शुरू से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस मुद्दे पर विचार करने को कहा है। अब इसे लेकर माले की ओर से सदन में मामला उठाया जाएगा।
#WATCH | Bihar Police lathi-charge CTET aspirants as they protest against the state government in Patna pic.twitter.com/DsSCGbFCTK
— ANI (@ANI) July 1, 2023
उल्लेखनीय है कि बिहार प्रारंभिक युवा शिक्षक संघ ने कहा कि बिहार के विद्यालयों में बीपीएससी के माध्यम से होने वाली शिक्षकों की बहाली में स्थानीय नीति हटने से बिहार के युवाओं को काफी नुकसान होगा। चार सालों से शिक्षक बहाली के लिए परेशान शिक्षक अभ्यर्थियों पर स्थानीय नीति हटाकर पूरे देश के अभ्यर्थियों की बहाली करना शिक्षक अभ्यर्थियों को मानसिक प्रताड़ना देने जैसा फैसला है, जिसकी जितनी निंदा की जाये, कम होगा। बता दें कि इसी सप्ताह नीतीश सरकार ने एक बड़ा बदलाव करते हुए डोमिसाइल नीति हटा दिया।
इससे अब न सिर्फ बिहार बल्कि अन्य राज्यों के लोग भी बिहार में शिक्षक बनने के लिए आवेदन कर सकते हैं। शिक्षक अभ्यर्थियों का कहना है कि बिहार सरकार का यह निर्णय राज्य के युवाओं को धोखा देना है। पहले से ही बेरोजगारी की मार झेल रहे बिहार के युवाओं को अब एक और बड़ी परेशानी में नीतीश सरकार ने डाल दिया है।