Women's Day: बैडमिंटन नहीं खेलना चाहती थीं साइना नेहवाल, जानिए कैसे आया इस गेम में इंट्रेस्ट

By सुमित राय | Published: March 7, 2018 09:41 AM2018-03-07T09:41:57+5:302018-03-07T09:41:57+5:30

International Women's Day 2018: 8 मार्च को इंटरनेशनल वुमन्स डे के मौके पर lokmatnews.in बता रहा है साइना नेहवाल की सक्सेस स्टोरी।

international women's day 2018: badminton player saina nehwal success story | Women's Day: बैडमिंटन नहीं खेलना चाहती थीं साइना नेहवाल, जानिए कैसे आया इस गेम में इंट्रेस्ट

international women's day 2018: badminton player saina nehwal success story

Highlightsसाइना का जन्म 17 मार्च 1990 को हरियाणा के हिसार में हुआ था। बचपन में साइना नेहवाल का पहला प्यार बैडमिंटन नहीं, बल्कि कराटे था।साइना नेहवाल कराटे में ब्लैक बेल्ट हैं।

साइना नेहवाल साल 2012  में लंदन ओलंपिक में कांस्य जीतने वाली साइना पहली भारतीय शटलर बनीं। इसके बाद उन्होंने वर्ल्ड रैंकिंग में नंबर वन पायदान पर कब्जा किया। साइना के इस सक्सेस के पीछे पुलेला गोपीचंद का बड़ा हाथ है और उनकी ट्रेनिंग पुलेला गोपीचंद के बैडमिंटन एकेडमी में हुई, लेकिन इससे पहले साइना बैडमिंटन की ट्रेनिंग के लिए रोज 50 किलोमीटर ट्रैवल करती थीं। साइना ने बैटमिंटन खेलना छह साल की उम्र में शुरू किया और इसके पीछे का श्रेय वें अपने माता पिता के प्रोत्साहन को देती हैं। 8 मार्च को इंटरनेशनल वुमन्स डे के मौके पर lokmatnews.in बता रहा है साइना नेहवाल की सक्सेस स्टोरी।

हरियाणा का है फैमिली बैकग्राउंड

साइना नेहवाल की फैमिली अब हैदराबाद में रहती है, लेकिन उनका फैमिली बैकग्राउंड हरियाणा का है। साइना का जन्म 17 मार्च 1990 को हरियाणा के हिसार में हुआ था। साइना के पिता एग्रीकल्चर डिपार्टमें में पोस्टेड थे, जब उनका प्रमोशन हुआ तो पांच शहरों में ट्रांसफर का ऑफर आया। इसके बाद उन्होंने हैदराबाद को सेलेक्ट किया और उनकी पूरी फैमिली हैदराबाद शिफ्ट हो गई। (यह भी पढ़ें: Women's Day 2018: सानिया मिर्जा ने 6 साल की उम्र में थामा रैकेट, 17 साल में बनीं विंबलडन चैंपियन)

ट्रेनिंग के लिए रोज करती थीं 50 KM का सफर

साइना नेहवाल ने एक इंटरव्यू में बताया था कि जब मैं आठ साल की थीं और मुझे प्रैक्टिस के लिए घर से 25 किलोमीटर दूर स्टेडियम जाना पड़ता था। इसके लिए मुझे सुबह चार बजे उठना पड़ता था। मेरे पिता मुझे स्कूटर से स्टेडियम ले जाते। दो घंटे वे भी वहीं रहते थे और मेरा खेल देखते। फिर वहीं से मुझे स्कूल छोड़ते। सुबह जल्दी उठने की वजह से मुझे कई बार नींद भी आ जाती थी। कही गिर न पड़ूं, इसलिए मेरी मां भी साथ आतीं। पिता स्कूटर चलाते और मां मुझे पकड़कर बैठतीं। रोजाना करीब 50 किलोमीटर का सफर। आसान नहीं था, लेकिन यह सिलसिला महीनों तक चलता रहा।


बैडमिंटन नहीं खेलना चाहती थीं साइना

बचपन में साइना नेहवाल का पहला प्यार बैडमिंटन नहीं, बल्कि कराटे था। आपको बता दें कि वो कराटे में ब्लैक बेल्ट हैं। साइना ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उनके पापा का हरियाणा से हैदराबाद ट्रांसफर होने से पहले ही उन्होंने कराटे खेलना शुरू कर दिया था।

साइना ने बताया था कि उन्होंने कुछ प्रतियोगिताएं भी कराटे में जीती थीं, लेकिन कराटे लायक उनकी बॉडी फिट नहीं हो पा रही थी। आठ साल की उम्र में काफी मेहनत करने के बाद भी अपने शरीर को कराटे के बड़े टूर्नामेंट के लिए तैयार नहीं कर पा रही थीं, इसलिए मजबूरन साइना को इसे छोड़ना पड़ा।

साइना ने क्यों खेलना शुरू किया बैडमिंटन

कराटे छोड़ने के बाद साइना नेहवाल ने बैडमिंटन खेलना शुरू किया। साइना ने इंटरव्यू में बताया था कि उनके मम्मी-पापा का पसंदीदा खेल होने के नाते उन्होंने बैडमिंटन रैकेट पकड़ा और कोचिंग शुरू की थी। (यह भी पढ़ें: इस महिला के पास कभी नहीं थे डायट के लिए पैसे, वेटलिफ्टिंग वर्ल्ड चैंपियन में 22 साल बाद दिलाया गोल्ड)

शाहरुख खान की फैन हैं साइना

व्यस्त शेड्यूल के बावजूद वें शुक्रवार को हॉलीवुड या बॉलीवुड की कोई फिल्म देखने का समय निकाल लेती है। साइना बॉलीवुड स्टार शाहरुख खान की फैन हैं। साइना भले ही आज बैडमिंटन की स्टार हैं, लेकिन बचपन में उनको क्रिकेट खेलने का बहुत ज्यादा शौक था। एक इंटरव्यू में सायना की बड़ी बहन चंद्रांशु ने बताया था कि साइना को बचपन में क्रिकेट खेलना बहुत पसंद था और वो पढ़ाई छोड़कर क्रिकेट खेलती थी।


2016 में चर्चा में आईं साइना नेहवाल

साइना नेहवाल साल 2006 में पहली बार चर्चा में आईं, जब 16 साल की उम्र में उन्होंने राष्ट्रीय अंडर-19 चैंपियनशिप जीती। इसके अलावा इतिहास रचते हुए एक बार नहीं बल्कि दो बार एशियाई सेटेलाइट चैंपियनशिप जीती। उसी साल वांग यिहान के हातों वर्ल्ड जूनियर चैंपियनशिप के फाइनल में हारते हुए वें दूसरी स्थान पर रहीं।

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