आखिर क्या है 'सर्ज प्राइसिंग', क्यों हो रही है चर्चा, ओला-उबर से जुड़ा है मामला
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: November 5, 2019 11:32 IST2019-11-05T11:32:37+5:302019-11-05T11:32:37+5:30
यदि आप कैब का इस्तेमाल करते रहते हैं तो आपने अनुभव किया होगा कि अचानक से बरसात शुरू हो जाने, ऑफिस से छूटने के टाइम, ई-रिक्शा या ऑटो यूनियन के हड़ताल के समय कैब का किराया अचानक से कुछ घंटों के लिये बढ़ा दिया जाता है।

प्रतीकात्मक फोटो
दिल्ली में 4 नवंबर से ऑड-ईवन लागू है। इस बीच 'सर्ज प्राइसिंग' शब्द कई बार सुनने में आया। इस शब्द का इस्तेमाल अधिकतर एप बेस्ड कैब सर्विस ओल-उबर के संबंध में किया गया। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने खुद कहा कि कैब सर्विस देने वाली कंपनियां ऑड-ईवन के दौरान सर्ज प्राइसिंग लागू नहीं करेंगी।
ओला ने भी अपने एक बयान में कहा कि वह प्रदूषण नियंत्रण के लिये दिल्ली सरकार की पहल में साथ देगी। ओला ने कहा कि यात्रियों को अधिकतम और बिना किसी परेशानी के सुविधा उपलब्ध कराने की अपनी लगातार कोशिश के तहत हमने तय किया है कि ऑड-ईवन के दौरान ओला पर बुक की गई कैब के लिये सर्ज प्राइसिंग नहीं होगी।
उबर ने पिछले महीने ही कहा था कि वह दिल्ली में ऑड-ईवन योजना के दौरान सर्ज प्राइसिंग को लागू नहीं करेगी। इसके साथ ही कार पूलिंग सर्विस देने वाली कंपनी क्विक राइड ने भी कहा कि ऑड-ईवन के दौरान वह कार पूलिंग को बढ़ावा देने के लिये अपने यूजर्स से कन्वीनियंस चार्ज (सुविधा शुल्क) नहीं लेगी।
दरअसल सर्ज प्राइसिंग ऐसी प्रक्रिया है जिसके जरिये कैब प्रोवाइडर कंपनियां मांग बढ़ने के साथ ही किराया भी बढ़ा देती हैं। इस बात को ऐसे समझिये यदि आप ऑफिस से घर जाने के लिये कई बार कैब बुक कर चुके हैं तो अधिकतर आपको अलग-अलग दिनों में अलग-अलग समय पर किराये में अंतर देखने को मिलता होगा। जबकि आपके ऑफिस से घर की दूरी फिक्स है।
यदि आप कैब का इस्तेमाल करते रहते हैं तो आपने अनुभव किया होगा कि अचानक से बरसात शुरू हो जाने, ऑफिस से छूटने के टाइम, ई-रिक्शा या ऑटो यूनियन के हड़ताल के समय कैब का किराया अचानक से कुछ घंटों के लिये बढ़ा दिया जाता है। इसी प्रॉसेस को सर्ज प्राइसिंग कहते हैं।