वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि वाहन क्षेत्र में नरमी के कारणों में युवाओं की सोच में बदलाव भी है। लोग अब खुद का वाहन खरीदकर मासिक किस्त देने के बजाए ओला और उबर जैसी आनलाइन टैक्सी सेवा प्रदाताओं के जरिये वाहनों की बुकिंग को तरजीह दे रहे हैं। सीतारमण ने कहा कि दो साल पहले तक वाहन उद्योग के लिये ‘अच्छा समय’ था। निर्मला सीतारमण के इस बयान पर सोशल मीडिया में हंगामा मचा हुआ है। यूजर्स वित्तमंत्री के बयान पर तंज कस रहे हैं।
सीतारमण ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘निश्चित रूप से उस समय वाहन क्षेत्र के उच्च वृद्धि का दौर था।’’ मंत्री ने कहा कि क्षेत्र कई चीजों से प्रभावित है जिसमें भारत चरण-6 मानकों, पंजीकरण संबंधित बातें तथा सोच में बदलाव शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि कुछ अध्ययन बताते हैं कि गाड़ियों को लेकर युवाओं की सोच बदली है। वे स्वयं का वाहन खरीदकर मासिक किस्त देने के बजाए ओला, उबर या मेट्रो (ट्रेन) सेवाओं को पसंद कर रहे हैं। सीतारमण ने कहा, ‘‘अत: कोई एक कारण नहीं है जो वाहन क्षेत्र को प्रभावित कर रहे हैं। हमारी उस पर नजर है। हम उसके समाधान का प्रयास करेंगे।’’
भारत चरण-6 उत्सर्जन मानक एक अप्रैल 2020 से प्रभाव में आएगा। फिलहाल वाहन कंपनियां भारत चरण-4 मानकों का पालन कर रही हैं।
पढ़िए निर्मला सीतारमण के बयान पर कुछ सोशल मीडिया रिएक्शन्स...
फेसबुक पर समर अनार्य नाम के यूजर ने लिखा, 'व्हाट्सऐप यूनिवर्सिटी फ़ॉर्वर्ड वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण तक पहुँचा: दावा किया कि कारों की बिक्री इसलिए घट रही है क्योंकि मिलेनियल (नई सदी के युवा) ओला और ऊबर पसंद करते हैं। ट्रक बिक्री भी कम हुई है- मिलेनियल ट्रांसपोर्टर बैलगाड़ी पसंद करने लगे हैं कि बिना ट्रक ख़रीदे ट्रक पूल चलवा रहे हैं?'
एमपी कांग्रेस ने ट्विटर पर लिखा, 'ऑटो सेक्टर में मंदी के लिए वित्तमंत्री ने ओला-उबर कैब को जिम्मेदार बताया: मारक शक्ति का इतना असर..? ओ पिंजरे के पंछी रे, तेरी बात न समझे कोय, जो वित्त का थोड़ा भी ज्ञान होय, तो ना देते यूँ देश डुबोय..! —यूँ साहेब की तरफ़ न देखो, चालान हो जायेगा..!'
रितु सिंह ने तंज कसते हुए लिखा, 'निर्मला सीतारमण ने कहा कि ओला-उबर की वजह से कारों की बिक्री में मंदी है। ओला-उबर वाले कह रहे हैं कि हमारे धंधे में तो खुद ही मंदी है - 6 महीने में भाड़ों की संख्या में सिर्फ 4% वृद्धि!!'
अभय दुबे पैरोडी अकाउंट ने लिखा, 'पहले अरुण जेटली, पीयूष गोयल और अब निर्मला सीतारमण। मनमोहन सरकार जाने के बाद इन तीनों ने देश की अर्थव्यवस्था का ऐसा हाल किया जैसे बंदर के हाथ उस्तरा। रोज़ नए कीर्तिमान बन रहे हैं। रुपया सबसे कमजोर, पेट्रोल सबसे महंगा, बेरोज़गारी सबसे ज़्यादा, मंदी सबसे ज़्यादा। आगे अब और क्या?'
समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा से इनपुट्स लेकर