कार लोन के साथ HDFC बैंक GPS डिवाइस खरीदने को करती थी मजबूर!

By रजनीश | Published: July 23, 2020 06:27 AM2020-07-23T06:27:16+5:302020-07-23T06:27:16+5:30

कार खरीदने के लिए बैंक जाएं कार लोन लेने और बैंक लोन के साथ ही आपको 15-20 हजार का कोई दूसरा सामान खरीदने के लिए मजबूर करे तो कैसा होगा।

HDFC Bank may have bundled GPS devices with vehicle loans | कार लोन के साथ HDFC बैंक GPS डिवाइस खरीदने को करती थी मजबूर!

प्रतीकात्मक फोटो

HighlightsHDFC बैंक कार लोन के साथ ग्राहकों को जीपीएस डिवाइस जबरदस्ती लेने को मजबूर करती थी। ये जीपीएस डिवाइस मुंबई स्थित ट्रैकप्वाइंट जीपीएस फर्म द्वारा बेचे जाते थे।

कार खरीदने के लिए बैंक कार लोन देती हैं लेकिन एचडीएफसी बैंक (HDFC) के कार लोन से जुड़ा एक अजीब मामला सामने आया है। दरअसल HDFC बैंक कार खरीदने वाले लोगों को चार साल के लिए एक वाहन ट्रैकिंग डिवाइस (जीपीएस) खरीदने के लिए मजबूर किया।

शनिवार को बैंक ने कहा कि व्हीकल फाइनेंस यूनिट के कर्मचारी के खिलाफ उसने कार्रवाई की है। नियामक दिशानिर्देशों के संभावित उल्लंघन के इस मामले में एचडीएफसी बैंक के कर्जदारों को साल 2015 से दिसंबर 2019 तक लगभग चार साल के लिए कार खरीदने के साथ ही जीपीएस डिवाइस लेने पर भी मजबूर होना पड़ा। 

20 हजार कीमत के थे डिवाइस
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक सूत्रों के अनुसार, देश के सबसे बड़े निजी क्षेत्र के बैंक ने व्हीकल लोन लेने वाले ग्राहकों को 2015 से 2019 के दौरान 18,000 से 20,000 रुपये की कीमत वाले ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) उपकरणों को लेने के लिए मजबूर किया। 

खास तौर के ये जीपीएस डिवाइस हितों के टकराव और नियामक मानदंडों के उल्लंघन का संकेत दे रहे थे। इस मुद्दे पर, एचडीएफसी बैंक के एक प्रवक्ता ने कहा, "जैसा कि आप जानते हैं कि इस मामले में हमें जो कहना था, हमने कहा है (श्री पुरी का एजीएम संबोधन)। और इसमें और बोलने के लिए कुछ भी नहीं है।"

एचडीएफसी बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी आदित्य पुरी ने शनिवार को वार्षिक आम बैठक में शेयरधारकों को संबोधित करते हुए कहा था कि "व्यक्तिगत कदाचार" का प्रदर्शन करने के लिए ऑटो लोन व्यवसाय के कुछ कर्मचारियों के खिलाफ "अनुशासनात्मक कार्रवाई" की गई है। 

डिवाइस लेने से इनकार करने पर नहीं मिलता था लोन
आरोप हैं कि जीपीएस उपकरणों को लोन के साथ दिया जा रहा था और जिन लोगों ने इसे लेने से इनकार किया था, उन्हें आमतौर पर लोन की मंजूरी नहीं दी गई। 

लोन में जुड़ती थी कीमत
ये जीपीएस डिवाइस मुंबई स्थित ट्रैकप्वाइंट जीपीएस फर्म द्वारा बेचे जाते थे। रजिस्टर ऑफ कंपनी के डाटा के मुताबिक वित्त वर्ष 2015 से 2019 के बीच कंपनी के रेवेन्यू में 175 गुना वृद्धि हुई है। इस जीपीएस का चार्ज लोन में ही जुड़ता था। इसके साथ ही ऑटो लोन यूनिट पर इस डिवाइस को बेचने का भारी दबाव था।

ट्रैकप्वाइंट के एक पूर्व कर्मचारी ने नाम न बताने की शर्त पर मिंट से बताया कि जीपीएस बनाने वाली कंपनी के बिक्री अधिकारियों को HDFC बैंक के अधिकारियों से अक्सर मिलने और जीपीएस डिवाइस के बिक्री लक्ष्य तक पहुंचने के लिए कहा जाता था। यह एक टाई-अप की तरह था।

Web Title: HDFC Bank may have bundled GPS devices with vehicle loans

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