प्रमोद भार्गव वरिष्ठ पत्रकार व साहित्कार हैं। वे जनसत्ता से लेकर हंस तक कई पत्र-पत्रिकाओं में लेखन का काम कर चुके हैं। 'भाषा और भाषाई शिक्षा के बुनियादी सवाल' और 'मीडिया का बदलता स्वरूप' प्रमोद भार्गव की प्रमुख किताबों के लेखक हैं।Read More
कथा में यह भी है कि इसी दिन शिव अत्यंत क्रोधित हुए और संपूर्ण ब्रह्मांड के विनाश के लिए विश्व प्रसिद्ध तांडव नृत्य करने लगे. शिव स्वयं यह मानते हैं कि स्त्री-पुरुष समेत प्रत्येक प्राणी की ब्रह्मांड में स्वतंत्र सत्ता स्थापित है. ...
जवानों को कैलोरी की कमी पूरी करने के लिए विशेष प्रकार का खाना दिया जाता है, किंतु इसकी उपलब्धता में कंजूसी बरती जा रही है. एकाएक वैकल्पिक भोजन की स्थिति बनने पर 82 प्रतिशत कैलोरी का ही भोजन दे दिया जाता है. ...
आजकल खास तौर से चीन और अमेरिकी वैज्ञानिक विषाणु (वायरस) और जीवाणु (बैक्टीरिया) से प्रयोगशालाओं में छेड़छाड़ कर एक तो नए विषाणु व जीवाणुओं के उत्पादन में लगे हैं, दूसरे उनकी मूल प्रकृति में बदलाव कर उन्हें और ज्यादा सक्षम व खतरनाक बना रहे हैं ...
बहरहाल केंद्र सरकार को इस ओर से मुंह मोड़े रखने की बजाय ऐसे कानून को अस्तित्व में लाने की जरूरत है, जिससे दागी संसद, विधानसभाओं और त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था की देहरी पर ही ठिठके रह जाएं. ...
दिलचस्प बात है कि सोलह साल पहले पाकिस्तान के चर्चित वैज्ञानिक एक्यू खान को परमाणु तस्करी में पकड़ा गया था. खान ने डच कंपनी से यूरेनियम संवर्धन में इस्तेमाल होने वाली सेंट्रीफ्यूज मशीन का डिजाइन चोरी कर पाकिस्तान को परमाणु हथियार विकसित करने लायक बना ...
यह अफलातूनी प्रस्ताव ‘नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर ट्रांसफार्मिग इंडिया’ (नीति आयोग) ने भारत सरकार को दिया है. यह प्रस्ताव केंद्रीय मंत्रिमंडल स्वीकार कर लेता है तो पीडीएस के जरिये चिकन, मटन, मछली और अंडा रियायती दरों पर उपलब्ध होगा. यह प्रस्ताव आयोग के 15 ...
देश के इन संस्थानों में यह स्थिति तब है, जब सरकार ने पदों को भरने के लिए कई आकर्षक योजनाएं शुरू की हुई हैं. इनमें रामानुजम शोधवृत्ति, सेतु-योजना, प्रेरणा-योजना और विद्यार्थी-वैज्ञानिक संपर्क योजना शामिल हैं. महिलाओं के लिए भी अलग से योजनाएं लाई गई है ...
जलवायु परिवर्तन के असर पर शोध कर रहे वैज्ञानिकों का मानना है कि सन 2100 तक धरती के तापमान में वृद्धि को नहीं रोका गया तो हालात नियंत्रण से बाहर हो जाएंगे. क्योंकि इसका सबसे ज्यादा असर खेती पर पड़ रहा है. धरती की नमी घट रही है और शुष्कता बढ़ रही है. ...