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#KuchPositiveKarteHai: वेटर का काम करने से लेकर ओलंपिक तक का सफर, जिसने रियो में बढ़ाया भारत का गर्व

By विनीत कुमार | Published: August 11, 2018 2:09 PM

मनीष का प्रदर्शन रियो ओलंपिक के रेस वॉकिंग (पैदल रेस) में काफी अच्छा रहा और कुछ सेकेंड्स से वह भारत के लिए ब्रॉन्ज मेडल जीतने से चूक गये।

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नई दिल्ली, 11 अगस्त: हमारे देश में खेल की दुनिया में ऐसे तो कई ऐसे सितारे हुए हैं, जिनकी कायल पूरी दुनिया हुई है। फिर चाहे बात सचिन तेंदुलकर और सुनील गावस्कर जैसे क्रिकेटरों की हो या फिर महिला बॉक्सर मैरी कॉम और बैडमिंटन स्टार पीवी सिंधु, साइना नेहवाल की। Lokmatnews.in के #KuchPositiveKarteHai के इस अभियाम में हम आज हालांकि आपको एक ऐसे ऐथलीट के बारे में बता रहे हैं जिसके करियर की शुरुआत तो बतौर वेटर हुई पर रियो ओलंपिक-2016 में उसने भारत का प्रतिनिधित्व किया।

जी हां! जिस शख्स की बात हम कर रहे हैं वे हैं- मनीष सिंह रावत। मनीष का प्रदर्शन रियो ओलंपिक के रेस वॉकिंग (पैदल रेस) में काफी अच्छा रहा और कुछ सेकेंड्स से वह भारत के लिए ब्रॉन्ज मेडल जीतने से चूक गये।

चाय बेचने और खेतों में काम करने से रियो तक का सफर

उत्तराखंड के चमोली जिले के सत्तार के रहने वाले मनीष के पिता का निधन 2002 में हो गया। इस समय मनीष केवल 10 साल के थे। मां के पास मनीष सहित चार बच्चों के पालन-पोषण के लिए कोई चारा नहीं था और वे खेतों में काम करने लगीं। मनीष भी स्कूल जाने से पहले अपनी मां की मदद खेतों में हाथ बंटाकर करने लगे। साल-2006 में मनीष को अपने घर के पास ही एक होटल में वेटर का काम मिल गया।

हालांकि, इससे जो पैसे मिलते थे वे दो बहनों, एक छोटे भाई और मां के लिए नाकाफी रहते थे। इस बीच मनीष को मालूम चला कि अगर वे एथलेटिक्स में अपना करियर आगे बढ़ाते हैं तो उन्हें सरकारी नौकरी और मदद मिल सकती है। आखिरकार मनीष रेस वॉकिंग में अपना करियर बनाने का फैसला किया।

ऐसे शुरू हुआ एथलीट मनीष का करियर

उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में मनीष ने अभ्यास शुरू किया। वह अपने काम के दौरान भी लगातार इसका अभ्यास करते थे। दरअसल, रेस वॉकिंग में एथलीट के चलने का तरीका आम चाल से अलग होता है और कई बार दूसरे लोगों को इसे देखकर हंसी भी आती है। हालांकि, मनीष इन सब बातों से बेपरवाह अपने अभ्यास में लगे रहे। 

साल 2015 में मनीष आईएएएफ रेस वॉकिंग चैलेंज के 20 किलोमीटर इवेंट के फाइनल में पहुंचने में कामयाब रहे और फिर बीजिंग में वर्ल्ड चैम्पियनशिप में 50 किलोमीटर रेस में 3.57.11 का समय निकालकर वह रियो के लिए क्वॉलीफाई करने में कामयाब रहे। रियो ओलंपिक के 20 किलोमीटर इवेंट के फाइनल में मनीष 13वें स्थान पर रहे। इसमें उन्होंने दुनिया के कुछ बेहतरीन एथलीटों जैसे- 4 पूर्व वर्ल्ड चैम्पियन, 3 एशियन चैम्पियन और 2 यूरोपीय चैम्पियंस और 2 ओलंपिक मे़डल विजेता को पीछे छोड़ा। मनीष ने इस रेस को पूरा करने में 1 घंटे 21 मिनट और 21 सेकेंड का समय लिया और केवल कुछ सेकेंड्स से ब्रॉन्ज से चूक गये।

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