#KuchhPositiveKarteHain: लड़कों के साथ खेली फुटबॉल, गरीबी को मात देकर गोल्ड जीत रचा इतिहास, हिमा दास की परीकथा सरीखी कहानी
By अभिषेक पाण्डेय | Published: July 14, 2018 12:51 PM2018-07-14T12:51:11+5:302018-07-14T12:59:19+5:30
#KuchhPositiveKarteHain: Hima Das - गरीब किसान की बेटी हिमा दास के पास एक समय अच्छे जूते खरीदने तक के पैसे नहीं थे, जानिए उनकी सफलता की हैरान करने वाली कहानी
51.46 सेकेंड का समय निकालते हुए AIFF अंडर-20 की 400 मीटर रेस में गोल्ड जीतकर इतिहास रचने वाली हिमा दास की सफलता की कहानी परीकथा सरीखी रही है। असम के एक छोटे से गांव से निकलकर फिनलैंड में एथलेटिक्स ट्रैक इवेंट में गोल्ड जीतने वाली पहली भारतीय बनने का सफर किसी सपने के सच होने जैसा लगता है।
एथलेटिक्स नहीं फुटबॉल था हिमा की पहली पसंद
असम के नौगांव जिले के एक छोटे से गांव में रंजीर और जोनाली दास के छह बच्चों में सबसे छोटी हिमा को महज 24 महीने पहले तक पता भी नहीं था कि एथलेटिक्स होता क्या है। वह अपने पिता के धान के खेतों में फुटबॉल खेला करती थीं और कुछ स्थानीय क्लबों में लड़कों के साथ फुटबॉल भी खेल भी चुकी थीं। फिर एक स्थानीय कोच निपोन दास के साथ हिमा की मुलाकात उनकी जिंदगी के लिए टर्निंग पॉइंट साबित हुआ। निपोन दास ने उन्हें एथलेटिक्स में हाथ आजमाने की सलाह दी।
शुरू में अच्छे स्पाइक्स जूते खरीदने के भी नहीं थे पैसे
लेकिन मुसीबत यहां भी हिमा के लिए कम नहीं थीं और उनके पिता की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी वह रेस के लिए जरूरी स्पाइक्स जूते भी खरीद सकें। उनके पिता के पास सिर्फ दो बीघे जमीन है और यही हिमा समेत उनके छह बच्चों के गुजारे का जरिया है। हिमा ने पहली बार 100 मीटर और 200 मीटर की रेस में सस्ते स्पाइक्स जूते पहनकर हिस्सा लिया और अपनी प्रतिभा से कोच को हैरान कर दिया।
पढ़ें: ऐतिहासिक गोल्ड जीतने के बाद राष्ट्रगान बजने पर भावुक हुईं हिमा दास, छलक पड़े आंसू, देखें वीडियो
इसके बाद निपोन दास ने उन्हें बेहतर ट्रेनिंग के लिए उनके गांव से 140 किलोमीटर दूर स्थित राजधानी गुवाहाटी जाने की सलाह दी। हालांकि इसके लिए शुरू में उनके माता-पिता तैयार नहीं थे लेकिन कोच निपोन दास ने उन्हें मना लिया। इसके बाद कोच निपोन की मदद से हिमा को गुवाहाटी के सरुसाजई स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स में दाखिला मिल गया और फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
पढ़ें: हिमा दास ने रचा इतिहास, बनीं वर्ल्ड चैंपियनशिप के ट्रैक इवेंट में गोल्ड जीतने वाली पहली भारतीय
हिमा ने एथलेटिक्स ट्रैक इवेंट में भारत को दिलाया पहला गोल्ड
हिमा ने अप्रैल में गोल्ड कोस्ट में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स के 400 मीटर रेस के फाइनल में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 51.32 सेकेंड का समय निकालते हुए छठा स्थान हासिल किया था। लेकिन अभी इतिहास बनना बाकी था, फिनलैंड में 13 जुलाई को हिमा दास ने AIFF अंडर-20 की 400 मीटर रेस के फाइनल में 51.46 सेकेंड का समय निकालते हुए भारत को ट्रैक इवेंट इतिहास का पहला गोल्ड मेडल दिला दिया।
पढ़ें: हिमा दास की अंग्रेजी पर कमेंट को लेकर ट्विटर पर छाई नाराजगी के बाद एथलेटिक्स फेडरेशन ने मांगी माफी
हिमा इस रेस की शुरुआत के पहले 35 सेकेंड में टॉप-तीन में भी नहीं थी। लेकिन इसके बाद उन्होंने जोरदार वापसी की और सबको पीछे छोड़ते हुए भारत को एथलेटिक्स ट्रैक इवेंट का पहला गोल्ड दिला दिया।
पिछले साल जैवलिन थ्रो में नीरज चोपड़ा ने गोल्ड मेडल जीतते हुए एथलेटिक्स के इतिहास में देश को पहला मेडल दिलाया था। लेकिन अब तक कोई भी भारतीय एथलेटिक्स के ट्रैक इवेंट में गोल्ड मेडल नहीं जीत पाया है। यानी, हिमा ने इस कारनामे से महान भारतीय धावकों पीटी ऊषा और मिल्खा सिंह को भी पीछे छोड़ दिया है।
पढ़ें: हिमा दास ने वर्ल्ड एथलेटिक्स में गोल्ड जीत रचा इतिहास, सोशल मीडिया में लगा बधाइयों का तांता
हिमा अभी महज 18 साल की हैं और गजब की प्रतिभाशाली हैं, ऐसे में आने वाले दिनों में उनके qJ नए कारनामों और उपलब्धियों के लिए हर देशवासी बेकरारर रहेगा!