27 जुलाई का दिन देश के निशानेबाजी के इतिहास में एक बड़ा मील का पत्थर बना, जब जसपाल राणा ने इटली के मिलान शहर में 1994 में 46वीं विश्व निशानेबाजी चैंपियनशिप के जूनियर वर्ग में स्वर्ण पदक हासिल किया। उन्होंने रिकॉर्ड स्कोर (569/600) बनाकर तहलका मचा दिया।
विश्व निशानेबाजी के नक्शे पर जसपाल राणा का यह पहला स्वर्णिम हस्ताक्षर था। उन्होंने इसके बाद बहुत सी सफलताएं हासिल कर देश का नाम रौशन किया, लेकिन उनका यह पहला सुनहरा कदम हमेशा यादगार रहेगा।
जसपाल राणा को द्रोणाचार्य न मिलने पर चयन पैनल पर बरसे थे बिंद्रा
भारत की ओर से ओलंपिक में व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतने वाले एकमात्र खिलाड़ी अभिनव बिंद्रा ने बीते साल जसपाल राणा का नाम द्रोणाचार्य पुरस्कार के लिए नामित नहीं किये जाने पर चयन पैनल की कड़ी आलोचना की थी। बिंद्रा ने कहा था कि उनके शिष्यों को टोक्यो ओलंपिक में अच्छा प्रदर्शन करके चयन समित को गलत साबित करना चाहिए।
हमें जिन नीतियों से सफलता मिली उसे ओलंपिक से पहले बदलने की जरूरत नहीं: जसपाल राणा
भारतीय जूनियर पिस्टल टीम के कोच जसपाल राणा का मानना है कि राष्ट्रीय निशानेबाजी महासंघ को मौजूदा नीतियों और कार्यक्रमों से छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए। मनु भाकर, चिंकी यादव और सौरभ चौधरी जैसे 2020 टोक्यो ओलंपिक के लिए कोटा हासिल करने वाले युवा इस पूर्व पिस्टल निशानेबाज की देख रेख में अपने खेल में सुधार किया है।