UN में इमरान खान के भाषण की बलूच नेता ने उधेड़ी बखिया, कहा- अमेरिका से कटोरे में भीख डलवाने के लिए ऐसा कह रहे हैं
By रामदीप मिश्रा | Published: September 30, 2019 10:01 AM2019-09-30T10:01:15+5:302019-09-30T10:01:15+5:30
बलूच नेता मेहरान ने इमरान खान के संयुक्त राष्ट्र में भाषण को कश्मीर मुद्दे पर वैश्विक समर्थन हासिल करने का एक और विफल प्रयास माना।
बलूच नेता मेहरान मर्री ने एक बार फिर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान पर जमकर हमला बोला। इस बार उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में दिए गए उनके भाषण को लेकर उनपर निशाना साधा। साथ ही साथ उन्हें कठपुतली करार दे दिया। दरअसल, इमरान खान ने स्वीकार किया था कि 1980 और 1990 के दशक के दौरान पाकिस्तान में आंतकवादियों को प्रशिक्षित किया जाता था।
मेहरान मर्री ने कहा, 'यह पहली बार है कि पाकिस्तान के कठपुतली प्रधानमंत्री (इमरान खान) ने (संयुक्त राष्ट्र) सुरक्षा परिषद जैसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर स्वीकार किया कि पाकिस्तान ने 80 और 90 के दशक में आतंकवादियों को पनाह दी व प्रशिक्षित किया था और अब उसने जो किया उसके लिए खेद है। मुझे लगता है कि हर कोई उस बयान को देख सकता है। वे केवल अमेरिका से कटोरे में भीख डलवाने के लिए ऐसा कह रहे हैं।'
उन्होंने कहा, 'खान ने ऐसा दर्शाने की कोशिश की कि उनका देश इस्लाम का चैंपियन था। उन्होंने कुछ छंदों का पाठ करके इस्लामी दुनिया का समर्थन हासिल करने की कोशिश की। लेकिन, मुझे नहीं लगता कि यह मामला है। हर कोई पाकिस्तान और उसकी वास्तविकता को जानता है। पाकिस्तान में सैन्य नेतृत्व है और सरकार उसकी कठपुतली।'
मेहरान ने खान के भाषण को कश्मीर मुद्दे पर वैश्विक समर्थन हासिल करने का एक और विफल प्रयास माना। उन्होंने कहा, 'यह देखना मजेदार है कि पाकिस्तानी सेना और उसके गुर्गों को कश्मीर के मुद्दे पर इतनी चिंता है कि वे एक एनजीओ के रूप में काम कर रहे हैं, पूरे प्लानेट पर दौड़ रहे हैं, देशों की एकमत करने की कोशिश कोशिश कर रहे हैं। और जाहिर तौर पर सभी देश उनको अनदेखा कर रहे हैं।'
उन्होने कहा, 'कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान को बार-बार अंतरराष्ट्रीय प्लेटफार्मों और दुनिया भर के देशों में अपमानित किया गया।। भारत ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया यह उसका अपना आंतरिक मामला है। वहीं, उसे सार्क देशों सहित कई देशों का समर्थन प्राप्त है।'
आपको बता दें कि इमरान खान ने अपने संबोधन में 1980 के दशक और 1990 के दशक के दौरान जिहादियों को प्रशिक्षित करने और उनसे संपर्क बनाए रखने में पाकिस्तान की भूमिका को स्वीकार किया था।