नई दिल्ली, 22 फरवरीः पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान पर हर तरफ से दबाव बनाने की कोशिश की है। ऐसा ही एक संस्था है वित्तपोषण पर नजर रखने वाली अंतर्राष्ट्रीय संस्था एफएटीएफ। शुक्रवार को सभी को निगाहें एफएटीएफ के फैसले पर टिकी हुई हैं। भारत ने पुलवामा में हुए आतंकवादी हमले में पाकिस्तान का हाथ होने के दस्तावेज दिए हैं। भारत ने मांग की है कि पाकिस्तान को काली सूची में डाला जाए।
माना जा रहा है कि अगर पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट किया जाता है तो उसकी इकॉनमी चरमरा जाएगी। गौरतलब है कि पाकिस्तान पहले से ही ग्रे लिस्ट में है। फिलहाल नॉर्थ कोरिया और ईरान ब्लैकलिस्ट में शामिल देश हैं।
भारतीय अधिकारियों की तैयारियां पूरी
भारतीय अधिकारियों के मुताबिक सुरक्षा एजेंसियां पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद की ओर से अंजाम दिए गए हमले और पड़ोसी देश द्वारा इस आतंकी संगठन को दी गई मदद को लेकर अब तक इकट्ठा किए गए साक्ष्य से दस्तावेज तैयार कर रही हैं। एक सुरक्षा अधिकारी ने कहा कि यह जैश-ए-मोहम्मद के साथ पाकिस्तानी एजेंसियों के संबंध और उनकी ओर से आतंकवादी संगठन के वित्तपोषण पर एक दस्तावेज होगा।
अतीत में जैश की ओर से अंजाम दिए गए हमलों का ब्योरा भी इस दस्तावेज में दिया जाएगा। फ्रांस के पेरिस स्थित फिनांशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) को दस्तावेज के जरिए बताया गया कि पाकिस्तानी एजेंसियां किस तरह जैश को धन मुहैया करा रही हैं।
क्या होगा पाक की अर्थव्यवस्था पर असर
एफएटीएफ की ओर से काली सूची में डालने का मतलब है कि संबंधित देश धनशोधन और आतंक के वित्तपोषण के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में ‘‘असहयोगात्मक’’ रवैया अपना रहा है। यदि एफएटीएफ पाकिस्तान को काली सूची में डाल देता है तो इससे आईएमएफ, विश्व बैंक, यूरोपीय संघ जैसे बहुपक्षीय कर्जदाता उसकी ग्रेडिंग कम कर सकते हैं और मूडीज, एस एंड पी और फिच जैसी एजेंसियां उसकी रेटिंग कम कर सकती हैं।
एफएटीएफ ने जुलाई 2018 में पाकिस्तान को संदेह वाली ग्रे सूची में डाल दिया था। एफएटीएफ में अभी 35 सदस्य और दो क्षेत्रीय संगठन - यूरोपीय आयोग एवं खाड़ी सहयोग परिषद - हैं। उत्तर कोरिया और ईरान एफएटीएफ की काली सूची में हैं।
समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा से इनपुट्स लेकर