Henry Kissinger Dies At 100: अमेरिका की विदेश नीति की लड़ाई के अंतिम पुरोधा, जानें 10 बड़ी बातें

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: November 30, 2023 01:46 PM2023-11-30T13:46:22+5:302023-11-30T13:47:25+5:30

Henry Kissinger Dies At 100: दूसरे विश्व युद्ध से लेकर, जब वह अमेरिकी सेना में सैनिक थे, शीत युद्ध की समाप्ति तक और यहां तक ​​कि 21वीं सदी में भी, वैश्विक मामलों पर उनका महत्वपूर्ण, निरंतर प्रभाव रहा।

who was Henry Kissinger Dies At 100 ten Facts About Former US Diplomat last pioneer of America's foreign policy fight | Henry Kissinger Dies At 100: अमेरिका की विदेश नीति की लड़ाई के अंतिम पुरोधा, जानें 10 बड़ी बातें

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Highlights15 साल की उम्र में शरणार्थी के रूप में अमेरिका आए।अंग्रेजी सीखी और लहजे में जर्मन पुट मृत्यु तक साथ रहा। गेस्टापो अधिकारियों की पहचान की और देश को नाज़ियों से मुक्त कराने के लिए काम किया।

Henry Kissinger Dies At 100: हेनरी किसिंजर अमेरिका की विदेश नीति की लड़ाई के अंतिम पुरोधा थे। पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री का एक शताब्दी तक जीवित रहने के बाद 29 नवंबर, 2023 को निधन हो गया। स्वतंत्र विश्व की भू-राजनीति पर उनके प्रभाव को कम करके नहीं आंका जा सकता।

दूसरे विश्व युद्ध से लेकर, जब वह अमेरिकी सेना में सैनिक थे, शीत युद्ध की समाप्ति तक और यहां तक ​​कि 21वीं सदी में भी, वैश्विक मामलों पर उनका महत्वपूर्ण, निरंतर प्रभाव रहा। जर्मनी से अमेरिका तक और फिर वापस 1923 में जर्मनी में जन्मे, वह 15 साल की उम्र में शरणार्थी के रूप में अमेरिका आए।

उन्होंने किशोरावस्था में अंग्रेजी सीखी और उनके लहजे में जर्मन पुट उनकी मृत्यु तक उनके साथ रहा। सेना में भर्ती होने और अपने देश जर्मनी में सेवा करने से पहले उन्होंने न्यूयॉर्क शहर में जॉर्ज वाशिंगटन हाई स्कूल में पढ़ाई की। ख़ुफ़िया कोर में काम करते हुए, उन्होंने गेस्टापो अधिकारियों की पहचान की और देश को नाज़ियों से मुक्त कराने के लिए काम किया।

इसके लिए उन्हें कांस्य स्टार से दिया गया। किसिंजर अमेरिका लौटे और विश्वविद्यालय के संकाय में शामिल होने से पहले हार्वर्ड में अध्ययन किया। उन्होंने उदारवादी रिपब्लिकन न्यूयॉर्क के गवर्नर नेल्सन रॉकफेलर - जो कि राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार थे - को सलाह दी और परमाणु हथियार रणनीति पर विश्व विशेषज्ञ बन गए।

जब 1968 की प्राइमरी में रॉकफेलर के मुख्य प्रतिद्वंद्वी रिचर्ड निक्सन की जीत हुई, तो किसिंजर तुरंत निक्सन की टीम में चले गए। व्हाइट हाउस में एक सशक्त भूमिका निक्सन के व्हाइट हाउस में रहते, वह राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बने और बाद में साथ ही विदेश मंत्री का पद भी संभाला। उसके बाद से किसी ने भी एक ही समय में यह दोनों भूमिकाएँ नहीं निभाईं।

निक्सन के लिए, किसिंजर की कूटनीति ने वियतनाम युद्ध के अंत और चीन के उभार की व्यवस्था की: शीत युद्ध के समाधान में दो संबंधित और महत्वपूर्ण घटनाएं। उन्होंने अपनी वियतनाम कूटनीति के लिए 1973 का नोबेल शांति पुरस्कार जीता, लेकिन कंबोडिया में बमबारी अभियान सहित संघर्ष के दौरान कथित अमेरिकी ज्यादतियों के लिए वामपंथियों ने उन्हें युद्ध अपराधी के रूप में निंदा की, जिसमें संभवतः सैकड़ों हजारों लोग मारे गए थे। आलोचना के बावजूद वह बने रहे चीन की ओर झुकाव ने न केवल वैश्विक शतरंज की बिसात को पुनर्व्यवस्थित किया।

 बल्कि इसने लगभग तुरंत ही वैश्विक बातचीत को वियतनाम में अमेरिकी हार से सोवियत विरोधी गठबंधन में बदल दिया। वाटरगेट घोटाले के कारण निक्सन को इस्तीफा देने के लिए मजबूर होने के बाद, किसिंजर ने निक्सन के उत्तराधिकारी गेराल्ड फोर्ड के अधीन विदेश मंत्री के रूप में कार्य किया। उस संक्षिप्त, दो-वर्षीय प्रशासन के दौरान, किसिंजर का कद और अनुभव संकटग्रस्त फोर्ड पर भारी पड़ गया।

फोर्ड ने ख़ुशी से अमेरिकी विदेश नीति किसिंजर को सौंप दी ताकि वह राजनीति पर ध्यान केंद्रित कर सकें और उस कार्यालय के लिए चुनाव लड़ सकें जिसके लिए लोगों ने उन्हें कभी नहीं चुना था। 1970 के अशांत दशक के दौरान, किसिंजर का कद और रूतबा लगातार बढ़ता रहा। यह भले बेहद आकर्षक न रहे हों, लेकिन वैश्विक शक्ति के ओहदे ने उन्हें एक आभा दी, जिसे हॉलीवुड अभिनेत्रियों और अन्य मशहूर हस्तियों ने देखा। उनका रोमांटिक जीवन कई गॉसिप कॉलम का विषय था। उनके लिए यह तक कहा गया कि ‘‘ताकतवर होना परम कामोत्तेजक है’’।

फोर्ड प्रशासन के बाद अमेरिकी विदेश नीति में उनकी विरासत बढ़ती रही। उन्होंने निगमों, राजनेताओं और कई अन्य वैश्विक नेताओं को सलाह दी, अक्सर बंद दरवाजों के पीछे और कई बार सार्वजनिक रूप से भी। आलोचना और निंदा किसिंजर की कठोर आलोचना हुई और हो रही है। रोलिंग स्टोन पत्रिका के किसिंजर के मृत्युलेख का शीर्षक है ‘‘अमेरिका के शासक वर्ग का प्रिय युद्ध अपराधी, अंततः मर गया’’।

विभाजनकारी वियतनाम वर्षों के दौरान अमेरिकी विदेश नीति के साथ उनका जुड़ाव कुछ आलोचकों के लिए एक जुनून जैसा है, जो वियतनाम के निर्दोष लोगों के खिलाफ युद्ध के भयानक कृत्यों को अंजाम देने वाले भ्रष्ट निक्सन प्रशासन के रूप में उनकी भूमिका को माफ नहीं कर सकते।

किसिंजर के आलोचक उन्हें अमेरिकी राजनीति के सर्वोत्तम व्यक्तित्व के रूप में देखते हैं - व्यक्तिगत सत्ता के लिए या विश्व मंच पर अपने देश के लक्ष्यों को आगे बढ़ाने के लिए कुछ भी करने को तैयार। लेकिन मेरी राय में यह व्याख्या ग़लत है. नियाल फर्ग्यूसन की 2011 की जीवनी, किसिंजर, एक बहुत अलग कहानी बताती है।

1,000 से अधिक पृष्ठों में, फर्ग्यूसन ने युवा किसिंजर पर द्वितीय विश्व युद्ध के प्रभाव का विवरण दिया है। पहले वहां से भागना, फिर उसके खिलाफ लड़ने के लिए वापस आना, एक अनैतिक शासन ने भावी अमेरिकी विदेश मंत्री को दिखाया कि वैश्विक शक्ति को अच्छी तरह से प्रबंधित किया जाना चाहिए और अंततः लोकतंत्र और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के उद्देश्यों को आगे बढ़ाने के लिए उपयोग किया जाना चाहिए।

चाहे वह प्रशंसनीय शांति वार्ता स्थापित करने के लिए वियतनाम युद्ध नीति पर निक्सन को सलाह दे रहे थे, या सोवियत संघ को शह और मात में डालने के लिए चीन के लिए खुलेपन के विवरण की व्यवस्था कर रहे थे, किसिंजर की नज़र हमेशा अधिनायकवाद और नफरत की ताकतों के खिलाफ पश्चिम के उदार मानवीय मूल्यों को संरक्षित करने और आगे बढ़ाने पर थी।

जिस तरह से उन्होंने इसे देखा, ऐसा करने का एकमात्र तरीका अमेरिका और उसके सहयोगियों की प्रधानता के लिए काम करना था। इस लक्ष्य को आगे बढ़ाने के लिए हेनरी किसिंजर से अधिक किसी ने प्रयास नहीं किया। इसके लिए उनकी प्रशंसा भी की जाएगी और निंदा भी।

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